- नगरीय निकायों में वनीकरण की योजना हो रही तैयार
- विनोद उपाध्याय
घटती हरियाली, बढ़ते तापमान और वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रदेश के शहरों में सिटी फारेस्ट तैयार किए जाएंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने पहल की है। इसके तहत शहरों में खाली और निर्जन मैदानों पर सिटी फारेस्ट बनाए जाएंगे। वहां बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जाएगा, ताकि आसपास के क्षेत्र की आबोहवा सुधरे। दरअसल, इंदौर सिटी फारेस्ट की सफलता को देखते हुए सरकार ने योजना बनाई है कि प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में सिटी फॉरेस्ट बनाया जाएगा। इसके लिए बजट में प्रावधान किया जा रहा है। नगरीय विकास के अफसरों के अनुसार इसके लिए मास्टर प्लान घोषित निकायों में ग्रीन बेल्ट की जमीन पर फोकस होगा। हर निकाय में इसके लिए जमीन का प्रावधान होता है, वहां की जमीन पर पौधरोपण के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा और पर्यावरण सुरक्षा को लेकर उसके फायदे भी बताए जाएंगे। वहीं जिन निकायों के पास जमीन उपलब्ध नहीं होगी, उसके लिए राजस्व विभाग से जमीन लेकर पौधरोपण के लिए उपयोग में लाने का काम किया जाएगा। जानकारी के अनुसार, प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में इंदौर के पितृ पर्वत की तर्ज पर सिटी फारेस्ट डेवलप किए जाएंगे। चालू वित्त वर्ष के बजट में लाई जाने वाली इस योजना में नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद क्षेत्रों में खुली जमीन और पहाड़ी इलाकों में लोगों को प्रोत्साहित कर फारेस्ट एरिया डेवलप कराने का काम किया जाएगा। यह व्यवस्था सभी नगरीय निकायों के लिए शुरू करने का प्रस्ताव नगरीय विकास ने वित्त विभाग को दिया है। प्रदेश सरकार के जुलाई में आने वाले बजट के लिए विभागवार चर्चाओं का दौर शुरू होने के बाद बजट में नई योजनाओं के प्रस्ताव भी दिए जा रहे हैं। वित्त विभाग द्वारा सभी विभागों के साथ बजट प्रस्तावों पर उप सचिव स्तर की चर्चा के लिए 3 जून तक का समय तय किया गया है और नगरीय विकास विभाग की बैठकें इसको लेकर हो चुकी हैं, जिसमें बजट प्रस्ताव के साथ नई योजनाओं की जानकारी भी दी जा रही है। हालांकि नई योजनाओं के प्रस्तावों को अभी अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर पर मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट की मंजूरी मिलना बाकी है।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इंदौर में सिटी फॉरेस्ट में सफलता सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये अन्य नगरीय निकायों में सिटी फॉरेस्ट बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। सिटी फॉरेस्ट में दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों को देखने का पर्यटक लुफ्त उठा सकेंगे। सिटी फॉरेस्ट के लिए शहरों से लगे क्षेत्र में खाली जमीने तलाशी जाएंगी। सिटी फॉरेस्ट के डेवलप होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ लोग सुकून के पल बिता सकेंगे। बर्ड वॉचिंग व पर्यटन की दृष्टि से सिटी फॉरेस्ट में दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी भी देखने को मिलेंगे। सिटी फॉरेस्ट को नेचुरल लुक देने के लिये भी वन विभाग के अफसरों द्वारा कार्य योजना तैयार की जाएगी।
इकोलॉजिकल सिस्टम होगा तैयार
सिटी फॉरेस्ट में पक्षियों की संख्या बढ़ाने और उन्हें यहां बसाने के लिए इकोलॉजिकल सिस्टम तैयार किया जाएगा। इसके लिए छायादार, फलदार और फूलदार पौधों को सिटी फॉरेस्ट में रोपा जाएगा। पक्षियों को भोजन और छांव के साथ पीने का साफ पानी मिल सके, इसके लिए सकोरे पेड़ों पर लगाए जायेंगे, ताकि दाना-पानी मिलने पर पक्षी अपनी लाइफ सर्किल यहीं बना लें और पूरी तरह बस जायें। यहां से वापस न जायें। इसी इकोलॉजिकल सिस्टम की वजह से विभिन्न प्रजातियों के पक्षी सिटी फॉरेस्ट के जंगल में खुद खिंचे चले आयेंगे। सिटी फॉरेस्ट एरिया में नये सिरे से पार्क को डेवलप किया जायेगा। सिटी फॉरेस्ट को नेचुरल लुक देने के लिये पौधरोपण के साथ गार्डन तैयार किया जायेगा।
जनभागीदारी के लिए योजना तैयार
नगरीय विकास विभाग के अफसरों के अनुसार सरकार के कामों में जनभागीदारी बनाने को लेकर नगरीय निकायों की वनीकरण योजना तैयार की गई है। इसके पीछे मंशा यह है कि जब लोग किसी योजना से सीधे जुड़ेंगे तो उसके रखरखाव की भी चिंता करेंगे। इंदौर में पितृ पर्वत में पौधरोपण का जो कांसेप्ट सफल हुआ है, उसमें स्थानीय लोगों ने पौधे लगाने के साथ उनकी सुरक्षा का जिम्मा भी संभाला है। इसके साथ ही जो पौधरोपण के बाद सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे हैं, उनके द्वारा इसके संरक्षण के लिए आने वाले खर्च का जिम्मा उठाया गया है। इसके चलते पौधरोपण सफल हुआ है। गौरतलब है कि इंदौर में गोम्मटगिरि के सामने स्थित पितृ पर्वत को इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि इंदौर के लोगों ने पितरों की याद में हजारों पौधे रोपे हैं। यहां श्राद्ध पक्ष में हर साल बड़ी संख्या में लोग अपने मित्रों और पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही पूजा-पाठ के लिए पहुंचते हैं। लोगों की आस्था को देखते हुए यहां 108 टन वजनी हनुमान मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई है। भगवान हनुमान की गदा 65 फीट लंबी है, जिसको देखने के लिए हर रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।