चुनावी साल में केन्द्र बढ़ा रहा है मप्र सरकार की मुसीबत

मप्र सरकार
  • ग्रामीण पंचायत विभाग ने चार माह में नहीं दिया एक भी पैसा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव में महज दो माह का ही समय रह गया है, ऐसे में प्रदेश सरकार का पूरा फोकस ग्रामीण इलाकों के तमाम विकास कार्यों पर है। सरकार की मंशा है कि तमाम आधे अधूरे विकास काम चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले पूरे हो जाएं, जिससे की उसका फायदा भाजपा प्रत्याशियों को चुनाव में मिल सके, लेकिन इसमें सबसे बड़ा रोड़ा बजट का संकट बन रहा है। यह संकट केन्द्र सरकार ने बेहद बढ़ा रखा हैै।
खास बात यह है कि चुनाव साल होने के बाद भी प्रदेश को अपने कोटे की राशि में से बीते चार माह में एक भी पैसा नहीं मिला है। इसकी वजह से कई काम लगभग बंद पड़े हुए हैं। यह हाल तब हैं, जबकि केन्द्रीय पंचायत एवं गा्रमीण विकास मंत्रालय प्रदेश के ही भाजपा सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर के पास है। ऐसा नहीं है कि केन्द्र के एक ही विभाग से प्रदेश को सहयोग नहीं मिल पा रहा है , बल्कि ऐसे करीब एक दर्जन विभाग हैं, जिनके द्वारा भी राशि का आंवटन नहीं किया जा रहा है। इसकी वजह से सरकार को कई काम तो कर्ज लेकर कराने पड़ रहे हैं। वित्त विभाग के पोर्टल पर नजर डालें, तो पता चलता है कि नए वित्त वर्ष के शुरुआती चार माह में तो प्रदेश के एक दर्जन विभागों को केन्द्र सरकार ने एक भी ढेला नहीं दिया है। इसी तरह से प्रदेश के सभी 66 विभागों को डिमांड की तुलना में महज 11 प्रतिशत राशि ही दी गई है। इनमें सबसे अहम माने जाने वाले स्वास्थ्य विभाग को भी महज 10 प्रतिशत ही राशि दी गई है। बजट मिलने में हो रही बेहद देरी की वजह से प्रदेश के वित्त विभाग ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है। केन्द्र से राशि नहीं मिलने की वजह से अकेले महिला एवं बाल विकास विभाग को लाड़ली बहना योजना के लिए हर माह 12,00 करोड़ से अधिक की राशि की व्यवस्था करनी पड़ रही है। इसी तरह से जल जीवन मिशन, किसान सम्मान निधि, विधवा पेंशन, निराश्रित पेंशन और पंचायत के विकास कामों के लिए भी राशि जुटाने के लिए मप्र को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अगर बजट में किए गए प्रावधानों पर नजर डालें तो इसमें 50,018 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था, जिसमें राज्य का हिस्सा 15,339 करोड़ को है, जबकि केन्द्र से 34,678 रुपए मिलने हैं, जबकि शुरुआती चार माह में प्रदेश को महज 3,959 करोड़ रुपए ही मिल सके हैं। यह राशि महज 11.41 प्रतिशत होती है।
यह हैं प्रावधान
केंद्र सरकार से जो राशि दी जाती है, उसमें राज्य के विभागों को अपने हिस्से के रुप में 40 प्रतिशत राशि मिलानी पड़ती है। केंद्र का कहना है कि जब तक 75 प्रतिशत राशि का उपयोग करने संबंधी प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता, तब तक अगली किस्त नहीं दी जाएगी। वित्त विभाग ने राशि जारी करने के लिए केंद्र को इसलिए पत्र लिखा है क्योंकि, विभाग अपने हिस्से की 40 प्रतिशत राशि शामिल नहीं करते हैं। यही वजह है कि प्रदेश के वित्त विभाग ने निर्देश दिए हैं कि विभिन्न योजनाओं की राशि खर्च करने के पहले वित्त की मंजूरी जरूर लें।
सडक़ों के लिए नहीं है पैसे की कमी
सूत्रों को कहना है कि तमाम विभागों को जहां केन्द्र से बजट न मिलने के संकट का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में इसके उलट सडक़ मद में केंद्र से समय पर प्र्याप्त राशि मिल रही है। इसकी वजह है लोक निर्माण द्वारा सडक़ों के निर्माण का समय पर गुणवत्ता प्रमाण पत्र भेजा जाना। इस वजह से सडक़ों पर प्रदेश में तेजी से काम हो रहा है।

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