प्रदेश में उपचुनावों से जारी रहेंगी राजनैतिक सरगर्मियां

 उपचुनाव

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। बीते एक साल से प्रदेश में उपचुनाव दर उपचुनावों का जो दौर शुरू हुआ है, वह आगे भी जारी रहने वाला है। इसकी वजह है हाल ही में कांग्रेस के दो विधायकों व भाजपा के एक सांसद का असमय निधन होना। अब इन तीनों सीटों पर ही उपचुनाव होना तय है। इस वजह से प्रदेश में आगे भी राजनैतिक सरगर्मियां जारी रहना तय है। इनमें से दोनों विधानसभा से कांग्रेस के एमएलए और लोकसभा की सीट पर भाजपा का कब्जा था। इन तीनों ही सीटों पर होने वाले उपचुनाव की वजह झाबुआ जिले की जोबट विधानसभा सीट शामिल है। उपचुनाव को लेकर कांग्रेस में उत्साह देखा जा रहा है। इसकी वजह है दमोह उपचुनाव का परिणाम। इस सीट पर प्रदेश की सत्ता व संगठन ने मिलकर पूरी ताकत लगाई, लेकिन इसके बाद भी यहां पर भाजपा प्रत्याशी को बड़े अंतर से मुंह की खानी पड़ी है। हालांकि इस सीट पर प्रचार व संसाधनों के मामले में कांग्रेस भाजपा से पीछे दिख रही थी। फिलहाल अब कांग्रेस के सामने अपने दो सीटों को और बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। इनमें से पृथ्वीपुर सीट बृजेंद्र सिंह राठौर की परंपरागत सीट मानी जाती थी।  वे पूर्व में भी यहां से जीतते रहे हैं। पहले यह सीट निवाड़ी विधानसभा के तहत आती थी। खास बात यह है कि इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस दोनो के ही सामने दमदार प्रत्याशी का संकट रहने वाला है। हालांकि माना जा रहा है कि कांग्रेस इस सीट पर राठौर के पुत्र पर दांव लगा सकती है। इसकी वजह है सहानुभूति  का लाभ लेना। उधर भाजपा भी चाहेगी की वह इस सीट को जीतकर पिछली बार मिली हार का बदला ले लें। यह बात अलग है कि यह इलाका पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती का गृह जिला और कार्यक्षेत्र दोनों ही रहा है, लेकिन इलाके की उपेक्षा की वजह से अब इस जिले में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही प्रभावशाली बनी हुई है। उधर, जोबट सीट से कांग्रेस की विधायक कलावती भूरिया के निधन के बाद उनके भी किसी परिजन  पर ही दांव लगाए जाने की अधिक संभावना है। उनकी इलाके में बेहद मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। भूरिया का पूरा परिवार ही कांग्रेस की राजनीति में है। उनके भाई कांति लाल भूरिया प्रदेश में कांग्रेस में सबसे बड़े आदिवासी चेहरे माने जाते हैं। यह बात अलग है कि इसके पूर्व में बीते कार्यकाल में इन दोनों ही सीटों पर भाजपा का कब्जा था। यह उपचुनाव भाजपा हर हाल में जीतना चाहेगी, जिससे कि दमोह सीट पर मिली हार से उबरा जा सके।

अलहदा है स्थिति
दमोह की तुलना में पृथ्वीपुर और जोबट में अलग स्थिति है। यहां पर दोनों ही विधायकों की कोरोना के चलते मृत्यु हुई है, जिसकी वजह से उपचुनाव होना है। दमोह में इसके उलट कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते राहुल लोधी दल बदल कर भाजपा में चले गए थे, जिसकी वजह से वहां पर उपचुनाव की स्थिति बनी थी। इसमें भी भाजपा ने कांग्रेस से आए लोधी को ही प्रत्याशी बना दिया था। इससे नाराज कार्यकर्ताओं व मतदाताओं ने दमोह में एक बार फिर कांग्रेस पर भरोसा जताते हुए उसके प्रत्याशी को जिता दिया।

अरुण होंगे कांग्रेस प्रत्याशी
कोरोना के चलते ही नंद कुमार सिंह की मौत की वजह से अब खंडवा लोकसभा का भी उपचुनाव होना है। इस सीट से हालांकि भाजपा की ओर से चौहान के पुत्र के अलावा पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस की दावेदारी बनी हुई है। उधर कांग्रेस की ओर से लगभग पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव का नाम भी तय माना जा रहा है। यही वजह है कि यादव लगातार इलाके में अभी से सक्रिय भी बने हुए हैं। वे पिछला चुनाव स्व. चौहान से हार गए थे।

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