बुंदेलखंड को मिली… टाइगर रिजर्व की सौगात

टाइगर रिजर्व

मध्यप्रदेश का 7वां टाइगर रिजर्व बना  रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। सागर के नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल गया है। नौरादेही अभयारण्य मप्र का सबसे बड़ा और सातवां टाइगर रिजर्व बन गया गया है। नौरादेही अभयारण्य का नाम अब रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व होगा। राज्य सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। सागर और दमोह जिले के दो अभयारण्य को मिलाकर रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व बनाया गया है। नौरादेही अभयारण्य जिले में सागर-दमोह और नरसिंहपुर सीमा से लगा हुआ  है। नौरादेही अभयारण्य में वर्तमान में 15 टाइगर हैं। नौरादेही में पन्ना व रातापानी के जंगल से भी बाघों का मूवमेंट रहता है। रानी दुर्गावती अभयारण्य अभी 23.2 वर्ग किलोमीटर में फैला है, यह प्रदेश का सबसे छोटा अभयारण्य था। चीता परियोजना के लिए मध्य प्रदेश में कूनो राष्ट्रीय उद्यान, नौरादेही और गांधीसागर अभयारण्य पसंद किए गए। पन्ना टाइगर रिजर्व में दौधन बांध बनने के बाद करीब टाइगर रिजर्व सहित वन क्षेत्र की 6017 हेक्टेयर जमीन डूब जाएगी। बीते साल 2018 में बाघ पुनस्र्थापन प्रोजेक्ट के तहत कान्हा से बाघिन राधा और बांधवगढ़ से बाघ किशन को लाकर बसाया गया था। धीरे-धीरे कर नौरादेही में 15 बाघ हो गए हैं। नौरादेही अभयारण्य प्राकृतिक भेडिय़ों के आवास के लिए भी जाना जाता है। गौरतलब है कि वर्ष 1975 में नौरादेही गांव के नाम पर अभयारण्य की स्थापना की गई थी। 2018 में यहां बाघ शिफ्टिंग प्रोजेक्ट पर काम हुआ। महज 5 साल में 15 बाघों का कुनबा हो गया। गौरतलब है कि  केन-बेतवा लिंक परियोजना में नए टाइगर रिजर्व का गठन किया जाना शामिल था। प्रधानमंत्री के 5 अक्टूबर के दौरे से पहले इसके गठन को मंजूरी दे दी गई। इसे चीता प्रोजेक्ट के लिए भी मुफीद माना गया है, भविष्य में यहां भी चीतों की शिफ्टिंग की जा सकती है। नौरादेही अभयारण्य, सागर और रानी दुर्गावती अभयारण्य, दमोह को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसे वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व नाम दिया गया है। इसकी सीमा दमोह, सागर और नसरिंहपुर जिले में फैली होगी।
प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व प्रदेश का सातवां और क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा। नोटिफिकेशन जारी होने के साथ मप्र देश में ऐसा राज्य हो गया है, जहां सबसे ज्यादा 7 टाइगर रिजर्व हो गए हैं। नए टाइगर रिजर्व में कोर एरिया 1414 वर्ग किलोमीटर का होगा। वहीं, बफर एरिया 925.120 वर्ग किलोमीटर का होगा। यह कुल मिलाकर 2339 वर्ग किमी में फैला होगा। इसके कोर एरिया से 16 गांवों को विस्थापित कर 2130.59 हेक्टेयर जमीन खाली कराई जा चुकी है। जबकि सागर, दमोह और नरसिंहपुर के 52 गांवों को विस्थापित कर 16722.68 हेक्टेयर भूमि खाली कराई जाएगी। इसके लिए करीब एक हजार करोड़ खर्च करना होंगे। टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में 81 गांव आएंगे। मध्य प्रदेश में नया टाइगर रिजर्व बनने के साथ देश के सबसे अधिक सात टाइगर रिजर्व यहां हो गए हैं। प्रदेश में अभी सतपुड़ा, पन्ना, पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व है। प्रदेश में बाघों की संख्या 785 है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में छह-छह टाइगर रिजर्व थे। दूसरे नंबर पर कर्नाटक में पांच टाइगर रिजर्व हैं। नौरादेही वर्तमान में लगभग 15 बाघ हैं। दोनों अभ्यारण्य अभी पन्ना, सतपुड़ा और बाधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए एक गलियारे के रूप में कार्य करते हैं।
बाघों के लिए है भरपूर आहार
यहां जंगली सूअर, नीलगाय, चिंकारा, चीतल, सांभर जैसे बड़े शाकाहारी जीव पाए जाते हैं, जो बाघों का मुख्य आहार हैं। यह विंध्य पर्वतमाला के नजदीक पठारी हिस्सा है। यहां मिश्रित और छिछले वन हैं। 49 से ज्यादा प्रजातियों की झाडिय़ां, 18 प्रकार की बेल- लताएं, 92 प्रजातियों के वृक्ष और 35 से ज्यादा प्रकार की घास पाई जाती है। यहां महुआ, करंज, बेल, खैर, तेंदू के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। खुले जंगल और घास के बड़े-बड़े मैदान होने से यहां तेंदुआ, भेडिय़ा, जंगली कुत्ता जैसे वन्यप्राणियों के अलावा 250 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी, जलचर, उभयचर और शाकाहारी- मांसाहारी जीव और वनस्पतियां भी हैं जो इस क्षेत्र को जैव विविधता के मामले में प्रदेश में सबसे समृद्ध बनाता है। यहां करीब 22 तेंदुआ भी है। कॉरिडोर के जरिए वन्यप्राणी पूरे क्षेत्र में भ्रमण कर सकेंगे।

Related Articles