आयुष कॉलेजों में फर्जी तरीके से बारह सौ से अधिक छात्रों के प्रवेश का मामला

आयुष कॉलेजों
  • सालों इंतजार के बाद महज एक निलंबित , तीन से अब मांगा गया जवाब

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। ढाई दिन चले अढ़ाई कोस की कहावत पूरी तरह से प्रदेश के आयुष विभाग पर फिट बैठती है। इसकी वजह है प्रदेश का वह बहुचर्चित आयुष कॉलेज प्रवेश घोटाला, जिसमें करीब बारह सौ से अधिक छात्रों को नियमों को दरकिनार कर प्रवेश दे दिया गया था। इस मामले में अब जाकर विभाग की नींद तब खुली है जब खुद मुख्यमंत्री को कार्रवाई करने के निर्देश देने पड़े हैं। पांच साल बाद अब जाकर सक्रिय हुए विभाग ने इस मामले में कार्रवाई करने की शुरूआत में ही पांच साल लगा दिए हैं। इसके तहत पहली कार्रवाई अब जाकर डॉक्टर शोभना शुक्ला के निलंबन से की है। यही नहीं अब भी विभाग शोभना शुक्ला के साथ समिति में सहयोगी सदस्य के रुप में रहे डॉ. जेके गुप्ता, डॉक्टर बंदना बोराना और डॉ. सैयद अब्दुल नईम से महज जवाब तलब की तैयारी कर रहा है। आरोपियों में शामिल डॉ. जेके गुप्ता पर कार्रवाई करने के लिए विभाग द्वारा विधि विभाग से राय मांगी जा रही है। इसकी वजह है डॉ. गुप्ता का प्रतिनियुक्ति पर चिकित्सा शिक्षा विभाग में पदस्थ होना। वे आयुष महाविद्यालय शैक्षणिक सत्र वर्ष 2016-17 में समिति के सदस्य रहे हैं। इसी तरह से शैक्षणिक सत्र 2017-18 में सेंट्रलाइज काउंसलिंग के लिए गठित समिति में डॉक्टर शोभना शुक्ला के अलावा डॉ. वंदना बोराना दोनों ही सत्रों में समिति की सदस्य रहीं है। डॉक्टर जेके गुप्ता शैक्षणिक सत्र 2016-17 में समिति के सदस्य और डॉ. सैयद अब्दुल नईम तत्कालीन ओएसडी संचालनालय सत्र 2017-18 में सेंट्रलाइज काउंसलिंग समिति में शामिल थे। इस मामले में फिलहाल समिति के सदस्य रहे डॉ. जेके गुप्ता को आरोप पत्र जारी कर दिया गया है। जबकि डॉ. वंदना बोराना, डॉक्टर सैयद अब्दुल नईम डॉक्टर अंतिम नलवाया और डॉक्टर नीत कुशवाहा को कारण बताओ नोटिस जारी करने की तैयारी की जा रही है।
    यह है मामला
    इस पूरे मामले का खुलासा होने के बाद कमेटी गठित कर पड़ताल कराई गई तो सामने आया कि आयुष संचालनालय, मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने मिलकर अपात्रों को आयुष कॉलेजों में प्रवेश दिला दिया। जब इस मामले में वर्ष 2016 से 2018 तक आयुष कॉलेजों में हुए प्रवेश की जानकारी एकत्रित की गई तो सामने आया कि 1292 अपात्र छात्रों को प्रवेश दिया गया है।
    इसमें 2016 और 2017 में जो निजी आयुष कॉलेज एमपी आॅनलाइन की काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने अवैध तरीके से 1120 छात्रों को प्रवेश दे दिया। इसी तरह से वर्ष 2018-19 से नीट परीक्षा अनिवार्य होने के बावजूद निजी आयुष कॉलेजों ने गलत तरीके से छात्रों को आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी में सीधे प्रवेश दे दिया। इस मामले में तत्कालीन आयुक्त एवं मेडिकल यूनिवर्सिटी संदेह के दायरे में बनी हुई है। खास बात यह है कि यह जानकारी सामने आने के बाद जांच के लिए जो समिति बनाई गई,उसमें ऐसे अफसरों को शामिल किया गया था, जो आयुष आयुक्त की भूमिका की जांच ही नहीं कर सकते थे। इसकी वजह से जांच समिति की जांच केवल कक्ष प्रभारियों तक ही सीमित रह गई, जबकि आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर से काउंसलिंग की
    सूची भेजी गई थी।

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