- मप्र विधानसभा के बजट सत्र की तैयारियां पूरी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
वित्तीय वर्ष 2023-24 से ई-बजट यानी पेपरलेस बजट पेश करने की शुरुआत के बाद मप्र में सरकार इस बार यानी वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट बुकलेट के माध्यम से पेश करेगी। इसके लिए तैयारियां अंतिम दौर में पहुंच गई है। गौरतलब है कि मप्र विधानसभा का बजट सत्र 10 मार्च से शुरू होगा। राज्य सरकार विधानसभा में 12 मार्च को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करेगी। इस बार बजट अनुमान 4 लाख करोड़ से ज्यादा का हो सकता है। गौरतलब है कि मप्र में बजट की तैयारियां काफी समय से चल रही है। सरकार ने इसके लिए लोगों से सुझाव भी लिए हैं। इसके बाद बजट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस बार सरकार ई-बजट पेश नहीं करेगी, बल्कि फिर से बजट की किताबें छापी जाएंगी। डिप्टी सीएम एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा बजट पुस्तिका से बजट पेश करेंगे। यह आखिरी मौका है, जब बजट पुस्तिकाएं छापी जा रही है। अगले साल से विधानसभा में ई-बजट ही पेश होगा।
अगली बार से पेपरलेस हो जाएगी विधानसभा
अधिकारियों का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में ई-विधान परियोजना के क्रियान्वयन का काम पूरा हो जाएगा और फिर विधानसभा हमेशा के लिए पेपरलेस हो जाएगी। वित्त अधिकारियों का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी बजट प्रतियों के 425 सेट छपवाए जाएंगे। हर सेट में दो दर्जन बजट की प्रतियां होंगी। इनमें से 230 प्रतियां विधानसभा सदस्यों को प्रदान की जाएंगी। बाकी की बजट प्रतियां पत्रकारों, अधिकारियों को दी जाएगी और कुछ प्रतियां विधानसभा की लायब्रेरी में रखी जाएंगी। गौरतलब है कि मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए विधानसभा ई-बजट यानी पेपरलेस बजट पेश करने के साथ ही वर्ष 2024-25 के लिए लेखानुदान भी पेपरलेस ढंग से पेश किया था। तब बजट की किताबें नहीं छापी गई थी। वित्त मंत्री ने बजट बुक की बजाय टैबलेट से बजट पेश किया था। सरकार की तरफ से विधायकों को टैबलेट दिए गए थे। साथ ही उन्हें बजट की छपी हुई प्रति देने की बजाय पेन ड्राइव में बजट की सॉफ्ट कॉपी दी गई थी।
विधायकों की सुविधा का ख्याल
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ई-बजट पेश किए जाने के चलते विधायकों को टैबलेट प्रदान किए गए थे। इस पर दो करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए थे। कुछ विधायकों ने विधानसभा सचिवालय से उन्हें बजट बुक दिए जाने की बात कही थी। यह भी देखने में आया कि अधिकतर विधायक टैबलेट का उपयोग नहीं कर रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने ई-बजट पेश करने की बजाय पूर्व की तरह बजट की किताबे छपवाने का निर्णय लिया है।
इनपर खास फोकस
माना जा रहा है कि गरीब कल्याण, महिला सशक्तीकरण, युवा कल्याण और किसानों के हित में प्रावधान किए जाएंगे। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आवास निर्माण के लिए बड़ा वित्तीय प्रावधान ग्रामीण विकास, नगरीय विकास, जनजातीय कार्य और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के बजट में रखा जाएगा। औद्योगिक विकास के लिए 18 नीतियों के अंतर्गत उद्यमियों को जो विशेष प्रोत्साहन देने का वादा किया गया है, उसकी पूर्ति के लिए प्रविधान होंगे तो भोपाल में एक बड़ा कन्वेंशन सेंटर बनाने की योजना प्रस्तावित की जाएगी।
4 लाख करोड़ से ज्यादा होगा बजट
इस बार का बजट 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक का होगा। इसमें फोकस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता वाली चार जातियों गरीब, किसान, महिला एवं युवा पर रहेगा। खास बात ये है कि वर्ष 2028 में होने जा रहे सिंहस्थ के लिए विशेष बजट प्रविधान किए जाएंगे, तो सरकार पूंजीगत व्यय और बढ़ाकर 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक कर सकती है। डबल इंजन की सरकार का लाभ मप्र को लगातार मिल रहा है। आम बजट में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रविधान राज्य के लिए किए गए हैं। एक लाख 11 हजार 661 करोड़ रुपये केंद्रीय करों में हिस्सा मिलेगा तो सहायता अनुदान 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक मिलने का अनुमान है। ऐसे में साल 2024-25 की तुलना में साल 2025-26 में 15, 908 करोड़ रुपए अधिक मिलने की उम्मीद है। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने बजट का खाका खींचा है।
ई-विधान पर खर्च होंगे 23 करोड़
जानकारी के अनुसार मप्र विधानसभा में ई-विधान परियोजना के क्रियान्वयन का काम चल रहा है। ई-विधान परियोजना पर करीब 23 करोड़ रुपए खर्च होंगे। छह महीने के भीतर विधानसभा पेपरलेस हो जाएगी। विधानसभा में सभी काम ऑनलाइन होंगे। यहां तक की सदस्यों को सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्न भी ऑनलाइन स्क्रीन पर नजर आएंगे। हर विधायक की टेबल पर 9-10 इंच का टैबलेट लगेगा। गत जून में ई-विधान परियोजना को लेकर संसदीय कार्य मंत्रालय, विधानसभा सचिवालय और संसदीय कार्य विभाग के बीच अनुबंध हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि ई-विधान बावस्था का उद्देश्य देश की सभी विधानसभाओं को एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर लाना है। इससे एक-दूसरे के नवाचार पता चलेंगे और विचारों का आदान-प्रदान भी होगा। यह व्यवस्था लागू होने के बाद विधानसभा में हर साल कागज और प्रिंटिंग पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपए की बचत होगी।