- ग्वालियर-चंबल के मतदाताओं को कैसे निकालेंगे घर से
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पहले दो चरण के चुनाव में मतदान प्रतिशत घटने से राजनीतिक दल और चुनाव आयोग भी चिंतित है। सभी अपने-अपने स्तर पर मतदान बढ़ाने के लिए प्रयास भी कर रहे हैं लेकिन, इसके परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। पहले चरण में मतदान घटने के बाद राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग ने प्रयास बढ़ाए पर दूसरे चरण में मत प्रतिशत और घट गया। अब चुनौती तीसरे चरण की नौ लोकसभा सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ाने की है। खासकर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की लोकसभा सीटों को लेकर चुनाव आयोग और पार्टियां चिंतित हैं। इसकी वजह यह है कि यहां कम मतदान की परंपरा सी बन गई है। ऐसे में इस गर्मी के मौसम में यहां के मतदाताओं को घर से निकालकर बूथ तक पहुंचाना बड़ी चुनौती है।
प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटों पर 5 करोड़ 63 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। दो फेज में 12 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। इन सीटों पर मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 24 लाख से ज्यादा है। दोनों फेज में औसत 63.32 प्रतिशत (पहले फेज में 67.75 प्रतिशत व दूसरे फेज में 58.59 प्रतिशत) मतदान हुआ यानी करीब 1 करोड़ 42 लाख मतदाताओं ने वोटिंग की। करीब 83 लाख मतदाता वोटिंग करने घरों से ही नहीं निकले। वोटिंग नहीं करने वालों में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। तीसरे फेज में 7 मई को नौ सीटों पर वोटिंग होगी। इसमें भिंड, मुरैना और ग्वालियर में चुनौती अधिक है, क्योंकि यहां प्रदेश में सबसे कम मतदान रहता है। 2014 में भिंड में सबसे कम 45.63 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2019 में भी यही स्थिति। दस प्रतिशत मतदान तो बढ़ा पर 54.42 प्रतिशत के साथ प्रदेश में यह सबसे कम था। दूसरा स्थान ग्वालियर का था। मुरैना चौथे नंबर पर था 2014 में भी यही स्थिति थी।
क्या सफल होगी रणनीति
प्रदेश की छह-छह सीट को मिलाकर कुल 12 लोकसभा सीटों पर दो चरण में हुए मतदान हो चुका है। इनमें 2019 की तुलना में क्रमश: 7.48 और 9.6 प्रतिशत मतदान कम रहा। इसे देखते हुए भाजपा और कांग्रेस ने रणनीति बदली और कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर सक्रिय किया तो मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने भी चलें बूथ की ओर अभियान चलाने का निर्णय किया। सात मई को तीसरे चरण में शामिल भिंड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, सागर, राजगढ़, विदिशा, भोपाल और बैतूल लोकसभा क्षेत्र में मतदान होगा। इनमें से भिंड संसदीय क्षेत्र ऐसा है, जहां मतदान कम रहता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भिंड के अंतर्गत आने वाले अटेर विधानसभा में सबसे कम 49.34 प्रतिशत मतदान रहा था। भिंड में भी 49.49 मतदान ही घरों से निकले थे। छह विस क्षेत्रों में 60 प्रतिशत से कम मतदान रहा था तो भांडेर और दतिया सीट ही ऐसी थीं, जहां मतदान 60 प्रतिशत से अधिक रहा था। ग्वालियर लोकसभा की बात करें तो यहां भी 59.78 प्रतिशत मतदान रहा था, जो 2014 की तुलना में 7.05 प्रतिशत अधिक था पर विधान सभावार देखा जाए तो पांच विस में यह 60 प्रतिशत से कम रहा था। मुरैना में भी यही स्थिति थी। यहां की भी पांच विस में मतदान 60 प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाया। इसे देखते हुए भाजपा ने पन्ना और अद्र्ध पन्ना प्रभारियों को घर-घर संपर्क करने का दायित्व सौंपा है तो पार्टी आयुष्मान योजना के लिए 70 से अधिक आयु के व्यक्तियों से संकल्प पत्र भरवाने के माध्यम से संपर्क साध रही है।
मतदान प्रतिशत बढ़ा ना बड़ी चुनौती…
तीसरे फेज में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग एक्शन मोड में आ गया है। तीसरे फेज में शामिल नौ सीटों के सभी 20,456 मतदान केंद्रों पर एक मई को ‘चले बूथ की ओर’ अभियान चलाएगा। अभियान के अंतर्गत हर मतदान केंद्र पर बूथ जागरूकता समूह के सदस्यों, कैम्पस एम्बेसडर, रहवासी कल्याण समिति, चुनावी साक्षरता क्लब, गैर सरकारी संगठन, चुनाव पाठशाला और स्थानीय लोगों के जरिए सघन स्वीप गतिविधियां आयोजित कर लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए जागरुक एवं प्रेरित किया जाएगा। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मप्र अनुपम राजन ने चलें बूथ की ओर अभियान को लेकर सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों व कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं। ऐसे ही सात मई को चौथे चरण की 8 सीटों के 18 हजार 7 मतदान केंद्रों पर यह अभियान चलाया जाएगा। सीईओ अनुपम राजन ने सोमवार को तीसरे और चौथे चरण में मतदान वाले लोकसभा संसदीय क्षेत्रों से संबंधित कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को वीसी के जरिए निर्देश दिए कि मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए रणनीति बनाकर विशेष गतिविधियां आयोजित करें, ताकि हर मतदाता को यह याद रहे कि मतदान के दिन उसे वोट करना ही है। सभी कलेक्टर यह सुनिश्चित करें कि मतदाताओं को वोटर पर्ची व वोटर गाइड बांटने के लिए बीएलओ खुद जाएं और यह कार्य पूरी जिम्मेदारी के साथ पूरा करें।