- करोड़ा रुपए का बजट पड़ा है खाते में, लेक्चर के लिए एक्सपर्ट तक की व्यवस्था नहीं
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही की वजह से पहले से ही कई विभागों में छात्रों का आकाल पड़ा हुआ है, इसके बाद भी यहां का प्रबंधन अपने कामकाज में सुधार लाने की जगह भर्राशाही को प्राथमिकता में रखे हुए है। शायद यही वजह है की विवि में व्यवस्थाएं सुधरने की जगह बिगड़ती ही जा रही हैं। शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर विवि प्रबंधन कितना लापरवाह है इससे ही समझा जा सकता है की चार सालों पहले विवि के आधा दर्जन विभागों को सेंटर आॅफ एक्सीलेंस बनाने के लिए स्वीकृति दी गई थी और इसके लिए करोड़ों रुपए का बजट भी मुहैया कराया गया था, लेकिन अब तक यह सेंटर शुरू होना तो दूर लेक्चर के लिए एक्सपर्ट तक की व्यवस्था तक भी नहीं की गई है। इतना जरुर है की इस मद में खरीदी जाने वाली सामग्री जरुर खरीद ली गई है। दरअसल प्रबंधन की प्राथमिकता में सामान खरीदी की बनी रहती है।
टीचिंग डिपार्टमेंट को सेंटर आॅफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित कर विद्यार्थियों को आधुनिक उपकरणों से लैस लैब, ई-रिसोर्स में कंप्यूटर, स्मार्ट क्लासेस, ई-लाइब्रेरी जैसी फैसिलिटी दी जानी थी, लेकिन यह प्रोजेक्ट दो साल से टेंडर प्रक्रिया से ही बाहर नहीं आ पा रहा है। दरअसल राज्य सरकार ने विश्व बैंक प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 2019 में 11.01 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। साथ ही विवि को अपने फंड से सेंटर आॅफ एक्सीलेंस बनाने और बाद में राशि प्रतिपूर्ति (रेम्बर्समेंट) करने का भी वादा किया गया था। इसके लिए जनवरी 2022 में 5.50 करोड़ रुपए विवि के खाते में भी जमा कराए जा चुके थे। इस प्रोजेक्ट की टाइमलाइन इसी महीने खत्म होने जा रही है। खास बात यह है की इन सभी डिपार्टमेंट्स के लिए 54 लाख रुपए का फर्नीचर लेना था, जबकि खरीदी 63.98 लाख की कर ली गई। वहीं एक डिपार्टमेंट में 92.99 लाख रुपए के माइक्रोस्कोप की खरीदी भी की गई है। इसके बाद भी अब तक 60 फीसदी उपकरण नहीं आ सके हैं। इस एक्सीलेंस सेंटर के बन जाने से इसका लाभ लाभ यूटीडी के अलावा संबंद्ध कॉलेजों के 85 हजार स्टूडेंट्स को मिल सकता है। किसी डिपार्टमेंट को सेंटर आॅफ एक्सीलेंस बनाने और सिर्फ संबोधित कराने में बहुत फर्क है। यदि विवि सुविधाएं देता तो स्टूडेंट्स के नॉलेज और रिसर्च वर्क के स्तर में वृद्धि होती । उपकरण खरीदी में देरी हो सकती है, लेकिन स्टडी टूर और एक्सपर्ट फैकल्टी के लेक्चर शुरू कराए जा सकते थें, क्योंकि इनके लिए टेंडर की जरूरत नहीं होती। इसके बाद भी इस तरह के कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
किस डिपार्टमेंट के लिए कितना फंड
कॉमर्स डिपार्टमेंट में ई-रिसोर्स के लिए 10 लाख, इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट के लिए 10 लाख, ई-लाइब्रेरी के लिए 15 लाख, प्रिक्योरमेंट आॅफ एडवांस इंस्ट्रूमेंट्स के लिए 12.5 लाख रुपए, साइकोलॉजी डिपार्टमेंट में ई-रिसोर्स के लिए 15 लाख, ई-लाइब्रेरी के लिए 15 लाख रुपए, प्रिक्योरमेंट आॅफ एडवांस इंस्ट्रूमेंट्स के लिए 60 लाख रुपए, सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट ई-रिसोर्स के लिए 15 लाख, ई-लाईब्रेरी के लिए 15 लाख, प्रिक्योरमेंट आॅफ एडवांस इंस्ट्रूमेंट्स के लिए 15 लाख रुपए , लैंग्वेज के लिए ई-रिसोर्स के लिए 15 लाख, ई-लाईब्रेरी के लिए 15 लाख, प्रिक्योरमेंट आॅफ एडवांस इंस्ट्रूमेंट्स के लिए 20 लाख, अर्थ साइंस – ई-रिसोर्स के लिए 10 लाख, ई-लाईब्रेरी के लिए 10 लाख, प्रिक्योरमेंट आॅफ एडवांस इंस्ट्रूमेंट्स के लिए 3.16 करोड़ और फिजिक्स डिपार्टमेंट के लिए ई-रिसोर्स के लिए 10 लाख, ई-लाईब्रेरी के लिए 10 लाख, प्रिक्योरमेंट आॅफ एडवांस इंस्ट्रूमेंट्स के लिए 4 करोड़ रुपए।
स्टूडेंट्स को यह फायदा
सब्जेक्ट एक्सपर्ट के लेक्चर से नॉलेज लेवल बढ़ता, पीएचडी स्टूडेंट को क्वालिटी रिसर्च में मदद मिलती, एमएससी स्टूडेंट रिसर्च प्रोजेक्ट कर पाते और छात्रों को रिसर्च के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता।- ई-लाइब्रेरी से एक विषय पर विभिन्न पब्लिशर्स की बुक्स उपलब्ध रहतीं।