कांग्रेस में प्रचार शुरू, भाजपा में… अब भी जारी है ऊहापोह

कांग्रेस-भाजपा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। नगर निगमों के महापौर पद के प्रत्याशियों को लेकर कांग्रेस व भाजपा में कवायद का दौर जारी है। इस बीच कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ते हुए करीब दस महापौर के नाम तय कर उन्हें चुनाव लड़ने की तैयारियां करने की हरी झंडी दे दी है। इन नामों की घोषणा आज संभावित है,उधर भाजपा में अब भी उहाफोह की स्थिति बनी हुई है। खास बात यह है की भाजपा इसके लिए कोर कमेटी और चुनाव प्रबंध समिति की बैठक तक नहीं कर सकी है, जिसकी वजह से निकाय चुनावों के लिए तय की जाने वाली गाइड लाइन पर अंतिम मुहर नहीं लग पा रही है। इसकी वजह से प्रत्याशियों के चयन का काम भी आगे नहीं बढ़ पा रहा है।  अब भाजपा कोर कमेटी की बैठक दो -तीन  दिन बाद होने की संभावना जताई जा रही है। यह बैठक पहले आज यानि की गुरुवार को बुलाई गई थी, जिसकी वजह से टिकट की चाह में प्रदेश भाजपा कार्यालय में दावेदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। वे प्रदेश अध्यक्ष व अन्य प्रदेश पदाधिकरियों से मिलकर अपना बायोडाटा सौंपते रहे। प्रदेश अध्यक्ष के न मिलने पर वे प्रदेश कार्यालय मंत्री और अन्य पदाधिकारियों से मिलकर टिकट का आग्रह कर रहे हैं। दरअसल पांच दिनों बाद प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा बुधवार को प्रदेश कार्यालय में पहुंचे थे, जिसकी जानकारी मिलने के बाद आसपास के शहरों से दावेदारों का भोपाल आना शुरू हो गया था। इनमें मेयर से लेकर पार्षद तक के प्रत्याशी पद  के दावेदार भी शामिल थे। कई नेता अपनी पत्नियों को  साथ  लेकर आए थे और उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष से मिलकर अपनी दावेदारी जताई। प्रदेश अध्यक्ष ने उनसे कहा कि पार्षद के नाम जिलों से तय होंगे और पार्टी योग्य और समर्पित कार्यकर्ताओं का टिकट वितरण में पूरा ध्यान रखेगी। इस दौरान इंदौर, देवास, सागर, उज्जैन समेत कई शहरों के दावेदारों ने प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात की। इनमें जिला और जनपद पंचायत का चुनाव लड़ने वाले नेता भी शामिल थे। इन नेताओं ने पार्टी से अधिकृत समर्थन मांगा।
विंध्य और मालवा पर भी फैसला संभावित
इस बैठक में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को भी बुलाया गया है। रीवा, सिंगरौली और सतना के नाम तय करने से पहले अजय सिंह व मालवा और निमाड़ क्षेत्र के लिए अरुण यादव से राय लेकर नामों पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। नगर निगम प्रभारी और उप प्रभारियों से मिले फीडबैक से पता चलता है कि महापौर पद पर चुनाव लड़ने  के लिए मुख्यतौर पर सामान्य सीटों पर मारामारी है। जबकि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की सीटों पर कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। उधर, कमलनाथ के गृहनगर छिंदवाड़ा में जुन्नारदेव विधायक सुनील उइके के नाम पर सहमति बन गई है।
कांग्रेस की अहम बैठक
महापौर पद के प्रत्याशियों के नाम तय करने और चुनाव की रणनीति बनाने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने आज पार्टी के अहम नेताओं की बैठक बुलाई है। इसमें जिले के प्रभारी, विधायक, नगरीय निकाय के प्रभारी, पूर्व विधायक सहित वरिष्ठ नेता हिस्सा ले रहे हैं। इसमें प्रभारी की रिपोर्ट पर विचार किया जाएगा। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि एक-दो दिन में महापौर पद के प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने बीते रोज भी गुपचुप तरीके से कोर ग्रुप के साथ निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर बैठक की। इसमें तय किया गया कि विधानसभा चुनाव की तर्ज पर निकाय चुनाव लड़ा जाएगा। सभी वरिष्ठ नेताओं को इसमें जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। सभी सहयोगी संगठन के पदाधिकारियों को मतदाता संपर्क अभियान चलाने के साथ मतदान केंद्र का प्रबंधन देखना होगा। प्रत्येक निकाय स्तर पर आरोप पत्र और वचन पत्र जारी होगा। आज हो रही बैठक में एक-एक नगर निगम के चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की जा रही है। इसके अलावा महापौर के साथ-साथ पार्षद पद के लिए प्रत्याशियों के चयन के लिए जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट पर भी विचार होना है।  यह बात अलग है की कांग्रेस अपने दस महापौर पद के प्रत्याशियों के नामों को पहले ही तय कर उन्हें चुनावी तैयारियों में लगा चुके हैं। इनमें भोपाल के अलावा इंदौर , जबलपुर,उज्जैन और सतना जैसे नगर निगम शामिल हैं।
भाजपा में ऐसे दावेदार
राजधानी में महापौर पद के लिए भाजपा संगठन और सरकार ऐसे चेहरे की तलाश में है जो नया हो, लेकिन शहर में उसकी पहचान हो। इस बीच पार्षद व महापौर का चुनाव हार चुके कुछ नेता दावेदारी करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। अधिकांश महिलाएं खुद के लिए और एक पूर्व पार्षद अपनी पत्नी के लिए आला नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। महापौर पद के लिए पार्टी के साथ ही उसकी विचारधारा से जुड़े लोगों में भी योग्य चेहरे को तलाशा जा रहा है। इधर, पार्टी के मौजूदा विधायक ऐसे लोगों को पार्षद या महापौर बनवाने की कोशिश कर रहे हैं जो सिर्फ उनकी सुनें। पिछले दो नगर निगम चुनाव में ऐसा काफी हद तक हो चुका है।

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