कमजोर परफॉर्मेंस से छिन रही ब्यूरोक्रेट्स की कुर्सी

ब्यूरोक्रेट्स
  • सरकार को बर्दाश्त नहीं नाफरमान अफसर

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सुशासन पर जोर दे रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का सबसे अधिक फोकस अफसरों की कार्यप्रणाली सुधार पर रहा है। अपने 9 माह के शासनकाल में मुख्यमंत्री ने नाफरमान अफसरों को हटाने में तनिक भी देर नहीं की है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मोहन यादव सरकार ने 9 महीने में 32 कलेक्टर बदले हैं। वहीं तकरीबन हर दिन एक आईएएस का तबादला या प्रभार बदला है। दरअसल, कमजोर परफॉर्मेंस और संवेदनशील विषयों पर असंवेदनशीलता बरतने वाले आईएएस अफसर मोहन सरकार के सामने टिक नहीं पा रहे हैं। सरकार ने 9 माह के कार्यकाल में ऐसे 21 से अधिक अफसरों को इन्हीं कारणों से हटाया है।
प्रदेश में डॉ. मोहन यादव की सरकार बनने के बाद कलेक्टरों पर सबसे अधिक नकेल कसी गई। खराब फरफॉर्मेंस पर कलेक्टरों को तत्काल बदल दिया गया। जो अफसर सरकार वर्किंग स्टाइल के अनुसार काम करने में विफल रहे हैं और परफॉर्मेंस पर फिट नहीं बैठ रहे थे, जो संवेदनशील विषयों पर कार्रवाई में पीछे रह गए थे उन्हें बदलने में देर नहीं की गई है। कुछ तो ऐसे हैं जिन्हें इसी सरकार ने जिलों में कलेक्टर जैसी बड़ी भूमिका दी थी, लेकिन 5-8 माह में ही हटा दिए। कुछ को संबंधित पदों पर काम करते हुए तीन साल की आदर्श अवधि पूरी होने के पहले हटाया। सूत्र बताते हैं, कुछ और भी ऐसे अफसर हैं, जिनके काम में सुधार नहीं हुआ तो हटाए जा सकते हैं।  यूं तो सरकार के लिए राज्य से जुड़े हर विषय संवेदनशील हैं। इसी अनुसार काम भी किए जा रहे हैं लेकिन विकसित भारत, विकसित मप्र, आर्थिक मजबूती, पर्यटन, संस्कृति, रोजगार के अवसर, महिला सुरक्षा, पर्यावरण व गो संरक्षण, खेती किसान व किसानों से जुड़े विषय प्रमुख प्राथमिकताओं में हैं।
9 महीने में बदले 32 कलेक्टर
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा प्रशासन को चुस्त-दुरूस्त बनाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत विधानसभा चुनाव के पहले जिलों में पदस्थ किए गए कलेक्टरों में से अब तक 32 कलेक्टर बदले जा चुके हैं। जो कलेक्टर भाजपा की नई सरकार बनने के बाद नहीं बदले हैं, उनमें धार, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, खंडवा, बुरहानपुर, देवास, आगर मालवा, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, मुरैना, भिंड, रीवा, सतना, मऊगंज, मैहर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सीहोर, रायसेन और पांढुर्णा शामिल हैं। शहडोल और विदिशा कलेक्टरों की पोस्टिंग और हटाने की कार्यवाही जल्दी हुई है।
इसलिए हटाए गए ये अफसर
लोकसभा चुनाव के पहले मार्च में बुद्धेश कुमार वैद्य विदिशा कलेक्टर बनाए गए। पांच माह में ही अगस्त में हटाए गए। तब चर्चा थी कि क्षेत्र के धर्मस्थल बीजामंडल को व पुरातात्विक विभाग के हवाले से मस्जिद का हिस्सा बताया। अभी गृह उपसचिव हैं। क्षितिज सिंघल जनवरी 2023 में सिवनी कलेक्टर बने। जुलाई 2024 में हटाए गए। वजह रही, गोवंश के कटे सिर मिलना। ऐसी 4 घटना दो दिन में हुई। यह तब हुआ, जब सरकार गोवंश संरक्षण पर जोर दे रही थी। अब वे मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी के एमडी हैं। स्वतंत्र कुमार सिंह फरवरी 2024 में आयुक्त, वाणिज्यिक कर इंदौर बने। जुलाई में हटा दिए गए। वे पहले लंबे समय से लूपलाइन में थे। सूत्र बताते हैं, इंदौर में उन्हें लेकर शिकायतें आई थीं। अभी स्वतंत्र बीजीटीआर के डायरेक्टर हैं। पिता इकबाल सिंह बैंस के मुख्य सचिव रहते अमनबीर को फरवरी 2021 में बैतूल कलेक्टर बनाया। दिसंबर 2023 में गुना कलेक्टर बनाया। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की फटकार से सुर्खियों में आए, मार्च 2024 में हटा दिए गए। सलोनी सिडाना को विधानसभा चुनाव के पहले अप्रेल 2023 में मंडला कलेक्टर बनाया। इस साल अगस्त में हटाया। अमूमन 3 साल बाद कलेक्टर बदले जाते हैं। बताते हैं, जनप्रतिनिधि उनके काम से नाखुश थे। वे भारतीय चिकित्सा प्रणाली की आयुक्त हैं। पीएस पर्यावरण गुलशन बामरा को सडक़ों से मवेशी नहीं हटाए जाने के कारण हटाया गया। दरअसल, मवेशी सडक़ों पर हैं, सीएम बार-बार कह चुके कि मवेशियों को हटाने और उनके लिए इंतजाम करने की जरूरत है। पर संतोषजनक काम नहीं हुआ। ऐसे में उनसे जिम्मेदारी वापस ले ली। बामरा के पास नवंबर 2022 से यह जिम्मेदारी थी। संजीव कुमार झा को अप्रैल 2024 में चंबल संभाग की जिम्मेदारी दी थी। यह जिम्मेदारी उनसे बेहद कम समय में ही वापस ले ली गई। अब राजस्व बोर्ड के सदस्य हैं। चर्चा थी कि उनके कामकाज से जनप्रतिनिधि नाखुश हैं। तरुण भटनागर को 15 मार्च को मोहन सरकार ने शहडोल कलेक्टर बनाकर भेजा और पांच माह में ही वापस बुला लिया। तब चर्चा चली कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से समन्वय में कमी रही। माफिया हावी रहे। दीपक आर्य को इसलिए हटाया गया कि सागर के शाहपुर में भवन की दीवार ढहने से 9 बच्चों की मौत हुई थी। बारिश में सीएम ने सतर्क रहने और जर्जर भवनों, पुल-पुलियाओं की निगरानी के निर्देश दिए थे। इस हादसे के बाद उन्हें हटाया गया। दिनेश जैन को विधानसभा चुनाव से पहले अप्रेल 2023 में नीमच कलेक्टर बनाया। वे डेढ़ साल भी पूरा नहीं कर सके और अगस्त 2024 में हटा दिए गए।

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