प्रदेश में एक दशक बाद… सहकारिता चुनाव की सुगबुगाहट

  • गौरव चौहान
सहकारिता चुनाव

नियमानुसार तो सहकारी संस्थाओं के चुनाव हर पांच साल में हो जाने चाहिए, लेकिन प्रदेश में 11 साल से सहकारिता क्षेत्र के चुनाव टाले जा रहे थे। इसकी वजह से सभी समितियां प्रशासक के भरोसे बैठी थीं। अब हाई कोर्ट के निर्देश पर अब 11 वर्ष बाद लोगों को खुशखबरी मिली है। सहकारी संस्थाओं के चुनाव के लिए कार्यक्रम जारी कर दिया गया है,  लेकिन अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है। इसकी वजह है सत्तारूढ़ संगठन अब भी इसे आगे चार माह टालने के पक्ष में है। यह बात अलग है कि हाईकोर्ट के निर्देश की वजह से पार्टी ने भी अपनी तैयारी शुरु कर दी है। इसके तहत पूरे प्रदेश से नाम बुलाने का काम शुरु कर दिया गया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इन चुनावों में जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद के लिए उन नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी , जो विधानसभा व  लोकसभा चुनाव में टिकट के दावेदार थे , लेकिन उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया जा सका है। गौरतलब है कि यह चुनाव गैरदलीय आधार पर होते हैं , लेकिन इनमें पर्दे के पीछे से राजनैतिक दल अपने हिसाब से चुनावी बिसात बिछाकर अपने समर्थकों की जीत तय करने के लिए पूरी ताकत लगाते हैं।
चुनाव आयोग द्वारा निर्वाचन की घोषणा की जा चुकी है, लिहाजा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इस  चुनाव के लिए रणनीति तैयार करने का काम शुरु कर दिया गया है। इसके तहत भाजपा ने अपने कृषि एवं सहकारिता के क्षेत्र से जुड़े नेताओं को चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा है। इसके लिए पार्टी ने सहकारिता प्रकोष्ठ के माध्यम से सभी नेताओं से संवाद करना शुरु कर दिया है। भाजपा सहकारिता के चुनाव में उन नेताओं को जिले के अध्यक्ष पद से नवाजेगी जो विधानसभा चुनाव में टिकट के तगड़े दावेदार थे, पर किन्हीं कारणों से उन्हें टिकट नहीं दिया जा सका है।  चुनाव प्रक्रिया का ऐलान होते ही अपेक्स बैंक, मार्केटिंग फेडरेशन समेत अन्य सहकारी संस्थाओं के अध्यक्षों के लिए स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक  लाबिंग शुरू हो गई है। भाजपा द्वारा अभी तक सहकारी चुनाव में ऐसे नेताओं को चुनाव लड़ाया जाता रहा है,जो सहकारिता के क्षेत्र से जुड़े हैं। लेकिन अब अर्बन सोसाइटी, कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले नेताओं का भी ब्यौरा तैयार किया जा रहा है। पार्टी कृषि से जुड़े नेताओं को प्राथमिकता देगी। पार्टी के ऐसे कार्यकर्ता जो पार्टी संगठन में तन- मन से लगे हैं और पार्टी के किसी भी काम को करने में हमेशा आगे रहते हैं और हाल ही में हुए  विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में जिन्होंने पार्टी के लिए दिन-रात एक कर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को मौका देने के पक्ष मे है। गौरतलब है कि प्रदेश में करीब साढ़े चार हजार सहकारी सोसाइटी हैं, जिनमें किसान मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। इस मामले में मप्र भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मदल लाल राठौर का कहना है कि 15 जून से 15 सितंबर तक बारिश का मौसम रहता है। ऐसे में सहकारी सोसाइटी के चुनाव कराना मुश्किल होगा, क्योंकि इसके अधिकतर मतदाता किसान हैं। प्रदेश में 4,534 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं। इनके चुनाव वर्ष 2013 में हुए थे। इनके संचालक मंडल का कार्यकाल वर्ष 2018 तक था।विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उन समितियों के चुनाव नहीं हो पाएंगे, जो विभिन्न कारणों से अपात्र हैं। इसमें खाद-बीज की राशि न चुकाने, गेहूं, धान सहित अन्य उपजों के उपार्जन में गड़बड़ी या अन्य कारणों से अपात्र घोषित संस्थाएं शामिल हैं।
कांग्रेस सरकार ने भी शुरु की थी प्रक्रिया
जब कांग्रेस की सरकार बनी थी, उसके बाद जिला सहकारी बैंकों की समीक्षा की गई थी और समितियों के प्रशासक पद से निरीक्षकों को हटा दिया था,उस समय निर्देश दिए गए थे कि समितियों में जो भी योग्य सदस्य या पदाधिकारी हो, जिसे समिति का प्रभार दिया जा सकता है उसे दे दिया जाए। इसके साथ ही कमलनाथ सरकार ने जिला सहकारी बैंकों में प्रशासक नियुक्त कर दिए थे। इसके बाद  सहकारिता के चुनाव कराने की तैयारियां शुरू  कर दी थी, लेकिन कांग्रेस की सरकार गिरते ही नई सरकार ने इस प्रक्रिया को फिर से रोक दिया था और वापस समितियों का प्रभार प्रशासकों को सौंप दिया था।
इन वजहों से टाले जाते रहे चुनाव
 विधानसभा चुनाव को देखते हुए तत्कालीन शिवराज सरकार ने सहकारिता चुनाव टाल दिए थे। इसके बाद सत्तारूढ़ हुई कमल नाथ सरकार ने किसान कर्ज माफी योजना और लोकसभा चुनाव के कारण इसे आगे बढ़ाया और जिला बैंकों में प्रशासक नियुक्त कर दिए। तब से ये चुनाव टलते आ रहे हैं। इस बीच मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया। हाई कोर्ट ने चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं, जिस पर सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने कार्यक्रम भी जारी कर दिया, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण ये फिर टाल दिए गए थे।
यह है चुनाव कार्यक्रम
 राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी द्वारा सहकारी संस्थाओं के चुनाव के लिए जारी किए गए कार्यक्रम के अनुसार यह चुनाव 4 चरण में होंगे। इसके अनुसार 26 जून से 9 सितंबर तक इसकी प्रक्रिया चलेगी। सदस्यता सूची जारी करने के बाद 8, 11, 28 अगस्त और 4 सितंबर को मतदान होगा। मतदान के तत्काल बाद ही मतगणना होगी। कार्यक्रम के अनुसार सबसे पहले प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और विभिन्न संस्थाओं में भेजे जाने वाले प्रतिनिधियों के चुनाव किये जाएंगे। इसके आधार पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और अपेक्स बैंक के संचालक मंडल का चुनाव किया जाएगा।
यह है नियम
सहकारिता विभाग की माने तो समिति पर प्रशासक की नियुक्ति विशेष परिस्थितियों में की जाती है कभी समय से चुनाव न होने या अन्य किसी प्रकार की प्रतिकूल परिस्थतियां होने पर प्रशासक की नियुक्ति की जाती है। यह नियुक्ति भी 6 माह के लिए की जाती है। बहुत विपरीत परिस्थितियां होने पर इसे एक या दो बार बढ़ाया जा सकता है।

Related Articles