दीपावली तक प्रदेश में गौवंश को मिल जाएगी लंपी से मुक्ति

गौवंश

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। देश के साथ ही मध्यप्रदेश में भी जानवर खासतौर पर गोधन लंपी रोग की चपेट में आया है।  इसकी वजह से इनके पालकों में भय का माहौल बना हुआ हैै, लेकिन अब उन्हें इसके मामले में चिंता करने की जरुरत नही है। इसकी वजह है सरकार द्वारा इस रोग से मुक्ति के लिए बनाए जाने वाला टीके का सुरक्षा घेरा।
राज्य सरकार ने इसके लिए दीपावली तक का समय तय किया है। इसकी वजह से गोवर्धन पूजा तक लंपी वायरस से गौधन को पूरी तरह से सुरक्षित कर लिया जाएगा।  इस खबर के बाद से अब पशुपालकों द्वारा राहत की सांस ली जा रही है। अच्छी बात यह है कि इस सुरक्षा घेरे के लिए प्रदेश  सरकार को बीस लाख टींके मिल गए हैं।  इसके अलावा इस रोग को रोकने के लिए मौसम का भी बढ़ा सहारा मिल जाएगा। दरअसल अब वह समय है जब वातावरण में नमी भी कम हो जाती है। इसके चलते गौवंश की मृत्यु का कारण बन रहे वायरस के फैलने की क्षमता भी स्वत: ही समाप्त हो जाती है। इस संक्रमण के पुराने इतिहास और इलाज के अनुभवों पर किये जा रहे इस दावों को न भी माने तो , तो लंपी वायरस से पशुओं के बचाव के निमित्त सरकार के सहयोग से पशुपालन विभाग द्वारा बृहद स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाना तय कर लिया गया है। इसके तहत इस रोग के प्रभावित इलाके को 5 किमी दायरे में सुरक्षा कवच बनाने की योजना तैयार की गई है। इसके अलावा अब पड़ोसी राज्यों की सीमाओं को सील कर पशु मेलों को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसकी वजह से पशुओं की मृत्युदर का आंकड़ा भी बेहद कम हुआ है और अब संक्रमित पशुओं की तुलना में स्वस्थ होने वाले पशुओं का प्रतिशत करीब 71 प्रतिशत तक पहुंच गया है। राहत की बात है कि प्रदेश में अब तक किसी भैंस वंशीय पशु में लंपी रोग के लक्षण नहीं मिले हैं।
14 लाख टीकाकरण का लक्ष्य
लंपी वायरस पर नियंत्रण के लिये सरकार का टीकाकरण पर पूरा फोकस है। इसके लिए 28 लाख खुराक की आवश्यकता है, जिसमें से 14 लाख गोट पॉक्स वैक्सीन मिल चुकी है। इसे दीपावली से पहले पशुओं को लगा दिया जाएगा। टीकाकरण के लिए 4 केन्द्र बिंदु (फोकल पॉइंट) इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और उज्जैन निर्धारित किये गये हैं। इंदौर केन्द्र बिंदु में 5 लाख 34 हजार 762, भोपाल में 3 लाख 45 हजार 690, ग्वालियर में 2 लाख 87 हजार 68 और उज्जैन केन्द्र बिंदु में शामिल जिलों को 2 लाख 32 हजार 480 वैक्सीन सीधे पहुंचा भी दी गई है।
प्रदेश में 1.87 करोड़ है गौवंश
वर्ष 2019 की गणना के अनुसार प्रदेश में 1 करोड़ 87 लाख गौवंश है। वैज्ञानिक शोधों के हवाले से विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मात्र 10 प्रतिशत पशु ही इस संक्रमण की चपेट में आते हैं। अभी तक किसी दूसरे प्रजाति के जानवरों में इसका संक्रमण नहीं पाया गया है।

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