नारी सशक्तिकरण की राह में बजट बड़ी चुनौती

नारी सशक्तिकरण
  • मिशन के तहत महिलाओं को सुविधाओं के लिए  7,000 करोड़ की जरुरत

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार ने राज्य की महिलाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें सशक्त बनाने के लिए नारी शक्तिकरण मिशन बनाया था। नारी शक्तिकरण मिशन मोहन सरकार के चार मिशनों में से एक है।  इस योजना का ड्राफ्ट अब तैयार हो गया है। मिशन के तहत राज्य की महिलाओं को कई सुविधाओं का लाभ मिलेगा और यह उनके उज्ज्वल भविष्य के साथ-साथ उन्हें सशक्त बनाने में भी मददगार साबित होगा। महिलाओं के लिए सरकार की इस बड़े पैमाने की योजना के लिए बजट एक बड़ी चुनौती बन गया है। बताया जा रहा है कि इस योजना को सफल बनाने के लिए करीब सात हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जो सरकार के लिए चुनौती बन गया है। 7 हजार करोड़ रुपये के बजट ने सरकार को दुविधा में डाल दिया है। सरकार के पास अभी इस योजना को लागू करने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है। इस मिशन के तहत महिलाओं के लिए पूरे मप्र में महिलाओं के लिए 15,650 वन और टू बीएचके घर बनाए जाएंगे। हर ब्लॉक में 50 बेड का वूमन हॉस्टल बनाने की योजना है। हर विकासखंड मुख्यालय पर डे-केयर सेंटर भी बनाए जाएंगे। नारी सशक्तीकरण मिशन के ड्राफ्ट में लाड़ली बहना को रूपे कार्ड देने की योजना है। वित्तीय और डिजिटल साक्षरता के लिए शॉर्ट-टर्म सर्टिफिकेट शुरू किए जाएंगे। लेकिन इन योजनाओं के लिए बजट को लेकर सरकार असमंजस में है। क्योंकि पूरा प्रस्ताव 7 हजार करोड़ के करीब पहुंच गया है।
निर्भया फंड का उपयोग
महिला एवं बाल विकास विभाग ने राज्य सरकार को निर्भया फंड के इस्तेमाल का सुझाव दिया है, जिस पर असमंजस की स्थिति है। बता दें कि महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए केंद्र सरकार ने 2013 में निर्भया फंड की शुरुआत की थी।  केंद्र सरकार ने इसके लिए 6000 करोड़ रुपए का बजट रखा था। इसका उपयोग वन स्टॉप सेंटर बनाने, सुरक्षा उपकरण तैयार करने, फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित करने और यौन उत्पीडऩ के मामलों के लिए फॉरेंसिक किट खरीदने में होता है। अब राज्य सरकार को केंद्र सरकार से मिलने वाले निर्भया फंड से उम्मीदें हैं ताकि राज्य में नारी सशक्तिकरण मिशन को लागू किया जा सके। मिली जानकारी के मुताबिक निर्भया फंड मध्य प्रदेश को 60:40 के अनुपात में दिया जाता है। साल 2015-16 से 2019-20 के बीच मध्य प्रदेश को निर्भया फंड से 111.59 करोड़ रुपये मिले, जिसमें से सिर्फ 84.44 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। 2020-21 और 2021-22 के बीच राज्य को इस फंड से कोई पैसा नहीं मिला, जबकि 2022-23 में सिर्फ 17 करोड़ रुपये दिए गए। हर विकासखंड में 10 वन बीएचके और 40 टू-बीएचके आवास बनने हैं। लागत क्रमश: 20 लाख और 35 लाख रुपए आंकी गई है। यानि हर विकास खंड पर 16 करोड़ और 313 में 5000 करोड़ रुपए चाहिए। वह भी तब, जब जमीन सरकारी हो। 50 कमरों का वर्किंग वुमन हॉस्टल बनना है। एक की लागत 6-7 करोड़ रुपए पडने वाली है। सभी ब्लॉक के लिए कुल 1900 करोड़ रुपए चाहिए। विकासखंड मुख्यालय पर एक सेंटर बनाने और चलाने के लिए साल में साढ़े पांच लाख रुपए चाहिए। कुल 17 करोड़ लगेंगे।
मिशन के तहत महिलाओं को होंगी सुविधा प्राप्त
मिशन के तहत महिलाओं को कई सुविधाएं दी जाएंगी। बताया गया है कि हर ब्लॉक में 50 बेड का छात्रावास बनाने की योजना बनाई गई है जिसके लिए प्रत्येक छात्रावास के निर्माण की लागत 6-7 करोड़ रुपये बताई जा रही है यानी कुल लागत 1 हजार 900 करोड़ रुपये बताई जा रही है। हर विकास खंड में एक डे केयर सेंटर बनाया जाएगा। इसके निर्माण के साथ ही इसे चलाने पर सालाना 5.5 लाख रुपये का खर्च आएगा। कुल लागत 17 करोड़ रुपये बताई जा रही है। हर विकासखंड में 10 वन बीएचके और 40 टू बीएचके मकान बनाए जाने हैं, जिसके लिए कम से कम 20-35 लाख रुपए का बजट तय किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में 15000 से ज्यादा मकान बनाने की योजना है, जिसकी लागत 5 हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है। इस योजना में लाडली बहना योजना के तहत महिलाओं को रुपए कार्ड भी दिए जाएंगे।

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