वर्किंग प्लान पॉलिसी पर कैट ने फिर दिया सरकार को नोटिस

वर्किंग प्लान

भोपाल/गणेश पाण्डेय/ बिच्छू डॉट कॉम।
चहेते आईएफएस अफसरों को वर्किंग प्लान बनाने से बचाने के मुद्दे पर राज्य सरकार उलझती हुई नजर आ रही है। केंद्रीय प्रशासनिक न्याधिकरण (कैट) ने वन संरक्षक रमेश विश्वकर्मा की एक और याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस भेजा है। इस पर 3 हफ्ते बाद सुनवाई होगी। प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने  वर्किंग प्लान पदस्थापना में ऐसे अधिकारियों की पोस्टिंग कर दी , जिसकी वजह से  अब कोर्ट कचहरी के बीच में वर्किंग प्लान बनाने का मामला लटक गया है। अधिकारियों का कहना है कि वर्किंग प्लान पॉलिसी को लेकर प्रमुख सचिव वर्णवाल ने सरकार को भी गुमराह किया है। कैट के निर्देश पर शासन की ओर से अतुल मिश्रा ने प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल के आदेश पर रमेश विश्वकर्मा को लेकर अभ्यावेदन के जवाब देते हुए आदेश जारी किया कि वर्किंग प्लान की कोई पॉलिसी नहीं है। शासन प्रशासकीय आधार पर किसी भी पदस्थापना कर सकती है। जबकि कैट ने अपने पूर्व आदेश में यह स्पष्ट उल्लेख किया था कि जिन आठ  वरिष्ठ अधिकारियों को वर्किंग प्लान बनाने से छूट दी गई है, उसके कारण बताते हुए विश्वकर्मा के आवेदन का निराकरण करें। शासन के जवाब से असंतुष्ट वन संरक्षक विश्वकर्मा ने पुन: कैट में याचिका लगाई है।  याचिका स्वीकार करते हुए कैट ने शासन को नोटिस जारी किया है।
कैट में विश्वकर्मा की दलील

कैट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि वर्ष  2005 की पॉलिसी आज भी लागू है ,क्योंकि 2020 के शासन के आदेश से 2017 की पॉलिसी को निरस्त किया गया है। 16 अगस्त 2017 की पॉलिसी से 2005 की पॉलिसी में संशोधन करते हुए 3 वर्ष से कम उम्र वाले अधिकारियों को छूट दी गई थी, परन्तु 2005 की पॉलिसी को निरस्त नही किया गया था। शासन का कोई भी आदेश जारी नहीं हुआ जिसमे कि 2005 की पॉलिसी को निरस्त किया गया हो। अब शासन कह रहा है कि उम्र एवं वरिष्ठता का कोई प्रावधान उनकी 2020 की पॉलिसी में नहीं है। पालिसी फिर किस बात की है। इसका मतलब यह हुआ कि इस पॉलिसी के बहाने वन मंत्री विजय शाह को गुमराह किया जा रहा है, क्योंकि आपने अपने उत्तर में कहा है कि शासन द्वारा कार्य सुविधा की दृष्टि से योग्य अधिकारी की पदस्थापना  प्रशासकीय आधार पर की जाती है। इसका मतलब कि इस पॉलिसी से स्थानांतरण का कोई लेना देना नहीं है, तो पॉलिसी को रखने का क्या औचित्य है। इसे निरस्त किया जाए एवं केवल स्थानांतरण नीति की बात की जावे। या फिर कार्य आयोजना इकाइयों में पदस्थिति को लेकर एक नई सुस्पष्ट पारदर्शी पदस्थापना नीति जारी की जावे जो पढ़ने में सबके समझ में आए।

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