- 51 लाख के लिए जिला प्रशासन को भेजा गया 5 बार रिमाइंडर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
करीब एक दशक पहले व्यापमं घोटाले की जांच के लिए सीबीआई ग्वालियर पहुंची तो वह पांच साल तक किराए के कमरों में रुकी रही। इस दौरान किराया भी नहीं चुकाया गया। जानकारी के अनुसार, सीबीआई की टीम यहां पर दो किस्तों में 5 साल तक रुकी रही और 51 लाख का किराया चुकाए बिना यहां से चली गई। इस किराए के भुगतान के संबंध में कलेक्टर और एसपी से पत्राचार कर रिमाइंडर दिया जा चुका है , लेकिन आज दिनांक तक कोई भुगतान नहीं किया गया है।
जानकारी के अनुसार साल 2015 में जब सीबीआई व्यापमं की जांच करने ग्वालियर पहुंची थी तो उसे जिला प्रशासन द्वारा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में किराए पर कमरे लेकर ठहराया गया। सीबीआई ने यहां सालों तक डेरा डालकर अपना कब्जा भी रखा, लेकिन भुगतान के नाम पर आज तक एक कौड़ी नहीं दी। रजिस्ट्रार अनिल सक्सेना के मुताबिक, कई बार भुगतान के संबंध में कलेक्टर और एसपी से पत्राचार कर रिमाइंडर दिया जा चुका है लेकिन आज दिनांक तक कोई भुगतान कृषि विश्वविद्यालय को प्राप्त नहीं हुआ है। विश्वविद्यालय को शासन से सीमित राशि मिलती है, जिसमें मेंटेनेंस से लेकर बिजली और अन्य व्यवस्थाएं भी करनी पड़ती हैं। ऐसे में गेस्ट हाउस के चार्ज भी निश्चित किए गए हैं। लेकिन बुकिंग कराने वाली दोनों एजेंसी को लगातार पत्र के जरिए रिमाइंडर भेजे जा रहे हैं लेकिन भुगतान की अब तक कोई चर्चा नहीं है।
10 कमरों में रुकी थी सीबीआई की टीम
दरअसल, साल 2015 में व्यापम कांड की जांच के लिए सीबीआई की टीम ग्वालियर आई थी। उस दौरान ग्वालियर के तत्कालीन कलेक्टर द्वारा राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय हॉस्टल में 10 कमरे बुक कराए गए थे। सीबीआई का दल आया और 31 अगस्त 2015 से 31 मार्च 2017 तक यानी करीब 19 महीने इन कमरों में रहा। सीबीआई की टीम तो वापस गई लेकिन कमरों को खाली नहीं किया। नवंबर 2017 तक इन कमरों में सामान रखा रहा और फिर ये 10 कमरे खाली कर दिए गए। लेकिन इनका किराया भुगतान आज तक नहीं किया गया। बात यहीं खत्म नहीं हुई, करीब डेढ़ साल बाद सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों का एक और दल ग्वालियर आया। इस बार तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा सीबीआई दल के लिए एक बार फिर विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल हॉस्टल में 4 कमरे 7 दिनों के लिए बुक कराए गए। लेकिन अबकी बार सीबीआई के अधिकारी यहां 4 नवम्बर 2019 से 19 अप्रैल 2023 तक रहे और इस बार भी भुगतान नहीं किया गया। ग्वालियर कृषि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अनिल सक्सेना ने बताया कि बड़ी बात यह भी रही है कि चार कमरे जो बाद में बुक किए गए थे सीबीआई टीम ने उन्हें लंबे समय तक कब्जे में रखा। टीम जाने के बाद भी जब कमरे खाली नहीं किए गए, तो उनमें रखे सामान पर तालाबंदी कर दी गई। साथ ही एक गार्ड भी यहां तैनात किया गया था। हालांकि, करीब चार महीने पहले 2024 के आखिर में उन कमरों को खाली कराना पड़ा, क्योंकि विश्वविद्यालय इन कमरों का उपयोग नहीं कर पा रहा था। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बताया कि पहले बुक कराए गए 10 कमरों का करीब 26 लाख 3 हजार 800 रुपए का किराया बाकी है। जबकि दूसरी बार में बुक कराए गए 4 कमरों का लगभग 25 लाख 16 हजार रूपए किराया भी नहीं दिया गया। इस तरह सीबीआई के अधिकारियों को उपलब्ध कराए गए कमरों का लगभग 51 लाख 19 हजार 800 रु का किराया बाकी है, जो आज तक भुगतान नहीं किया गया।