प्रदेश में बेपटरी हुई केन्द्र की किसान ट्रेन योजना

किसान ट्रेन योजना
  • समय पर बाजार नहीं पहुंच रहीं सब्जियां और फल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश के एक कोने से दूसरे कोने तक किसानों द्वारा उत्पादित सब्जियों और फलों को सस्ती दर पर समय पर पहुंचाने के लिए सरकार ने किसान ट्रेन योजना शुरू की थी, लेकिन यह योजना अब लगभग बेपटरी हो गई है। इस कारण सब्जियां और फल समय पर बाजार में नहीं पहुंच पा रही हैं। ऐसे में किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। उनकी सब्जियां और फल सडऩे लगे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार से मिल रहे सहयोग के चलते प्रदेश के किसानों के पास एक ओर जहां भरपूर फल, सब्जी और अनाज पैदा हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें समय पर बाजार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उन्हें टमाटर, गोभी, बैंगन जैसी सब्जियों को औने- पौने दाम में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। कई बार तो नौबत यहां तक आ जाती है कि परिवहन की लागत तक नहीं निकलती है। हाल ही में मटर के साथ ऐसा ही हुआ और किसानों को भारी मात्रा में मटर फेंकनी पड़ी। ऐसा नहीं है कि योजना कारगर नहीं है। दरअसल किसानों के सामने सबसे बड़ी परेशानी सस्ते परिवहन की है। किसानों ने गेहूं, सोयाबीन का उत्पादन कम करके फल, सब्जी और मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ा तो लिया है, लेकिन बेचने की व्यवस्था वही पुरानी है। इस कमी को लेकर भारतीय किसान यूनियन के नर्मदापुरम जिला संगठन मंत्री सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि परिवहन के स्थायी साधन पर काम होना चाहिए, ताकि किसानों के सामने कोई समस्या न हो। इसमें किसान ट्रेन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती थी। रेलवे को इसे पुन: शुरू करना चाहिए।
3 साल पहले शुरू हुई थी योजना
सरकार योजनाएं बनाती है और उस पर काम भी शुरू हो जाता है। कुछ समय तक तो सब कुछ ठीक ठाक चलता है, फिर धीरे-धीरे काम में शिथिलता आती जाती है और बाद में पता चलता है कि योजना फुस्स होने के कगार पर पहुंच गई है। कुछ ऐसा ही हुआ है, किसान ट्रेन योजना के साथ। किसानों की समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में किसान ट्रेनों के परिचालन का निर्णय लिया था। इस ट्रेन को चलाने का मकसद यह था कि किसानों की फसल, अनाज आदि को आसानी से कम लागत पर एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया जा सके और वह खराब होने से पहले ग्राहकों तक पहुंच सकें। इसके लिए पहली ट्रेन साल 2020 में इंदौर के लक्ष्मीबाई स्टेशन से गुवाहाटी के बीच चलाई गई थी। इस ट्रेन को प्याज, लहसुन समेत अन्य उत्पाद भी मिले थे। इसी तरह दूसरे स्टेशनों से भी अलग-अलग शहरों के लिए किसान ट्रेनें चलाईं गईं थी, तब से लेकर आज तक ये ट्रेनें दोबारा पटरी पर नहीं दौड़ीं।
कोल्ड स्टोरेज नहीं होना भी समस्या
प्रदेश के भोपाल, सीहोर, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, रायसेन, विदिशा, धार, इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर समेत अन्य जिलों में फसल विविधीकरण योजना के तहत किसानों ने नगदी फसलें लेने पर जोर दिया है। हरदा जिले के किसान बसंत रायखेरे का कहना है कि फल व सब्जी ऐसे उत्पाद है, जिन्हें किसान तोडऩे के बाद बाहर नहीं रख सकता। इनके लिए कोल्ड स्टोरेज बहुत जरूरी है। यह सुविधा एक जिले में एक स्थान पर पर्याप्त नहीं है, बल्कि ऐसी यूनिटों की जगह-जगह जरूरत है। तभी नगदी फसल लेने का फायदा होगा।  एडीजी पीआर रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली योगेश कुमार बावेजा का कहना है कि परिचालन बंद होने की वजह पता करवाता हूं। जहां तक दोबारा शुरू करने की बात है तो इस पर संबंधित रेलवे मांग के अनुरूप कार्रवाई कर सकता है। बोर्ड ने रेलवे को रोका नहीं है। यदि बोर्ड स्तर तक भी किसान ट्रेनों के परिचालन की मांग आएगी तो फिर शुरू कर देंगे।

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