गौ संवर्धन की अलख जगाने शुरू होगा अभियान

गौ संवर्धन
  • गाय, गांव, गरीब के सेवक प्रहलाद सिंह पटेल, गौ वंश की सुरक्षा के लिए उतरेंगे सडक़ पर

भोपाल/गीत दीक्षित। ऐसा कहा जाता है कि राजनीति सेवा का सबसे बड़ा माध्यम है। अगर इस पर सही अर्थों में कोई खरा उतरता है, तो वह है केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल। प्रहलाद पटेल धर्म, अध्यात्म, गौ और गुरु भक्त की मिसाल हैं। वहीं उनके कर्तव्यों के कारण सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं में उन्हें गाय, गांव, गरीब का मसीहा माना जाता है। दरअसल, पटेल को ये सारे संस्कार जन्मजात मिले हैं। मप्र की जीवनदायिनी मां नर्मदा की गोद में बसे धार्मिक और आध्यात्मिक कसबे नरसिहपुर जिले के गोटेगावं में एक किसान परिवार में जन्मे प्रहलाद के बारे में कहा जाता है की बचपन के दिनों से ही उनका गौवंश से बेहद लगाव था। वे जैसे-जैसे बड़े होते गए गाय, गांव और गरीब के विकास और उत्थान के प्रति उनका समर्पण बढ़ता गया।
भारत सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और जल शक्ति जैसे अहम विभागों के राज्य मंत्री होने के बाद भी उनकी दिनचर्या गौ सेवा से शुरू होती है। गौ संवर्धन के लिए वे लगातार कार्य करते रहते हैं। वे कटनी जिले में नर्मदाखंड सेवा संस्थान मसंध, तहसील बहोरीबंद के संस्थापक हैं। वे नियमित रूप से विभिन्न रक्तदान और नेत्र दान शिविरों का संचालन करते हैं और गरीब बच्चों और व्यक्तित्व विकास पाठ्यक्रमों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न वर्गों का संचालन भी करते हैं।
जमीनी संघर्ष उनकी जीवन का बड़ा हिस्सा है लिहाजा वो खुद भी संघर्षशील हैं। छात्र जीवन से ही राजनीति के मैदान में उतरने वाले प्रहलाद पटेल ने धर्म और आध्यात्म का साथ नहीं छोड़ा, अपने पुरखों से मिली धार्मिक विरासत के साथ वो कर्मयोगी की तरह धर्म संस्कृति और आध्यात्म को अपनी रग रग में बसाए हैं। इसी का प्रभाव है कि उनके जीवन में गाय, गांव और गरीब का उत्थान पहला कर्तव्य बना हुआ है।   खासकर गौ संवर्धन के प्रति उनका समर्पण और सेवाभाव हमेशा दिखता है। व्यस्तताएं कितनी भी हो वे गौ सेवा निरंतर करते है। अपने गाँव के अलावा उनके दमोह, जबलपुर और दिल्ली के बंगलों में आपको गाय जरूर मिलेगी। घर से निकलते और आते वक्त गौ दर्शन और सेवा जरूर करते हैं। यही वजह है की उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र दमोह के जरारूधाम में एक बड़े गौ अभयारण्य का निर्माण कराया है, जहां हजारों की संख्या में गौ वंश हैं। गौ अभयारण्य का उद्देश्य गौ वंश के संरक्षण के साथ ही गौ वंश से ज्यादा मात्रा में दूध प्राप्त करने के लिए नस्ल सुधार भी है। जिससे किसानों की आय में वृद्धि की जा सके। बकौल प्रहलाद पटेल गौ अभयारण्य जरारूधाम को नस्ल सुधार का प्रोजेक्ट मिला था, जिसके तहत यहां गौशाला का निर्माण किया गया है। अब यहां गौशाला के साथ ही गौ वंश का नस्ल सुधार भी किया जा रहा है। नस्ल सुधार से गायों की दूध देने की क्षमता बढ़ेगी। किसी 7 लीटर वाली गाय का नस्ल सुधार करने से उसकी आने वाली पीढ़ी 20 लीटर तक दूध दे सकेगी। जिसका सीधा फायदा किसानों को होगा।
बटियागढ़ के हरदुआ जामसा और मगरोन में जरारूधाम में गौ अभयारण्य आज गौ वंश के संरक्षण की मिसाल बना हुआ है। देश के कोने-कोने से लोग इसे देखने और गौ संवर्धन की तकनीक सीखने आते हैं। यही नहीं दमोह जिले में पटेल ने घायल, बीमार व मृत गौवंश के लिए सांसद निधि से दो पशु एंबुलेंस भी प्रदान की है। यह सेवा निरंतर प्रदान की जा रही है। सेवा के लिए संकल्पित सांसद पटेल जरारूधाम में गौ अभयारण खोलने और जागेश्वर बांदकपुर धाम में गौशाला का विस्तार करने के लिए संसाधन जुटा रहे हैं। जरारूधाम में सडक़ों पर फिरने वाले मवेशी और पुलिस की कार्रवाई में पकडऩे जाने वाले मवेशियों को रखा जा रहा है। इसे जनभागीदारी से भी जोड़ा गया हैं। पटेल जब भी इस क्षेत्र में रहते हैं वे निरंतर अभयारण्य पहुंच कर गौ सेवा करते हैं।
