- कूनो से राजस्थान के मुकुंदरा में शिफ्ट करने की तैयारी
- अपूर्व चतुर्वेदी

कूनो पालपुर नेशनल पार्क में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते लाए गए हैं। लेकिन नामीबिया से 17 सितंबर को भारत लाई गई चीता सियाया उर्फ ज्वाला के चार में से तीन शावकों की अब तक मौत हो चुकी है। इन चार शावकों का जन्म दो महीने पहले मार्च के आखिरी हफ्ते में हुआ था। इन्हें मिलाकर अफ्रीकी देशों से लाए गए चीतों में से अब तक छह की मौत हो चुकी है। इनमे तीन शावक और तीन वयस्क चीता शामिल हैं। अब कूनो नेशनल पार्क में 17 वयस्क चीता और एक शावक जीवित हैं। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यहां की आबोहवा उन्हें रास नहीं आ रही। इस सबके बीच चीतों को एमपी के अन्य अभयारण्य और राजस्थान शिफ्ट करने की तैयारी है।
कूनो नेशनल पार्क से लगातार आ रही दुखद खबरों के बीच अब जल्द ही वहां से 6-7 चीतों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है। इन्हें मध्य प्रदेश या राजस्थान के नेशनल पार्क में शिफ्ट किया जा सकता है। वजह यही है कि क्या चीतों को कूनो की आबोहवा रास नहीं आ रही। या चीतों को ये जंगल छोटा पड़ने लगा है। चीतों की मौत से सब सकते में हैं। चीते लगातार कूनो से बाहर निकलकर रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के दखल और वन्य जीव विशेषज्ञों की राय के बाद चीतों के लिए दूसरे घरों को तैयार किया जा रहा है। वन महकमे के अफसरों के मुताबिक गांधी सागर अभयारण्य में मैदानी क्षेत्र अधिक है। यह इलाका करीब 38 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके अलावा, तीन तरफ से जंगल और एक और गांधी सागर डैम की बड़ी वाटर बॉडी है। समानांतर हरी घास के मैदान भी मौजूद हैं। चीतल, हिरन, नीलगाय समेत अन्य वन्य प्राणियों की संख्या भी पर्याप्त है। अधिकारियों ने बताया कि यहां पांच सौ से अधिक चीतल हैं। बीते दो सालों में गांधी सागर अभयारण्य में चीतल छोड़े गए थे।
मुकंदरा हिल्स को बताया बेहतर
गांधी सागर अभयारण्य में चीता पुर्नवास के मद्देनजर कैंपा फंड से 20 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। चीता के हिसाब से इसे तैयार करने का काम भी शुरू किया गया। फिर कूनो के नाम पर मोहर लगने के बाद कवायद पर विराम लगा। उधर, एनटीसीए ने केंद्र को बताया कि मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दर्रा रेंज को चीतों के हिसाब से तैयार करने में ज्यादा दिन नहीं लगेंगे। जबकि गांधी सागर में बसाहट संबंधित तैयारियों के लिए कम से कम छह माह की बात कही गई। बैठक में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की रिपोर्ट पर एक बार फिर मंथन किया गया। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल चीता पुनर्वास को लेकर भारतीय वन्यजीव संस्थान ने भी रिपोर्ट तैयार की थी। राजस्थान सरकार ने मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दर्रा रेंज में चीतों की बसाहट के लिए प्रस्ताव भेजा था। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की रिपोर्ट में भी मुकंदरा हिल्स की दर्श रेंज को उपयुक्त पाया। लेकिन, कूनो नेशनल पार्क को चीता प्रोजेक्ट के लिए प्राथमिकता पर रखा। लिहाजा राजस्थान सरकार ने भी चीतों की बसाहट के लिए जोर नहीं लगाया। बैठक में एनटीसीए के अफसरों ने कहा कि चीता एक्शन प्लान मुताबिक कूनो में अधिकतम 22 चीतों बेहतर स्थान है। अब शिफ्टिंग में चीतों की संख्या को लेकर भी स्थान का चयन किया जाएगा। तीन स्तर पर रिपोर्ट के अलावा पीएम रिपोर्ट और दक्षिण अफ्रीका के साथ नामीबिया के विशेषज्ञों के रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
तीन स्तर पर तैयार होगी अलग-अलग रिपोर्ट
कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर अब अमल शुरू गया है। लेकिन, राज्य में चीतों की शिफ्टिंग की राह अब आसान नहीं होगी। मामले को लेकर को नेशनल टाइगर कंर्जवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए), केंद्रीय मंत्रालय और मध्यप्रदेश वन महकमें के अफसरों के बीच बातचीत हुई। इस दौरान निर्णय लिया गया कि शिफ्टिंग के पहले तीन स्तर पर अलग-अलग रिपोर्ट तैयार की जाएगी। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के एक्सपर्ट अंतिम मोहर लगाएंगे। उधर, एनटीसीए और केंद्रीय वन मंत्रालय के अफसरों ने राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर हिल्स को शिफ्टिंग के लिए मुफीद बताया है। वन विभाग के अफसरों ने बताया कि शिफ्टिंग को लेकर तीन स्तर पर रिपोर्ट तैयार होगी। पहला जलवायु के साथ तापमान का अध्ययन होगा। चीता के अनुकूल वातावरण के हिसाब से इन स्थानों को मापा जाएगा। फिर मौजूदा संसाधनों को लेकर विकल्प पर विचार मंथन होगा। बैठक में मंदसौर के गांधी सागर और सागर के नौरादेही अभयारण्य को लेकर भी चर्चा की गई। अफसरों ने शिफ्टिंग को लेकर साफ कहा कि दोनों ही अभयारण्य में न्यूनतम संसाधनों को जुटाने में समय लगेगा।