छिंदवाड़ा, राजगढ़ से ही भाजपा को चुनौती

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लोकसभा मिशन 29 का महासंग्राम

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में लोकसभा की सभी 29 सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने कांग्रेस में ऐतिहासिक तोडफोड़ की है। अब तक 17,000 से अधिक कांग्रेसी भगवाधारी हो गए हैं। लेकिन पार्टी की तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा की राह में छिंदवाड़ा और राजगढ़ लोकसभा सीट रोड़ा बन गई हैं। वैसे 2019 में भाजपा ने छिंदवाड़ा को छोडक़र 28 सीटों को जीता था। लेकिन इस बार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने गढ़ राजगढ़ से मैदान में हैं। इसलिए इस बार राजगढ़ सीट भी भाजपा के लिए कड़ी चुनौती बन गई है।
लोकसभा के चुनावी रण में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के उतरने के बाद भाजपा की व्यूह रचना में बदलाव आया है। अभी तक केवल पूर्व सीएम कमलनाथ की छिंदवाड़ा सीट को फोकस में रखकर भाजपा काम कर रही थी। अब दिग्विजय की राजगढ़ सीट भी सियासी निशाने पर आ गई है।
भाजपा के दो निशाने
मिशन 2024 फतह करने में जुटी भाजपा ने अपना सारा फोकस छिंदवाड़ा और राजगढ़ में कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटें जीतने का संकल्प लिया है। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी का हर छोटा बड़ा नेता पहले छिंदवाड़ा फिर राजगढ़ की बात करता नजर आ रहा है। भाजपा के नेताओं का मानना है कि छिंदवाड़ा को जीत लिया तो प्रदेश की अन्य 28 सीटें मोदी और उनकी गारंटी के बल पर ही जीत जाएंगे। जबकि हकीकत इससे कोसों दूर है। जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी छिंदवाड़ा और राजगढ़ को जीतने के लिए ब्यूह रचना करने में जुटी है, उससे यह स्पष्ट है कि भाजपा नेताओं ने खुद को दो संसदीय क्षेत्रों में ही सीमित कर लिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छिंदवाड़ा को लेकर भाजपा को लक्ष्य दिया था। इस पर कांग्रेस में तोड़-फोड़ हुई। अभी छिंदवाड़ा में कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ सांसद हैं। अब दिग्विजय की राजगढ़ सीट पर भी तोड़-फोड़ से लेकर अन्य पैतरें बढ़ सकते हैं। राजगढ़ में भाजपा सांसद रोडमल नागर हैं। पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी मोना सुस्तानी थीं, जो कुछ समय पूर्व भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। मोना को भी दिग्विजय खेमे का माना जाता था। राजगढ़ को दिग्विजय की परंपरागत सीट माना जाता है। उनका गहरा नेटवर्क है। ऐसे में भाजपा के लिए चुनौती बढ़ी है।
टारगेट पर राजगढ़ भी
छिंदवाड़ा के बाद भाजपा का फोकस राजगढ़ पर है। राजगढ़ सीट पर भाजपा का फोकस इस कारण बढ़ गया है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह वहां से चुनाव लड़ रहे हैं। राजगढ़ संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्रों में छह पर भाजपा और दो पर कांग्रेस के विधायक हैं। यानी विधानसभा चुनाव के मतों पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो भाजपा काफी आगे है, लेकिन दिग्विजय सिंह तीस साल बाद अपने गृह क्षेत्र में लौटे है, इससे क्षेत्र की जनता में उनको लेकर नई तरह की उत्सुकता है। यह बात अलग है कि दिग्विजय सिंह के साथ वर्षों काम किए कई कांग्रेस नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है। दिग्विजय सिंह अपने गृह क्षेत्र से संसद में पहुंचने के लिए 76 साल की उम्र में भी प्रतिदिन बीस किलोमीटर पैदल चलेंगे और जनता से यह भी कह सकते हैं कि यह उनके राजनैतिक जीवन का अंतिम चुनाव है। हालांकि राजनेता कभी अपने आप को बुजुर्ग और थका हुआ नहीं मानते। दिग्विजय सिंह ने बगलामुखी माता के दरबार में पूजा