अधूरे पावर प्रोजेक्टों से खरीद ली 3 अरब की बिजली

  • पावर मैनेजमेंट कंपनी का कमाल
  • विनोद उपाध्याय
पावर प्रोजेक्टों

मप्र में साल दर साल उपभोक्ताओं पर बिजली का भार लादा जा रहा है। आलम यह है कि बिजली कंपनियां अनाप-शनाप खर्च बताकर घाटे को दर्शा रही हैं और बिजली बिलों का भार उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है। एक बार फिर बिजली की दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजा गया है। जिसमें प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कंपनी ने ऐसे पावर प्रोजेक्टों से बिजली खरीदी का खर्च बताया है, जो अब तक चालू नहीं हुए हैं। इन प्रोजेक्टों से बिजली कंपनी करीब 300 करोड़ की बिजली खरीदेगी। इस तरह से बिजली कंपनियों ने अपना घाटा बढ़ा दिया है। इसके नाम पर बिजली कंपनियां टैरिफ बढ़ाने की मांग कर रही हैं।
 प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारी कर ली है। साल 2024-25 के लिए प्रति यूनिट 3 रुपए 86 पैसे बढ़ाने की तैयारी कर रही है। बिजली बिल बढ़ाने के पीछे कंपनी ने घाटा बताया है। कंपनी ने लगभग 1,837 करोड़ का घाटा बताकर 3.86 रुपए प्रति यूनिट बढ़ाने का पूरा प्लान तैयार किया है। साल 2024-25 के लिए नए टैरिफ को लेकर विद्युत नियामक आयोग में याचिका लगाई है। गौरतलब है कि प्रदेश की बिजली कंपनियां हर साल घाटे में रहती हैं। इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली कंपनियां हर साल टैरिफ बढ़ाए जाने की याचिका विद्युत विनियामक आयोग के पास दायर करती हैं। बिजली कंपनियों ने अगले वित्तिय वर्ष में 55072 करोड़ रुपए के राजस्व की जरूरत बताई है। प्रचलित दरों पर बिजली कंपनियों को 53026 करोड़ का राजस्व मिलेगा। ऐसे में बिजली कंपनियों को 2046 करोड़ रुपए का घाटा होगा। इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली कंपनियों ने टैरिफ बढ़ाए जाने की
मांग की है।
12 सालों में 1 यूनिट की कीमत 6.49 रुपये हुई
आपको बता दें कि घरेलू बिजली पिछले 12 साल में एक यूनिट 4.07 रुपये प्रति यूनिट से बढक़र 6.49 रुपये तक पहुंच चुकी है। हालांकि 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली सब्सिडी की वजह से उन पर बढ़े दाम का असर न के बराबर होगा। सबसे ज्यादा मुश्किल मध्यमवर्गीय परिवारों को होगी, जिनकी मासिक खपत औसत 150 यूनिट से ऊपर होती है। साल 2012-13 में औसत बिजली की कीमत 4.66 पैसे प्रति यूनिट थी। वह घटकर 2013-14 में 4.35 पैसे प्रति यूनिट हो गई। वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले 5.85 पैसे प्रति यूनिट थी जो 2018-19 के लिए बढक़र 5.95 रुपये तक पहुंची है। इसमें  10 पैसे का इजाफा किया गया है। नियामक आयोग ने दिसंबर 2020 को 1.98 फीसदी बढ़ोतरी को मंजूरी दी। दूसरी बार 30 जून को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 0.69 फीसदी बिजली के दाम बढ़ाने को आयोग ने मंजूरी दी थी।
कई तरह के घाटे जबरन बढ़ा रही
खास बात यह है कि बिजली कंपनियां कई तरह के घाटे तो जबरन बढ़ा रही हैं। यही वजह है कि प्रदेश में हर साल बिजली का टैरिफ भी बढ़ रहा है। टैरिफ स्लैब में बदलाव करने की भी तैयारी की जा रही है। इससे भी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को नुकसान होगा। उनको मिलने वाली बिजली महंगी हो जाएगी। बिजली कंपनियों ने विनियामक आयोग में दायर याचिका में बिजली खरीदी का उल्लेख किया है। इसमें पावर मैनेजमेंट कंपनी एनएचपीसी के तिस्ता पावर प्रोजेक्ट से 161.78 करोड़ और एनएचपीसी के सुबांस श्री यूनिट से 140.48 करोड़ की बिजली खरीदेगी। खास बात यह है कि ये पावर प्रोजेक्ट अब तक चालू नहीं हुए हैं। यानी इनसे बिजली का उत्पादन अब तक शुरू नहीं हुआ। इससे पहले ही पावर मैनेजमेंट कंपनी ने अपने घाटे में 300 करोड़ रुपए जोडक़र बिजली का टैरिफ बढ़ाने की मांग की है। हालांकि पावर मैनेजमेंट कंपनी का कहना है कि ये दोनों प्रोजेक्ट मार्च-अप्रैल से बिजली का उत्पादन शुरू कर देंगे, लेकिन दोनों पावर प्रोजेक्ट इतनी खराब स्थिति में हैं कि बिजली उत्पादन होना मुश्किल है। ये पावर प्रोजेक्ट जब चालू होंगे, तब ही इनसे बिजली खरीदी शुरू हो पाएगी। ऐसे में बिजली की खरीदी शुरू होने के बाद भी याचिका दायर की जा सकती थी। बिजली कंपनियों ने एक टैरिफ स्लैब को भी खत्म करने की तैयारी की है। इससे 151 से 300 यूनिट बिजली जलाने वाले बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी हो जाएगी। बिजली कंपनियों के 30 फीसदी से ज्यादा बिजली उपभोक्ता 151 से 300 यूनिट बिजली जलाने वाले होते हैं। ये वे उपभोक्ता है, जिनके घरों में एसी, गीजर जैसे महंगी बिजली उपकरण नहीं होते। इन बिजली उपभोक्ताओं को महंगी बिजली होने पर असर पड़ता है। 300 यूनिट से ज्यादा बिजली जलाने वाले बिजली उपभोक्ता वे हैं, जिनके घरों के हर कमरे में ऐसी सहित अन्य बिजली के उपकरण लगे होते हैं। इन बिजली उपभोक्ताओं को ज्यादा बिजली बिल आने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

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