बसपा बिगाड़ रही चंबल में समीकरण, भाजपा व कांग्रेस परेशान

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। उत्तर प्रदेश की सीमाई इलाके से सटे प्रदेश के ग्वालियर- चंबल अंचल में बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए है। इसकी वजह है इस अंचल में इन दोनों दलों के साथ ही बसपा भी चुनावी मैदान में अपनी ताकत दिखाने को आतुर बनी हुई है। अंचल की चार में से तीन लोकसभा सीटों पर हाथी अपनी मदमस्त चाल दिखा रहा है। इसकी वजह से ही अंचल की ग्वालियर, भिंड, मुरैना और गुना लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला हो गया है। अहम बात यह है कि यहां की चार में से तीन लोकसभा सीट पर हाथी पर सवार होकर कांग्रेस और बीजेपी के बागी चुनाव मैदान में उतरे हैं। यही वजह है कि  इन सीटों पर हाथी की चाल भाजपा-कांग्रेस के राजनीतिक समीकरण बिगाड़ती दिख रही है। कांग्रेस के दो और भाजपा का एक बागी इस बार हाथी पर सवारी कर रहे हैं।
ग्वालियर लोकसभा सीट
ग्वालियर लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को चुनाव मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस से बागी होकर कल्याण सिंह कंषाना बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर बसपा को कभी जीत हासिल नहीं हुई है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के हार जीत के अंतर में बसपा की भूमिका अभी तक महत्वपूर्ण रही है और इस बार भी रहने वाली है। 1957 से अब तक 7 बार कांग्रेस और 4 बार भाजपा को जीत हासिल हुई, लेकिन बसपा ने समीकरण जरुर बिगाड़े हुए हैं। 2019 के चुनाव में ग्वालियर सीट पर बसपा ने 44,000 से ज्यादा वोट  किए थे। इसी तरह साल 2014 के चुनाव में ग्वालियर में बसपा को 68 हजार 196 वोट मिले थे।
मुरैना लोकसभा सीट
मुरैना सीट की बात की जाए तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस पार्टी ने सतपाल सिंह उर्फ नीटू भैया को चुनाव मैदान में उतारा है, तो वहीं बीजेपी से टिकट न मिलने पर नाराज होकर रमेश गर्ग बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में है। इस सीट पर बसपा को कभी जीत हासिल नहीं हुई है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के हार जीत के अंतर में बसपा की भूमिका अभी तक महत्वपूर्ण रही है और इस बार भी रहने वाली है। 1967 से अब तक 8 बार भाजपा और 3 बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई पर बसपा ने समीकरण बिगाड़े। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बसपा प्रत्याशी करतार सिंह को एक लाख 29 हजार 380 (11.38 प्रतिशत ) मत मिले थे।
भिंड लोकसभा सीट
भिंड सीट की बात की जाए तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान सांसद संध्या राय और कांग्रेस पार्टी ने भांडेर विधायक फूल सिंह बरैया को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं, कांग्रेस से टिकट न मिलने पर बागी होकर देवाशीष जरारिया बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में है। इस सीट पर भी बसपा को कभी जीत हासिल नहीं हुई है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के हार जीत के अंतर में बसपा की भूमिका अभी तक महत्वपूर्ण रही है, इस बार भी रहने वाली है। 1962 से अब तक 9 बार भाजपा और 3 बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई। बीएसपी के बाबू राम जामोर को बीते चुनाव में 66 हजार वोट मिले थे।
बसपा ने जीत का किया दावा
ग्वालियर चंबल अंचल की इन तीनों सीटों पर हाथी को भले ही जीत हासिल न हो पाई हो, लेकिन दूसरे और तीसरे पायदान पर रहकर कहीं ना कहीं राजनीतिक दलों के समीकरण जरूर बिगाड़ता नजर आया है। यही वजह है कि इस बार बसपा के तेवर अलग ही नजर आ रहे है। बसपा जिलाध्यक्ष सतीश मंडेलिया ने दावा किया है कि इस बार हाथी दूसरे दलों के समीकरण ही नहीं बिगाड़ेगा बल्कि जीत भी हासिल करेगा।

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