- प्रदेश को सिर्फ करना होगा जमीन का अधिग्रहण
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्र सरकार ने मप्र के शहरों में बढ़ते वाहन और जगह-जगह लगने वाले जाम से मुक्ति के लिए सेतु बंधन योजना में10 शहरों में 21 फ्लाई ओवर स्वीकृत किए हैं। खास बात यह है कि इसके लिए 105 करोड़ रुपए का प्रावधान भी कर दिया है।
फ्लाई ओवर की पूरी निर्माण लागत केन्द्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी, लेकिन इनके लिए जमीन का अधिग्रहण राज्य सरकार को अपने खर्च पर करना होगा। इनके निर्माण के लिए केन्द्र सरकार ने तीन साल की समय सीमा तय की है। वहीं, अटल प्रोग्रेस वे के लिए 906 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत सर्वाधिक पांच फ्लाईओवर इंदौर शहर के लिए स्वीकृत किए गए हैं जबकि भोपाल के खाते में तीन फ्लाईओवर ही आए हैं। पहले इसके लिए राशि राज्य सरकार को व्यय करनी थी, लेकिन अब इसका भुगतान भी केंद्र सरकार करेगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के लिए भूमि स्वामी की नामवार अधिसूचना जल्द ही जारी की जाएगी। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में लोक निर्माण विभाग की समीक्षा में यह जानकारी दी गई। बैठक में बताया गया की इसके लिए शहरों का चयन किया जा चुका है। कलेक्टरों से फ्लाई ओवर के प्रस्ताव मांगे गए हैं। आठ जिलों ने सूची भेज दी है। इनका परीक्षण करने के बाद भूमि अधिग्रहण की स्थिति और जरूरत का आंकलन विभाग से कराया जाएगा। इसके आधार पर प्राक्कलन तैयार करके केंद्र सरकार को भेजकर स्वीकृति प्राप्त की जाएगी। योजना में जबलपुर के लिए दो, ग्वालियर व सागर के लिए तीन, रतलाम, खंडवा धार ,छतरपुर और विदिशा शहर के लिए एक-एक फ्लाईओवर स्वीकृत किया गया है।
अटल प्रोग्रेस वे के लिए 609 हेक्टेयर भूमि की मुसीबत
वहीं, अटल प्रोग्रेस वे की समीक्षा में बताया गया कि परियोजना के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को भिंड, मुरैना और श्योपुर जिले की एक हजार 623 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की जा चुकी है। एक हजार 178 हेक्टेयर निजी भूमि परियोजना में आ रही है। मुरैना में 190 और भिंड में 21 हेक्टेयर भूमि सहमति के आधार पर प्राप्त हो रही है। इसमें किसानों को भूमि के बदले भूमि दी जा रही है। जबकि, मुरैना में 50 और भिंड में 21 हेक्टेयर भूमि किसान देने के लिए तैयार नहीं हैं। श्योपुर में भूमि स्वामी 609 हेक्टेयर भूमि देने के लिए तैयार नहीं हैं। अब कुल 906 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए भूमि स्वामी के नाम से अधिसूचना जारी की जाएगी। एनएचएआइ के प्रविधान के अनुसार यहां भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई होगी और संबंधित भूमि स्वामी को भूमि का दोगुना बाजार मूल्य देकर भूमि ली जाएगी। भूमि अधिग्रहण में साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक लगेंगे। यह राशि अब केंद्र सरकार देगी। वहीं, 403 हेक्टेयर वन भूमि के लिए प्रस्ताव तैयार हो चुका है। इसे 10 जुलाई तक केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त करने के लिए दिसंबर 2022 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है।
आठ पैकेज में बांटकर होगा निर्माण
अटल प्रोग्रेस वे को आठ पैकेज में विभाजित किया गया है। पहला पैकेज राजस्थान और आठवां उत्तर प्रदेश में आएगा। जबकि, 306 किलोमीटर लंबाई के छह पैकेज मध्य प्रदेश की सीमा में आएंगे। इसकी निर्माण लागत सात हजार 997 करोड़ रुपये आंकी गई है। भूमि अधिग्रहण सहित अन्य व्यय मिलाकर यह आठ हजार 896 करोड़ रुपये होगी।