- नए चेहरों के साथ कुछ पूर्व मंत्रियों को मिल सकती है जगह
- गौरव चौहान

मप्र में इनदिनों मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं। भाजपा संगठन के उच्च पदस्थ सूत्र इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि मोहन सरकार में कुछ मंत्रियों को बाहर किया जाएगा, वहीं कुछ नए चेहरे शामिल किए जाएंगे। मोहन मंत्रिमंडल में इस वक्त मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समेत 31 मंत्री हैं। इस तरह मंत्रिमंडल में मंत्रियों के चार पद रिक्त हैं। संगठन की कोशिश है कि कुछ पुराने और कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। बस केंद्रीय नेतृत्व की हरी झंडी मिलने का इंतजार है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार के मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट हर महीने तैयार की जा रही है। सत्ता और संगठन की कोशिश है कि जिन मंत्रियों की रिपोर्ट निरंतर खराब है उनकी जगह मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल किया जाए। उधर, मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट की खबर लगते ही दावेदारों ने सक्रियता बढ़ा दी है। सूत्रों का कहना है कि सीएम डॉ. मोहन यादव जब-जब दिल्ली दौरे पर जाते है मप्र में सियासी सरगर्मियां तेज हो जाती हैं। दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलते ही प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। दरअसल, पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट है, तो मध्य प्रदेश में भी इस बात की चर्चा शुरू हो गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव मंत्रियों के प्रदर्शन के आधार पर मंत्रिमंडल विस्तार कर सकते हैं।
कुछ मंत्रियों की कुर्सी खतरे में
मप्र में परफारमेंस के आधार पर कुछ मंत्रियों की कुर्सी खतरे में बताई जा रही है। इससे मंत्रियों के दिलों की धडक़नें तेज हैं। साथ ही राज्य में चार पांच विधायकों को मंत्री बनाए जाने की चर्चा भी चल रही है। बताया जा रहा है कि संभावित दावेदार मंत्री बनने के लिए दिल्ली से भोपाल तक की परिक्रमा में जुटे हुए हैं। दरअसल, प्रदेश में मोहन यादव सरकार को डेढ़ वर्ष होने जा रहा है, लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हुई हैं। उधर, मंत्रिमंडल विस्तार का भी नेताओं को इंतजार है। पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, जयंत मलैया, हरिशंकर खटीक, ब्रजेंद्र प्रताप सिंह और संजय पाठक को अपना नंबर आने की संभावना दिख रही है। सूत्रों का कहना है कि अभी प्राथमिकता प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति है, इसलिए यह काम इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले हो सकता है। उधर, राजनीतिक नियुक्तियां भी अब की जाएंगी। इसको लेकर संगठन स्तर पर कई बार चर्चा भी हो चुकी है। इसमें कुछ पूर्व विधायकों को समायोजित भी किया जाएगा। अभी इनके पास कोई काम नहीं है।
क्षेत्रीय संतुलन साधने पर जोर
भाजपा सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन साधने के हिसाब कुछ पूर्व मंत्रियों को फिर मौका दिया जा सकता है। उनके अलावा कांग्रेस से भाजपा में आए छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से विधायक कमलेश शाह भी प्रतीक्षारत हैं। रामनिवास रावत के मंत्रिमंडल से त्याग पत्र देने के बाद मोहन कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित 31 मंत्री हैं। नियम के अनुसार 35 मंत्री हो सकते हैं। मंत्री बनने के लिए पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, ब्रजेंद्र प्रताप सिंह सहित अन्य पूर्व मंत्री सत्ता और संगठन में अपने संपर्कों के माध्यम से प्रयासरत भी हैं। संभावना जताई जा रही है कि रिक्त स्थानों की पूर्ति हो सकती है। कुछ मंत्रियों को खराब प्रदर्शन के आधार पर विश्राम भी दिया जा सकता है। वहीं सूत्रों के अनुसार पूर्व वित्त और वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया को छठवें राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। पांचवें वित्त आयोग की अनुशंसाएं अप्रैल 2026 तक के लिए हैं। आयोग विभिन्न स्तरों पर चर्चा के बाद स्थानीय निकायों को दी जाने वाली राशि के संबंध में अनुशंसा करेगा।
इनको लॉटरी लगने का इंतजार
मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच कुछ पूर्व मंत्रियों को फिर से मंत्री बनने की आस जगी है। इनमें गोपाल भार्गव नौ बार के विधायक हैं। उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार में लगातार मंत्री रहे। बुंदेलखंड के कद्दावर नेता है। भूपेंद्र सिंह एक बार के सांसद और पांच बार के विधायक हैं। शिवराज सरकार में लगातार आठ वर्ष मंत्री रहे हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में इनकी मजबूत पकड़ है। जयंत मलैया बुंदेलखंड क्षेत्र से आते हैं। आठ बार के विधायक हैं। सुंदरलाल पटवा से लेकर शिवराज सरकार तक में मंत्री रहे हैं। वित्त, वाणिज्यिक कर और जल संसाधन विभाग में काम करने का लंबा अनुभव है। ब्रजेंद्र प्रताप सिंह पांच बार के विधायक हैं। दो बार मंत्री रह चुके हैं। हरिशंकर खटीक भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहने के साथ संगठन में काम कर चुके हैं। चार बार के विधायक। शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे हैं। वहीं कई अन्य विधायक भी हैं जो मंत्री बनने की आस लगाए हुए हैं।