चहेतों से टीचिंग लर्निंग मटेरियल किट खरीदने टेंडर की बदली शर्तें

टीचिंग लर्निंग मटेरियल किट
  •  स्कूल शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों की कारस्तानी

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
    एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में सुशासन पर जोर दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अफसर मिलीभगत कर सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। ताजा मामला स्कूल शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग में टीचिंग लर्निंग मटेरियल खरीदने की प्रक्रिया में सामने आया है।
    दोनों विभागों के अफसरों ने अपने चहेते सप्लायर्स को फायदा पहुंचाने टेंडर में ऐसी शर्तें रखी है जिससे छोटे सप्लायर इसमें शामिल ही नहीं हो पाए हैं।  गौरतलब है कि  इसमें केवल वहीं सप्लायर शामिल हो पाएंगे जिनके लिए अफसरों ने टेंडर के प्रावधान बनाए हैं। जानकारी के अनुसार दोनों विभागों ने टेंडर की गोलमोल शर्तें तय की हैं, ताकि चहेते विक्रेता ही इस प्रक्रिया में शामिल हो सके। विभाग 41 सामग्री खरीद रहे हैं और टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले विक्रेताओं से सभी सामग्री के सैंपल मांग रहे हैं।
    इससे छोटे विक्रेता (जो एक, दो या अधिकतम पांच-छह तरह की सामग्री के विक्रेता हैं) प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकेंगे। वहीं टेंडर को किट फार्म में भरना है और सामग्रीवार दरें बुलाई जा रही हैं। छोटे विक्रेताओं ने इन शर्तों पर आपत्ति उठाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखित शिकायत की है।
     नियम व शर्तों पर कई विक्रेताओं ने आपत्ति
    दोनों विभागों ने खरीदी के लिए टेंडर के जो नियम और शर्तों को रखा है वे विवादास्पद हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग 97 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों को प्री-स्कूल एजुकेशन किट और राज्य शिक्षा केंद्र 63 हजार से अधिक प्राइमरी स्कूलों के लिए मध्य प्रदेश लघु उद्योग निगम के माध्यम से टीचिंग लर्निंग मटेरियल किट खरीद रहा है। इसके लिए बनाए गए नियम व शर्तों पर कई विक्रेताओं ने आपत्ति ली है। दोनों विभागों ने शर्ते इस तरह से तैयार की हैं कि विभागों को पहले से सामग्री उपलब्ध कराते रहे विक्रेता ही प्रक्रिया में शामिल हो सकें। पहली शर्त तो यही है कि 41 सामग्री के लिए अलग-अलग दरें मंगाई जा रही हैं, पर प्रक्रिया में शामिल होने वाले हर विक्रेता को सभी सामग्री के सैंपल देना होंगे। यानी एक-दो सामग्री के लिए टेंडर डालने वाला या सिर्फ किताबों के लिए टेंडर डालने की चाह रखने वाला छोटा विक्रेता सभी सामग्री के सैंपल नहीं दे पाएगा और इस शर्त के मुताबिक वह टेंडर प्रक्रिया से खुद बाहर हो जाएगा। इसके अलावा टेंडरों को किट फार्म में आमंत्रित किया गया है और दरें सामग्रीवार मांगी गई हैं। टेंडर डालने के लिए सिर्फ 10 दिन का समय दिया है। यह समय शनिवार को पूरा हो चुका है, यानी टेंडर डालने को सिर्फ नौ दिन मिले।
    लघु उद्योग निगम ने झाड़ा पल्ला
    स्कूल शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग में टीचिंग लर्निंग मटेरियल खरीदने की प्रक्रिया पर उठे विवाद से लघु उद्योग निगम ने पल्ला झाड़ लिया है। जब छोटे विक्रेताओं ने इन शर्तों पर आपत्ति दर्ज कराई, तो लघु उद्योग निगम ने हाथ खड़े कर दिए। शिकायतकर्ताओं से निगम के अधिकारियों ने साफ कह दिया है कि शर्तें संबंधित विभागों ने तय की हैं, इसलिए वे कुछ नहीं कर सकते। आरोप हैं कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने जैसी शर्त तैयार की हैं, उससे तो विभाग उन चार विक्रेताओं को लाभ पहुंचाने की फिराक में लग रहा है, जो वर्षों से विभाग की टेंडर प्रक्रिया में शामिल होकर सामग्री उपलब्ध कराते हैं। आमतौर पर हर काम इन्हीं चार विक्रेताओं में से किसी को मिलता है, क्योंकि खुले बाजार में यह सामग्री नहीं मिलती है। यही कारण है विभाग सामग्री महंगी दरों पर खरीदता है, क्योंकि ज्यादा विक्रेता इसमें शामिल नहीं हो पाते हैं।
    किट में है ये सामग्री
    टीचिंग लर्निंग मटेरियल किट में वह सामग्री शामिल है जो बच्चों को विभिन्न चीजें सिखाने में मदद करेगी। यानी बिल्डिंग ब्लॉक सेट, कलरफुल बेंड एंड वायर, सिंपल पजल्स, मेग्नीफायनिंग ग्लास, अल्फाबेट एवं नंबर कार्ड, पिक्चर कार्ड, पिक्चर बुक, स्टोरी बुक, पिक्चर कंवर्सेशन कार्ड, किचन सेट, डाक्टर सेट सहित अन्य। इन समानों की खरीदी प्रक्रिया पर उठे विवाद के बाद अफसरों ने हाथ खड़े कर लिए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह कहते हैं कि हम कोई सामग्री नहीं खरीद रहे हैं। इस बार हमारे पास पैसा ही नहीं है। वहीं राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस कहते हैं कि टीएलएम किट खरीद तो रहे हैं, टेंडर या शर्तों को लेकर किसी को कोई आपत्ति है, तो वह लघु उद्योग निगम से बात करें।

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