उपचुनाव: कोरोना ने बढ़ाई भाजपा और कांग्रेस की चिंता

 भाजपा व कांग्रेस

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना महामारी की खतरनाक दूसरी लहर ने प्रदेश के दोनों प्रमुख दल भाजपा व कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। इस चिंता की वजह है प्रदेश की एक लोकसभा व तीन विधानसभा के जल्द संभावित उपचुनाव। दरअसल इस महामारी से लोगों को बहुत हद तक अपने ही दम पर लड़ना पड़ा है। नेता व जनप्रतिनिधि इस बीच पूरी तरह से या तो गायब रहे या फिर सोशल मीडिया पर ही सक्रिय बने रहे। इस बीच सबसे अधिक नाराजगी लोगों में सरकार के कुप्रबंधन को लेकर बनी हुई है।
इसकी वजह है मरीजों को अस्पतालों से लेकर दवाओं तक के लिए लंबा संघर्ष तो करना ही पड़ा है साथ ही उन्हें अस्पतालों में जिस तरह से लूट खसौट का शिकार बनाया गया, उसने लोगों की नाराजगी में घी डालने का काम किया है। यही वजह है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सियासी दलों को भारी पड़ती दिख रही है। खास बात यह है कि आम लोगों के साथ ही इन दोनों ही दलों को अपने बहुत से नेताओं को भी खोना पड़ा है, जिसमें भाजपा के एक सांसद, एक विधायक के अलावा कांग्रेस को अपने दो विधायकों को भी खोना पड़ा है।
हालत यह बने कि बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी भी इसका शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। यही वजह है कि अब प्रदेश में एक बार फिर कुछ ही माह के अंदर फिर से उपचुनाव होना तय हो चुका है। गौरतलब है कि करीब दो साल पहले नवंबर 2018 में हुए आम चुनाव के बाद प्रदेश में अब तक विधानसभा के 31 उपचुनाव हो चुके हैं और अब एक लोकसभा व 3 विधानसभा के उपचुनाव होना भी तय हैं। आम विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी। उसके बाद पहला उपचुनाव तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लड़ कर जीता था। इसके बाद झाबुआ में विधानसभा का उपचुनाव कराना पड़ा था। इस सीट पर भी कांग्रेस ने अपना परचम फहराया था। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस सरकार एक साल और चार माह के अल्प कार्यकाल में सरकार के कामकाज को लेकर हुए विद्रोह के चलते नाथ सरकार गिर गई थी, जिसके बाद एक साथ 28 सीटों पर उपचुनाव कराने पड़े। प्रदेश में अभी अंतिम उपचुनाव करीब डेढ़ माह पहले ही हुआ है। इस तरह से अब तक प्रदेश में कुल 31 उपचुनाव हो चुके हैं। इसके बाद भी अभी तीन  विधानसभा और 1 लोकसभा की सीट रिक्त चल रही है। इन सीटों के लिए दोनों ही दलों के नेता प्रारंभिक तौर पर अपनी चुनावी तैयारियों को शुरू कर चुके हैं। इन चुनाव में टिकट को लेकर दावेदार भी सक्रिय हो चुके हैं , लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अभी भी कोरोना महामारी बनी हुई है। दावेदारों से लेकर दोनों दलों के नेताओं को भी पता है कि मतदाताओं में उनकी कार्यप्रणाली को लेकर बेहद नाराजगी है। इसकी वजह से इन दोनों ही दलों के कर्ताधर्ताओं की सांसें फूलती नजर आ रही हैं। दरअसल दमोह विधानसभा उप चुनाव के बीच आयी कोरोना की दूसरी लहर से लोगों में सरकार व चुनाव आयोग को लेकर गहरी नाराजगी देखने को मिली थी।
पहली लहर नहीं रही थी इतनी घातक
कोरोना की पहली लहर इतनी जानलेवा नहीं थी। हालांकि 15 सितंबर को ब्यावरा से कांग्रेस विधायक गोवर्धन दांगी की मौत हुई थी। उस दौरान प्रदेश में दोनों ही दलों के कई वरिष्ठ नेता संक्रमित भी हुए थे लेकिन सभी कोरोना को पछाड़कर सकुशल घर लौट आए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित उनकी कैबिनेट के कई मंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, भाजपा संगठन महामंत्री सुहास भगत और पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता पीसी शर्मा सहित दोनों ही दलों के कई पदाधिकारी भी संक्रमित हुए थे, लेकिन इलाज के बाद वे स्वस्थ हो गए।
तीसरी लहर की संभावना
दरअसल अभी दूसरी लहर से पूरी तरह मुक्त भी नहीं हो पाए हैं और तीसरी लहर की संभावना जताई जाने लगी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि तीसरी लहर दूसरी से भी घातक हो सकती है। दोनों दलों के साथ ही चुनाव आयोग को भी इस तीसरी लहर का भय सता रहा है। यह तीसरी लहर कब आएगी यह अनुमान लगा पाना दूसरी लहर के अनुमान की ही तरह बेहद कठिन बना हुआ है।
इन चार सीटों पर होना है उपचुनाव
कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो-ढाई महीने में दोनों ही दलों के चार बड़े नेता मौत का शिकार बन चुके हैं। 10 मई को रैगांव से भाजपा विधायक जुगलकिशोर बागड़ी, दो मई को  पूर्व मंत्री व पृथ्वीपुर विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर , 24 अप्रैल को जोबट से कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया और दो मार्च को खंडवा के भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान इस महामारी का शिकार होकर चल बसे थे , जिसकी वजह से यह चारों सीट रिक्त चल रही हैं।

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