मुख्यमंत्री सीखो कमाओ… योजना की निकली हवा

  • 71 लाख युवाओं ने कराया पंजीयन पर 25 हजार को ही मिला काम
  • विनोद उपाध्याय
मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना

पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना में काम तय रफ्तार के अनुसार नहीं मिल रहा है। प्रदेश में अगस्त 2023 से शुरू हुई योजना में अब तक 71 लाख युवाओं ने पंजीयन कराया है , लेकिन मात्र 25 हजार को ही रोजगार मिल सका। यानी रोजगार देने के सरकार के वादों पर मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना खरी नहीं उतर रही है। सरकार ने यह योजना इस दावे के साथ शुरू की थी कि एक साल में प्रदेश के एक लाख युवाओं को इससे रोजगार मिलेगा। एक साल बाद भी सिर्फ 25 हजार युवाओं को योजना से रोजगार का मौका मिल पाया है।
जब योजना की शुरुआत में अनुमान था कि कंपनियों को सीखने के साथ काम करने वाले मिलेंगे। स्टायपेंड में से मात्र 20 प्रतिशत ही उन्हें देना होता है। बाकी 80 प्रतिशत राज्य सरकार देती। हालांकि कंपनियों ने योजना में जरा भी रुचि नहीं दिखाई। यही कारण है कि रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी कई कंपनियों ने न तो कोर्स मॉड्यूल बनाए और न ही वैकेंसी की घोषणा की। ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत कंपनियों को ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करना पड़ती है, जिसके लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाया गया है।  ऑनलाइन हाजिरी नहीं होने पर सरकार की तरफ से पैसा नहीं मिलता है। अगस्त 2023 में जहां 77 प्रतिशत आवेदकों की हाजिरी दर्ज हुई। वहीं, जून 2024 में भी यही स्थिति रही। सितंबर 2023 से मई 2024 तक जरूर 85 से 90 प्रतिशत आवेदक क्लास में पहुंचे।
युवा न सीख पा रहे, न ही कमा पा रहे
आलम यह है कि इस योजना में युवा न तो सीख पा रहे हैं और न ही कमा पा रहे हैं, क्योंकि कंपनियों ने इस योजना में ठीक तरह से रिस्पॉन्स नहीं दिया। भोपाल जिले में ही योजना के तहत 6929 वैकेंसी निकली, जबकि आवेदन करने वालों की संख्या 11.56 लाख से अधिक थी। इसके बाद भी कंपनियों ने ज्यादातर आवेदन रिजेक्ट कर दिए। केवल 1163 आवेदक ट्रेनिंग प्रोग्राम जॉइन कर पाए। योजना में प्रदेशभर में 23 हजार 377 कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। इनमें से 16 हजार 543 कंपनियों ने ही कोर्स शुरू किए और वैकेंसी निकालीं। इनके लिए पूरे प्रदेश में 71 लाख युवाओं के आवेदन आ गए। लाखों आवेदन पेंडिंग होने के बाद भी कंपनियों ने शॉर्टलिस्ट करने में कंजूसी की और सिर्फ 32 हजार को ही इंटरव्यू के लिए बुलाया। इनमें भी 25 हजार को रोजगार मिला है। वहीं, भोपाल जिले में 1900 से अधिक विभिन्न फर्म और कंपनियों ने योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवाया था, लेकिन सभी ने इसमें रुचि नहीं ली। यही कारण है कि इनमें से 1270 कंपनियों ने ही ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए। इन्होंने 46 अलग-अलग सेक्टर के लिए 400 से अधिक कोर्स डिजाइन किए। इनके लिए 6929 वैकेंसी निकाली। यानी, ट्रेनिंग के लिए इतनी सीटें बताईं। स्टायपेंड मिलने के कारण करीब 166 गुना ज्यादा यानी 11.56 लाख लोगों ने आवेदन किया था। इनमें से 10.89 लाख आवेदन पेंडिंग पड़े हैं, लेकिन ट्रेनिंग देने वाली कंपनियों ने इंटरव्यू के लिए मात्र 2323 आवेदकों को ही बुलाया। इसमें से भी फाइनल लिस्ट में 1380 आवेदकों के ही नाम थे। इनमें से मात्र 1163 ही ट्रेनिंग के लिए संस्थानों में पहुंचे।
मंत्री बोले कंपनियों के साथ करेंगे बैठक
कौशल विकास एवं रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)गौतम टेटवाल का कहना है कि कंपनियों को क्या समस्याएं आ रही हैं, उनके साथ बैठकर समझेंगे। योजना के तहत 25 हजार युवाओं को सीखने का मौका मिला। उन्हें स्टायपेंड भी दे दिया गया और अपने कौशल के अनुसार नौकरियां भी पा चुके हैं। ज्यादा से ज्यादा युवाओं को सीखने का मौका मिले, इसका प्रयास किया जा रहा है। कंपनियों में युवाओं के लगातार रजिस्ट्रेशन चल रहे हैं। आगे भी होते रहेंगे। इसे बंद नहीं किया जा सकता। कंपनियां जितनी वैकेंसी निकालती हैं, उसके अनुसार उन कोर्स या ट्रेड को जॉइन करने का मौका युवाओं को मिलता है।  कंपनियों में कितने ट्रेड चल रहे हैं? कितने युवाओं को ले रही हैं? कितनों को नौकरी मिल रही है, इसकी वन-टू-वन मॉनिटरिंग की जाएगी। आने वाले साल में युवाओं के लिए योजना में बेहतर अवसर उपलब्ध रहेंगे।
स्टायपेंड मिलने के लालच
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना के तहत मिलने वाले स्टायपेंड के लिए युवाओं ने बढ़ -चढक़र  आवेदन किया है। स्टायपेंड मिलने के लालच में आवेदन करने वालों में 12वीं पास या आईटीआई के अलावा इंजीनियर तक शामिल हैं। हालांकि सबसे ज्यादा आवेदन 12वीं पास की तरफ से 7.38 लाख आए, लेकिन 4.71 लाख ग्रेजुएट युवाओं ने और 41 हजार इंजीनियरों ने भी सीखने के साथ कमाई के लिए आवेदन किया। सबसे ज्यादा चार लाख से अधिक आवेदन आईटी सेक्टर के कोर्स के लिए आए। 2.56 लाख बैंकिंग सेक्टर के लिए और 1.88 लाख मैनेजमेंट के लिए आवेदन किए गए। बेरोजगारी दूर करने के दावे के साथ सीखो कमाओ योजना में नि:शुल्क ट्रेनिंग के साथ पात्र आवेदकों को हर महीने आठ से 10 हजार रुपए स्टायपेंड भी दिया जाता है। सरकार ने एक लाख युवाओं को हर साल रोजगार देने का दावा किया था। योजना में अलग-अलग क्षेत्रों की अलग-अलग कंपनियों ने का नामांकन किया और कई टेंड में ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू किए। ट्रेनिंग पूरी होने पर संबंधित कंपनी या किसी अन्य कंपनी में युवाओं को नौकरी मिल सकती है।

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