बगैर खाता खुले तीसरी सियासी… ताकत बनी बसपा

  • गोंगापा ने भी दिखाई अपनी ताकत
  • विनोद उपाध्याय
 बसपा

इस बार के विधानसभा चुनाव में कई राजनैतिक दल ऐसे हैं, जिनका भले ही खाता नहीं खुला है, लेकिन वे अपनी ताकत दिखाने में पीछे नहीं रहे हैं। ऐसे दलों में बसपा व गोगापा शामिल हैं। बेहद अहम बात यह है कि बसपा के 111 उम्मीदवार तो ऐसे रहे हैं, जिन्होंने तीसरा स्थान पाया है। इसके अलावा कई सीटों पर उसके उम्मीदवार मुख्य मुकाबले में रह कर दूसरे स्थान तक पर रहे हैं। ऐसे प्रत्याशियों की संख्या चार है। यह बात अलग है कि बीते चुनाव में बसपा को दो सीटों पर जीत मिली थी , लेकिन इस बार उसका खाता तक नहीं खुला है। इसी तरह से उसके सहयोगी दल गोंगापा ने भी ताकत दिखाई है। इस दल के 21 प्रत्याशियों ने भी तीसरा स्थान प्राप्त किया है। बसपा व गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। गोंगपा इस बार विधानसभा चुनाव में बसपा को 3.40 प्रतिशत मत मिले। कांग्रेस के सात और भाजपा का एक उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा। यह पहली बार है ,जब सपा किसी सीट पर दूसरे स्थान पर भी नहीं रही। चार सीटों पर निर्दलीय दूसरे और 44 सीटों पर तीसरे नंबर पर रहे। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के बाद भी प्रदेश में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। पार्टी के प्रत्याशी किसी सीट पर दूसरे नंबर पर भी नहीं आ सके। सिंगरौली से मैदान में उतरी पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष रानी अग्रवाल चौथे स्थान पर रहीं हैं। आप को महज 0.54 प्रतिशत मत मिले जो नोटा (0.98 प्रतिशत) से भी कम हैं। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में 163 सीटें जीतने वाली भाजपा रतलाम जिले की सैलाना सीट पर तीसरे नंबर पर रही। यहां भारत आदिवासी पार्टी के कमलेश्वर डोडियार जीते। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के हर्ष विजय गहलोत रहे। भाजपा की संगीता चारेल तीसरे स्थान पर रहीं।
उलटा पड़ा तीसरे धड़े का दांव
भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों का विकल्प बनने की कोशिशों में जुटे तीसरे धड़े के दलों के लिये हालिया विधानसभा चुनाव अनुकूल नहीं रहे। सपा, बसपा और आप जैसे दलों को मिले वोट यही बताते हैं। बागियों के सहारे जीत के ख्वाब बुनने वाले इन दलों के जहां एक भी उम्मीदवार नहीं जीत पाए। वहीं दूसरी ओर भाजपा की लहर में फंसने के बाद यह परंपरागत वोट बैंक भी गवां बैठी है। बता दें कि मप्र विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस का विकल्प बनने के लिये करीब डेढ़ दर्जन से अधिका राजनीतिक दलों ने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें आम आदमी पार्टी, आम भारतीय पार्टी, आपका गणतंत्र पार्टी, आजाद समाज पार्टी कांशीराम सहित गोंडवाना और समाजवादी पार्टी प्रमुख रूप से शामिल रही।
बावजूद इसके न तो चुनाव परिणाम अनुकूल आए और न ही यह अपना वोट बैंक ही बढ़ा पाई। आंकलन इसी से किया जा सकता है कि सपा किसी सीट पर दूसरे स्थान पर भी जगह नहीं बना पाई। यह स्थित निर्दलीय प्रत्याशियों की तुलना में बेहद खराब इसलिये भी मानी जा रही है क्योंकि, चार सीटों पर निर्दलीय दूसरे और 44 सीटों पर तीसरे नंबर पर रहे। वहीं यदि बात आम आदमी पार्टी की जाय तो पार्टी के प्रत्याशी किसी सीट पर दूसरे नंबर पर भी नहीं आ सके।
कांग्रेस इन सीटों पर रही तीसरे नंबर पर
सिरमौर सीट पर भाजपा के दिव्यराज सिंह जीते। उप पुलिस अधीक्षक पद से सेवानिवृत वीडी पांडे बसपा से लडक़र दूसरे स्थान पर रहे हैं, जबकि दिमनी सीट पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जीते। बसपा के बलवीर दंडोतिया दूसरे और कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर तीसरे नंबर पर रहे। इसी तरह से होशंगाबाद सीट से भाजपा के डॉ. सीतासरन शर्मा जीते। उनके भाई कांग्रेस प्रत्याशी गिरिजा शंकर शर्मा तीसरे स्थान पर रहे। दूसरे नंबर पर भाजपा के बागी भगवती प्रसाद चौरे रहे। उधर, महू सीट पर भाजपा की उषा ठाकुर जीतीं। कांग्रेस से अलग होकर मैदान में उतरे अंतर सिंह दरबार दूसरे और कांग्रेस प्रत्याशी रामकिशोर शुक्ला तीसरे स्थान पर रहे। आलोट सीट पर भाजपा के चिंतामणि मालवीय जीते। कांग्रेस से दूसरी बार बागी होकर चुनाव लड़े प्रेमचंद गुड्डू दूसरे व कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चावला को तीसरा स्थान मिला। मल्हारगढ़ सीट पर भाजपा के जगदीश देवड़ा जीते। निर्दलीय उम्मीदवार श्यामलाल जोकचंद दूसरे और कांग्रेस के परशुराम सिसोदिया तीसरे स्थान पर रहे। सुमावली सीट पर कांग्रेस से दलबदल कर भाजपा में आए एंदल सिंह कंसाना जीते। टिकट बदलने से नाराज कांग्रेस के कुलदीप सिकरवार बसपा से मैदान में उतर गए, जिससे कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाह तीसरे नंबर पर पहुंच गए।

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