मप्र को केंद्रीय योजनाएं बनाएंगी आत्मनिर्भर

केंद्रीय योजनाएं

-बजट में विकास के लिए कई केंद्रीय योजनाओं का लिया जाएगा सहारा
-छोटे-बड़े उद्योग और रोजगार को पटरी पर लाना सरकार की प्राथमिकता
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
मप्र सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट 8 मार्च को पेश करेगी। सरकार का पूरा फोकस आत्मनिर्भर मप्र पर है। ऐसे में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार केंद्रीय योजनाओं को सहारा बनाएगी। इसलिए बजट में नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कृषि सहित अन्य विभागों से जुड़ी केंद्रीय योजनाओं के लिए अंशपूंजी रखी जाएगी। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क, मनरेगा, शहरों में सीवर लाइन, अमृत मिशन आदि के काम प्राथमिकता पर किए जाएंगे। कृषि क्षेत्र में अधोसंरचना निधि का अधिक से अधिक उपयोग करने के साथ यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के प्रविधान किए जाएंगे। प्रदेश पर दो लाख 67 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। जुलाई 2022 से राज्य को लगभग 15 हजार करोड़ की जीएसटी क्षतिपूर्ति मिलना भी बंद हो जाएगी। ऐसे हालात में आर्थिक गतिविधियों को बरकरार रखने के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाना सरकार के लिए सबसे बढ़ी चुनौती है। इसके लिए आमदनी बढ़ाने के साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योगों को बढ़ावा देना होगा, क्योंकि यही ऐसा क्षेत्र है जो कम लागत में अधिक रोजगार उपलब्ध कराता है। बजट में सरकार का फोकस भी इसी क्षेत्र पर रहने की संभावना है। वहीं, अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए पथ विक्रेता, एमएसपी जैसी योजनाओं को विस्तार दिया जा सकता है क्योंकि इससे छोटे-छोटे काम करने वालों को काफी मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था में गति आएगी। इसके अलावा निवेश को बढ़ावा देने के साथ खर्च में कटौती कर विकास का मार्ग प्रशस्त करना होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह भी चुके हैं कि यह बजट सिर्फ आय-व्यय का पत्रक नहीं होगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को गति देने वाला साबित होगा।
तीन लाख आवास बनाए जाएंगे
दिसंबर 2023 तक कम आय वर्ग को तीन लाख आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। इसके लिए बजट में प्रविधान होगा। प्रधानमंत्री आवास शहरी और ग्रामीण ज्यादा से ज्यादा बनाने के लिए नगरीय विकास एवं आवास और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को इस बार अधिक बजट देना प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री भू-अधिकारी आवासीय योजना के हितग्राहियों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लाभ दिलाया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए चार सौ करोड़ रुपये का प्रविधान रहेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया जाएगा।
2024 तक सभी घरों में पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य:  सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में पेयजल नल के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बजट में पिछले बार 79 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। इस बार भी विभाग को अधिक राशि दी जाएगी। मई 2023 तक पूरी होने वाली समूह नल-जल योजना को फास्ट ट्रेक पर क्रियान्वित किया जाएगा। वहीं, आगामी समय में बिजली की मांग को देखते हुए नए ताप विद्युत गृह की स्थापना, वितरण व्यवस्था में सुधार, सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार काम करेगी। इसकी कार्ययोजना बजट में प्रस्तुत की जाएगी। 2023 तक 45 हजार सोलर पंप लगाए जाएंगे। ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पार्क, आगर, शाजापुर, नीमच और छतरपुर सोलर पार्क को भी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा: बजट में शिवराज सरकार का जोर छोटे और मझोले उद्योगों के विस्तार पर रहेगा। इसके लिए 14 क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं। यहां नया उद्यम प्रारंभ करने वाले उद्यमियों को भूखंड सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त ऋण देने संबंधी प्रविधान को 2023 तक बढ़ाया है, इसका लाभ राज्य के उद्यमियों को दिलाया जाएगा। शहरी पथ विक्रेताओं को स्वनिधी योजना के तहत बैंकों से ब्याज रहित ऋण दिलाया जाएगा। मुंबई- वाराणसी और इंदौर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर का लाभ लेने के लिए केंद्र सरकार से अधिक से अधिक सहायता ली जाएगी। मल्टी लॉजिस्टिक पार्क स्थापित करने के लिए इंदौर की तरह अन्य स्थानों का चयन करके भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के साथ अनुबंध किया जाएगा। केंद्र सरकार द्वार प्रस्तावित सात टेक्सटाइल पार्क में एक मध्य प्रदेश में स्थापित हो, इसके लिए पहल होगी।
जैविक खेती पर रहेगा जोर
केंद्र सरकार ने प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बजट में प्रविधान किया है। गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर किसानों की भूमि को प्राकृतिक खेती के गलियारे के तौर पर विकसित करने की घोषणा की गई है। इसी तरह पर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के दोनों तट से पांच किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक/जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए बजट में प्रविधान किया जाएगा। कृषि से जुड़े स्टार्टअप को नाबार्ड के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। फसल और सब्जियों की गुणवत्तायुक्त किस्मों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय सरकार के पैकेज के आधार पर योजना बनाई जाएगी। केंद्र सरकार प्रतिवर्ष किसानों को छह हजार और राज्य चार हजार रुपये सम्मान निधि देती है। इसके लिए बजट में 3600 करोड़ रुपये का प्रविधान होगा।
सिंचाई परियोजना पर ध्यान
आगामी तीन वर्षों में तीन लाख 75 हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपये विभिन्न बैंकों के माध्यम से सरकार की गारंटी पर जुटाए जाएंगे। नर्मदा नदी से जुड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति देने के साथ काम प्रारंभ करने का लक्ष्य तय किया गया है। दरअसल, वर्ष 2024 में नर्मदा जल बंटवारे को लेकर नए सिरे से कवायद होगी। नर्मदा घाटी विकास और जल संसाधन विभाग को सिंचाई परियोजना को पूरा करने के लिए बजट में अधिक राशि दी जाएगी।

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