- मप्र की यह कैसी सरकारी व्यवस्था
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अपराध करके जेल जाने वाले कैदी, बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। इसका खुलासा सरकारी व्यवस्था से हो रहा है। सरकारी व्यवस्था के अनुसार मरीजों के मुकाबले कैदियों की सेहत ज्यादा मायने रखती है। सरकार कैदियों के खाने के लिए 60-70 रुपए रोज देती है, वहीं मरीजों के खाने का बजट महज 48 रुपए रोजाना हैं। यानी मरीजों के मुकाबले कैदियों के खाने का बजट दोगुना से भी ज्यादा है।
हैरानी की बात यह है कि सरकार 48 रुपए में एक मरीज को सुबह का नाश्ता, दोपहर और रात का पौष्टिक खाना उपलब्ध कराना चाहती है। उल्लेखनीय है कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में तो मध्यप्रदेश के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा राशि मरीजों के खाने पर खर्च की जाती हैं। हमारे पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में मरीजों को दिए जाने वाले खाने पर सरकार 150 रुपए रोज खर्च करती है। गर्भवती महिलाओं के लिए 10 रुपए अतिरिक्त यानी 160 रुपए रोजाना बजट है। जो मध्यप्रदेश के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा है।
2017 से लागू है व्यवस्था
यह व्यवस्था वर्ष 2017 से लागू है। इसके पहले यह बजट 40 रुपये प्रतिदिन हुआ करता था। वहीं, दूसरी ओर रोगियों से अधिक व्यय कैदियों की भोजन व्यवस्था पर हो रहा है। अलग-अलग जेल में 60 से 70 रुपये प्रतिदिन उनके भोजन और नाश्ते पर खर्च किया जाता है। पिछले 10 वर्ष में चावल, दाल, सब्जी, फल, दूध सब कुछ लगभग दोगुना महंगा हो गया, पर रोगियों के भोजन के बजट में मात्र आठ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इतना ही नहीं, कई अस्पतालों में तो दिन भर में 40 रुपये से भी कम रोगियों के भोजन और नाश्ता पर खर्च नहीं हो रहा है। यह ऐसे कि अस्पतालों ने निर्धारित मेन्यू के अनुसार नाश्ता और भोजन उपलब्ध कराने के लिए 40 रुपये से कम में भी ठेकेदार तैयार हो गए। भोपाल में जेपी अस्पताल के अधीक्षक डा. राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि निविदा शर्तों के अनुसार अस्पताल में ठेकेदार 38 रुपये में अच्छी गुणवत्ता का खाना और नाश्ता उपलब्ध करा रहा है। ऐसे ही प्रदेश में कुछ अन्य अस्पताल भी हैं। सेवानिवृत स्वास्थ्य संचालक डॉ. केएल साहू का कहना है कि जिस तरह से महंगाई बढ़ी है, मरीजों के खाने और नाश्ते का बजट 48 रुपये बहुत कम है। उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए गुणवत्तापूर्ण खाना आवश्यक है। इसे बढ़ाकर कम से कम 80 रुपये किया जाना चाहिए।
एम्स में नाश्ता और भोजन पर 150 रुपये खर्च
केंद्र सरकार के अधीन आने वाले एम्स में एक मरीज के प्रतिदिन नाश्ता और भोजन पर 150 रुपये खर्च किया जा रहा है। वहीं, आयुष विभाग में दिनभर के लिए मात्र 40 रुपये ही बजट निर्धारित है। जब स्वास्थ्य विभाग में 40 रुपये बजट था तो , आयुष में 30 रुपये मिलता था। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में गर्भवती महिलाओं के लिए 40 रुपये प्रतिदिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की ओर से अतिरिक्त उपलब्ध कराया जाता है। कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों को सरकार ने 150 रुपये थाली के मान से होटलों का खाना खिलाया था। तर्क यही था गुणवत्तायुक्त खाना खाने से कोरोना मरीज जल्दी ठीक हो सकेंगे। जेल डीआइजी संजय पाण्डेय ने बताया कि जेलों में कैदियों के लिए बजट नहीं डाइट निर्धारित की गई है। इसमें दोपहर और रात का भोजन, सुबह का नाश्ता और शाम की चाय शामिल है। सभी का मेन्यू निर्धारित है। इसी के अनुसार जारी निविदा में सबसे कम रेट पर भोजन और नाश्ता उपलब्ध कराने वाले को ठेका दिया जाता है। इस पर अलग-अलग जेलों में प्रतिदिन 60 से 70 रुपये खर्च हो रहा है।
24/01/2024
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