पाठ कर पैदल चुनाव प्रचार सुसनेर विधानसभा क्षेत्र से शुरू कर दिया है। दिग्विजय की तर्ज पर कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ता भी अपने-अपने प्रभाव के क्षेत्र में पैदल यात्रा कर दिग्विजय सिंह के लिए वोट मांगेंगे। भाजपा की नजर दिग्विजय सिंह की हर चाल पर है। अब दिग्विजय सिंह की पैदल यात्रा की काट करने के लिए भाजपा ने नए सिरे से मंथन शुरू कर दिया है। राजगढ़ को जीतने के लिए भाजपा के दिग्गज नेता तो मोर्चा संभालेंगे ही साथ ही संघ के कार्यकर्ता भी गांव-गांव पहुंचेगे, क्योंकि आरएसएस हमेशा दिग्विजय सिंह के निशाने पर रहता है। इसी कारण दिग्विजय को लोकसभा में पहुंचने से रोकने के लिए भाजपा व संघ कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
छिंदवाड़ा मेयर विक्रम अहके भी भाजपा में शामिल
कांग्रेस के मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा में कमलनाथ को लगातार झटके लग रहे हैं। अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह के बाद अब छिंदवाड़ा मेयर विक्रम अहके ने बीजेपी ज्वॉइन की है। भोपाल में सीएम हाउस पहुंचकर महापौर ने सीएम डॉ. मोहन यादव के समक्ष भाजपा की सदस्यता ली। मुख्यमंत्री मोहन यादव से उनकी कल सुबह मुलाकात हुई, जिसमें प्रदेश एवं छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई। साथ ही विभिन्न कर्मचारी वर्गों की समस्याओं को लेकर भी चर्चा हुई, जिस पर मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया कि लोकसभा चुनाव के बाद विस्तार पूर्वक चर्चा कर कर्मचारी हित में निर्णय लिए जाएंगे। सूत्रों की मानें तो रविवार रात मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ छिंदवाड़ा के महापौर विक्रम अहके और सभापति प्रमोद शर्मा की मुलाकात हुई। इस मुलाकात में तय हो गया था कि विक्रम और सभापति प्रमोद के साथ बड़ी संख्या में छिंदवाड़ा के कांग्रेसी भाजपा में शामिल होंगे।
छिंदवाड़ा पर सबसे अधिक फोकस
भाजपा की नजर इस बार कांग्रेस की एक मात्र सीट छिंदवाड़ा पर सबसे अधिक है। भाजपा इस बार कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कमल खिलाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। कमलनाथ के खास सिपहसालारों को भाजपा में शामिल कराकर भाजपा ने हर तरह से छिंदवाड़ा पर फोकस बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का प्रदेश की सभी सीटों पर फोकस तो है ही, लेकिन छिंदवाड़ा पर सबसे अधिक है। इसी कारण छिंदवाड़ा के कांग्रेस पार्टी के सबसे अधिक बड़े नेता व कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के एक मात्र विधायक कमलेश शाह छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से है। विपरीत परिस्थितियों के बाद भी 77 वर्षीय कमलनाथ हार नहीं मान रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब जनता से इमोशनल होकर पुत्र नकुल नाथ के लिए वोट मांग रहे हैं। कमलनाथ इस बात के लिए पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि छिंदवाड़ा जिले की जनता उनकी 44 साल की सेवा को ध्यान में रखकर वोट देगी। नाथ का साफ कहना है कि नेताओं के आने जाने से फर्क नहीं पड़ता। जिले की जनता सच्चाई के लिए कांग्रेस का साथ देगी। दूसरी तरफ भाजपा कमलनाथ की तर चाल पर बहुत नजदीकी से नजर रख रही है। इसी कारण मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के अलावा प्रदेश मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य कैलाश विजयवर्गीय तथा प्रहलाद पटेल की छिंदवाड़ा पर विशेष नजर है। इस बार छिंदवाड़ा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा कराने की भी तैयारी की जा रही है। मतलब साफ है कि भाजपा हर हाल में छिंदवाड़ा का रण जीतना चाहती है।

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