गौरतलब है कि नर्मदा खण्ड सेवा संस्थान गौ अभयारण्य जरारूधाम 17 सितम्बर, 2016 को भूमिपूजन किया गया था। दमोह जिले के बटियागढ़ विकासखण्ड में स्थित गौ अभ्यारण्य को बनाने का उद्देश्य जिले में ही नहीं बल्की समुचे प्रदेश में पशुओं की तादात निरंतर बढ़ती जा रही है जिससे दुर्घटनाएं होना आम बात है। पशुपालकों ने दूध न देने वाली गायों को एवं उपयोग ना होने वाले सांडों को सडक़ों पर खुला छोड़ दिया था जिसका उद्देश्य पशुओं की देख रेख के लिए ग्राम मगरोन में 102.87 हेक्टेयर में स्थित जरारूधाम गौ अभयारण्य संचालित किया जा रहा है, जिसमें वर्तमान में लगभग 1076 गाय है। गौ अभयारण्य की क्षमता लगभग 4 हजार से अधिक है। जिसका संचालन एवं रखरखाव नर्मदाखण्ड सेवा संस्थान द्वारा किया जाता है। इसके अलावा संस्था पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर भी निरंतर कार्य कर रही है। पर्यावरण के उद्देश्य को लेकर सितम्बर, 2016 से लगभग 5 हजार पौधों का रोपण किया जा चुका है। जिसमें 2689 पौधे फलदार एवं 1580 पौधे छायादार वृक्ष का रूप ले चुके हैं। शेष बची हुई बंजर भूमी को उपजाऊ बनाने के लिए एवं खेती के उद्देश्य को लेकर विभिन्न प्रकार की घांसों को लगाया गया है। जिसमें दीनानाथ, गिनी, स्टाईलो घांस पशुओं के भरण पोषण के लिए उपलब्ध की जा रही है। गौ संवर्धन के प्रति लोगों का रूझान बढ़ाने के लिए गौ अभयारण्य परिसर में अन्नकूट उत्सव सहित बुंदेलखंड के अन्य त्यौहार, उत्सव भी आयोजित किए जाते हैं। प्रहलाद पटेल तमाम खूबियों से भरे राजनेता हैं। खंड-खंड में बसे बुंदेलखंड में जब सांसद प्रहलाद पटेल ने पहली बार जलसंकट देखा तो वे जलस्रोतों को संवारने में जुट गए। दमोह शहर के अंदर बुरी तरह दूषित हो चुके बेलाताल को उन्होंने सबसे पहले स्वच्छ और सुंदर बनाने का संकल्प लिया और उसे संवारा भी। ऐसी स्थिति में तात्कालिक व्यवस्था अंतर्गत दमोह जिले की दमोह, पथरिया, हटा, जबेरा तथा सागर जिले की बंडा, देवरी, रहली एवं छतरपुर जिले के बड़ामलहरा विधानसभा में सांसद निधि से कुल 205 ग्राम पंचायतों में वाटर टैंकर की आपूर्ति की गई। इतना ही नहीं वे स्वयं बेलाताल में उतरे और सफाई में जुट गए। उनकी इस लगन से कुछ ही दिनों में यह मुहिम जनता की आवाज बन गई। इसी का नतीजा है कि आज बेलाताल पानी से लबालब भर गया है। इसकी सुंदरता देखते ही बन रही है। इतना ही नहीं उन्होंने बारिश के दिनों में हटा के लुहारी तालाब को खाली पाया तो हैरत में पड़ गए। तुरंत ग्रामीणों से बातचीत की और गहरीकरण के लिए तालाब को गोद ले लिया। जुजून इतना कि स्वयं देर रात तक रुके और जेसीबी मशीनों से गहरीकरण कराया। आज यह तालाब पानी से जलमग्न हो गया है। प्रहलाद पटेल की राजनीति और उनके बड़े कद के पीछे की वजह उनका संकल्प भी माना जाता है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल आपदाओं के दौर में पारंगत स्वयसेवक भी है और आपदा किसी भी तरह की हो उससे निपटना और टीम का नेतृत्व करने की असीम क्षमता के वो धनी व्यक्ति हैं। प्रदेश और देश में कई ऐसे मौके आए जब उनकी सेवा कार्य नजीर बने। जबलपुर का भीषण भूकंप इसका बड़ा उदहारण है जब पटेल ने इस आपदा में कीर्तिमान रचे। बाढ़, सूखा और भूकंप जैसे मौकों पर पटेल की भागीदारी के कई किस्से लोग सुनाते है और आज भी जमीन पर नौजवानों की तरह काम करने का माद्दा उनके भीतर दिखाई देता है।
लेखक- वरिष्ठ पत्रकार हैं

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