निगमायुक्त की मनमानी पर बिफरे मुख्य सचिव

मुख्य सचिव
  • सीवरेज में दो अरब रुपए के नुकसान का मामला  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। उज्जैन में सिंहस्थ की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री डां मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन बेहद गंभीर है, लेकिन अफसर तैयारियों में अपने लिए अवसर तलाश रहे हैं। इसके लिए वे मनमानी करने तक में पीछे नहीं रह रहे हैं। इसकी पोल तब खुल गई, जब प्रशासनिक मुखिया ने उज्जैन में चल रहे कामों की समीक्षा की। इस दौरान जैन उस समय विफर गए जब उन्हें पता चला कि निगमायुक्त अपनी मनमर्जी से कामकाज कर रहे हैं और वे सरकार को भी गुमराह करने में भी पीछे नही रह रहे हैं। उन्होंने इस दौरान काम में लापरवाही पर भी नाराजगी जाहिर की और निगमायुक्त आशीष पाठक से कहा कि कामकाज में लेटलतीफी की वजह से अब तक सीवरेज के कामों में  दो अरब रुपए का नुकसान सरकारी खजाने को हो चुका है और सिंहस्थ तक और कितना होगा? उन्होंने कहा कि योजना पर फोकस क्यों नहीं किया जा रहा है। उनकी नाराजगी इससे ही समझी जा सकती है कि उन्होंने यह तक पूंछ लिया कि आप किसे रिपोर्ट करते हो। जवाब में निगमायुक्त ने बताया कि कलेक्टर साहब  को। उनकी नाराजगी तब और बढ़ गई जब उन्हें पता चला कि शिप्रा नदी के घाटों पर काला पत्थर लगाने की योजना तैयार कर ली गई है। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कान्ह क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट में जो काला पत्थर निकलेगा, उसे शिप्रा के घाटों पर लगाने का प्रस्ताव किसका है। इस पत्थर को लाने के बारे में क्या साधू-संतों से राय ली गई और क्या इतना पत्थर निकलेगा की घाट के लिए पूरा हो जाए। इस दौरान बताया गया कि साधु-संतों ने कहा है कि वे  काले पत्थर पर स्नान नहीं करेंगे, लाल पत्थर पर ही करेंगे। इस जवाब पर मुख्य सचिव जैन ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी को यह गलत जानकारी क्यों दी गई कि प्रोजेक्ट से निकाले गए काले पत्थर को ही घाटों पर लगाया जाएगा। निगमायुक्त सहित अन्य अफसरों ने मुख्य सचिव अनुराग जैन के दौरे और निर्माण कार्यों की समीक्षा बैठक को प्रशासन और संबंधित विभाग के  अधिकारियों ने पहले गंभीरता से नहीं लिया था, लेकिन जैसे ही मुख्य सचिव ने तय एजेंडे पर शुरू की तो सभी अफसर बंगले झांकने लगे। आधी अधूरी तैयारी के साथ बैठक में पहुंचे अफसर सही से जानकारी तक नहीं दे सके, लिहाजा जैन ने उन्हें फटकार भी लगाई। मुख्य सचिव की नाराजगी इससे ही समझी जा सकती है कि एक मामले में उन्होंने जांच के निर्देश दे दिए, तो वहीं दूसरे मामले में संबंधित अधिकारी को भोपाल भी तलब कर लिया है।
 जमकर हो रही तारीफ
बैठक के बाद तमाम अधिकारियों के बीच चर्चा रही कि पहली बार धरातल की पूरी जानकारी रखने वाले आईएएस को देखा है। मुख्य सचिव ने जिस प्रकार से करीब दो घंटे में सारी हकीकत सामने रख दी, उससे तय हो गया है कि वे भले ही भोपाल में बैठते हों , लेकिन उनकी नजर सभी जगह रहती है। इससे यह भी तय है कि मुख्यमंत्री से लेकर तमाम अफसर पूरी मेहनत कर रहे हैं , लेकिन संबंधित विभागों के मैदानी अफसर अब भी लापरवाह बने हुए हैं। माना जा रहा है कि अब मुख्य सचिव खुद ही सिंहस्थ की तैयारियों पर पूरी नजर रखेंगे , जिससे की तय समय पर पूरे काम हो सकेें। माना जा रहा है कि मुख्य सचिव की नाराजगी को परिणाम जल्द ही तबादलों के रुप में सामने आ सकता है।  
इन बिंदुओं पर हुए सभाकक्ष में प्रश्न
– मुख्य सचिव अनुराग जैन ने जब फ्रीगंज ओव्हरब्रिज को लेकर संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी से प्रश्न किया कि टेंडर बार-बार निरस्त क्यों हुआ? दोबारा समय रहते क्यों नहीं लगाया ? अधिकारी ने जवाब दिया कि सर, ठेकेदार के पास पहले से भोपाल में तीन ब्रिज बनाने का काम है, वह वहां काम कर रहा है। इसलिए उसके द्वारा यहां पर काम करने से इंकार कर दिया गया है। यह जवाब सुनकर सीएस ने अधिकारी को फटकार लगाई।
– जलसंसाधन विभाग के उच्चस्थ अधिकारी ने कान्ह क्लोज डक्ट मामले में तैयारियों के सवाल पर रटी रटाई बातें सुनाना शुरू कर दी। इस पर श्री जैन ने पूछा-आप बताओ, सालभर में कितना पानी आएगा इस सुरंग में? कितना पानी बारिश के अलावा अन्य महीनों में बहेगा?  
– यदि ओव्हरफ्लो हुआ तो बाहर कैसे निकलेगा? पानी नहीं रहने पर अंदर जो मड रहेगा, उसका क्या होगा? यह मड होगा या गंदगी, क्या शहर के आसपास के क्षेत्रों में गंदगी के ढेर लगाओगे? क्या यह योजना 100 प्रतिशत सही एवं भविष्य के लिए लाभप्रद है? या फिर इसमें करोड़ो रुपए यूं ही बिगाड़ दिए गए हैं? इस पर संबधित अफसर कोई उत्तर ही नहीं दे सके।  
– पुलिस विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान जैन ने भीड़ नियंत्रण की जानकारी ली और अफसरो से कहा कि वे हवा हवाई बातें न करें। बेहतर परिणाम के लिए आईआईटी, आईआईएम से चर्चा करें, अन्य रिसर्च एजेंसियों से चर्चा करें, शोध करवाएं और उस पर अमल करें।

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