- यूएई और जर्मनी के बाजारों में भी होंगे उपलब्ध

विनोद उपाध्याय
प्रदेश सरकार द्वारा स्थानीय उत्पादों के लिए किए गए नवाचार का असर दिखना शुरू हो गया है। इसके तहत सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना शुरु की थी। इसके पीछे मकसद स्थानीय लोगों की हुनर को आगे बढ़ाकर उन्हें आर्थिक रुप से समृद्ध बनाना है। दरअसल, प्रदेश के हर जिले की अपनी पहचान है। हर जिले में कोई न कोई ऐसा उत्पाद है, जो उसकी स्थानीय स्तर पर पहचान रखता है, लेकिन उनके पास पूंजी और बाजार का अभाव रहता था, जिससे वे उसे बाजार में पूरी ताकत के साथ नहीं ला पाते थे। हाल ही में भोपाल में हुंई जीआईएस के दौरान सरकार ने एक जिला एक उत्पाद को भी आगे रखा, जिससे फायदा यह हुआ है कि कई उत्पादों को लेकर दूसरे देशों ने रुचि दिखाई है। इनमें से एक है सीहोर जिले के बुदनी में बनने वाले लकड़ी के खिलौने। इनमें कई देशों ने रुचि दिखाई है। इनमें यूएई और जर्मनी जैसे देश भी शामिल हैं। यह खिलौने लकड़ी और प्राकृतिक रंगों से बने होने के कारण ईको फ्रेंडली हैं। प्रदेश के ओडीओपी और जीआई टैग वाले उत्पादों को वैश्विक आपूर्ति चेन से जोड़ने के लिए एमपीआईडीसी ने 6 देशों के साथ एमओयू किए हैं। राजधानी में 24-25 फरवरी को हुई समिट में ओडीओपी विलेज बनाकर वहां इनका प्रदर्शन किया गया था। कई देशों के लोगों ने विजिट किया। प्रदेश में अब स्वदेशी कारीगरों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि-आधारित उत्पादों और अन्य ओडीओपी विशिष्टताओं के लिए मजबूत बाजार संबंध बनाने की दिशा में भी काम शुरू हो गया है। जीआईएस में कई देशों के वैश्विक संगठनों के साथ एमओयू हुए हैं। इनके सहयोग से ओडीओपी का निर्यात चैनल विकसित करने में मदद मिलेगी। इससे मध्यप्रदेश के इन उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलेगी। बुदनी के लकड़ी से बने खिलौने देखकर संयुक्त अरब अमीरात के एक प्रतिनिधिमंडल ने कारीगरों से बात की और उनसे सीधे व्यापार संबंध बनाने के लिए करार किया। जल्द ही कारीगर अपने खिलौने यूएई को भेजेंगे। इससे उन्हें अपनी इस परंपरागत कला का वाजिब दाम मिलने के साथ अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग भी मिलेगी। यूएई से यह खिलौने दूसरे देशों को भी भेजे जाएंगे।
पीएम को दिया गया स्मृति चिह्न भी ओडीओपी का
जीआईएस के उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी को सीएम ने बतौर स्मृति चिह्न भोपाल के ओडीओपी उत्पाद की हस्तनिर्मित महाकाल-थीम वाली जरी जरदोजी की कलाकृति भेंट की थी। इसमें जटिल जरी कढ़ाई के साथ भगवान महाकाल के मंदिर को उकेरा गया था। संगठन नारी शक्ति इनोवेशन ने की कारीगरों ने इसे तैयार किया था।
जीआई टैग वाले उत्पादों के लिए एमओयू
प्रदेश के ओडीओपी और जीआई टैग हासिल करने वाले उत्पादों को वैश्विक आपूर्ति चेन में शामिल कराने के लिए एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने विदेशी संस्थानों के साथ एमओयू किए हैं। इससे मेक इन एमपी को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ब्रांड तक बढ़ाने में मदद मिलेगी।
यह है ओडीओपी का उद्देश्य
मध्य प्रदेश में ओडीओपी पहल का उद्देश्य राज्य के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को प्रकट करना है। प्रदेश के प्रत्येक जिले से एक उत्पाद का चयन, ब्रांड और प्रचार करना है। स्थानीय शिल्प कौशल का संरक्षण और विकास और स्वदेशी ज्ञान को बढ़ावा देना। कृषि और बागवानी वस्तुओं के स्थानीय प्रसंस्करण को बढ़ावा देना। राज्यों के जिलों को निर्यात हब के रूप में बढ़ावा देना। जिला स्तर पर नवाचार,प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करना है, ताकि उन्हें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। इसके तहत ही प्रदेश के 52 जिलों से संभावित उत्पादों की पहचान की गई है।
यह एमओयू बनाएंगे ओडीओपी को ग्लोबल
– रूस का उल्यानोस्क क्षेत्र: मध्यप्रदेश और रूस के बीच औद्योगिक सहयोग, प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान और स्थानीय उत्पादों की व्यापार सुविधा को बढ़ावा देने के लिए एमओयू।
– सिंगापुर इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री: प्रदेश के उत्पादों की मार्केटिंग, व्यापार विस्तार के लिए।
– इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स जर्मन निवेश को आकर्षित करने, तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने।
– इंडो-पोलिश चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज: क्षेत्र-विशिष्ट व्यापार में साझेदारी बढ़ाने, संयुक्त उद्यमों को सुविधाजनक बनाने के लिए।
– कोरिया में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने और भारत-कोरिया के बीच व्यापार नेटवर्किंग को बढ़ावा देने।
– जर्मनी इंडिया इनोवेशन सेंटर छोटे उद्यमों में डिजिटल नवाचार, ऑटोमेशन को बढ़ावा देने।
– भारत-जिबूती चैंबर ऑफ कॉमर्स स्थानीय उत्पादों के लिए ट्रेड कॉरिडोर का विकास और लॉजिस्टिक्स बढ़ाने के लिए।