- कांग्रेस ने दावेदारों को ही बना दिया प्रभारी , क्षेत्रीय दल भी ताल ठोकने को तैयार
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। नगरीय निकाय चुनाव में दोनों प्रमुख दल भाजपा व कांग्रेस जनाधार वाले नेताओं की तलाश में जुटे हुए हैं , जिससे की नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी की जीत तय की जा सके। निकाय चुनाव में इन दोनों ही दलों का पूरा फोकस नगर निगमों के महापौर के पदों पर बना हुआ है। उधर, क्षेत्रीय व छोटे दल भी इन चुनावों में ताल ठोकने के लिए पूरी तैयारी में हैं। इन दलों में बसपा , आप और सपा जैसे दल शामिल हैंं। यह वे दल हैं, जो भले ही खुद जीत हासिल न कर सकें, लेकिन भाजपा व कांग्रेस के सियासी समीकरणों को तो बिगाड़ ही सकते हैं। यही वजह है की अब भाजपा ने सामन्य क्राइटेरिया के बजाए हर सीट के सियासी समीकरण और जिताऊ चेहरे पर फोकस करना शुरू कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा परिवारवाद और नेतापुत्रों को टिकट से दूर रखने की लाइन भी तय कर गए हैं। प्रदेश चुनाव समिति द्वारा ही भाजपा के महापौर प्रत्याशियों का फैसला किया जाएगा। इसके अलावा जिला और संभाग स्तर पर भी चुनाव समिति गठित करने का काम शुरू कर दिया गया है। यह समितियां ही पार्षद और अध्यक्षों के नामों की पैनल को अंतिम रुप देने का काम करेंगी। उधर, नड्डा का तीन दिवसीय दौरा समाप्त होने के बाद अब भाजपा पंचायत निकाय चुनाव के लिए जिला और संभागीय समितियों का गठन करने जा रही है।
अंतिम मुहर प्रदेश स्तर से ही लगेगी
प्रदेश की 16 नगर निगमों में महापौर प्रत्याशियों के नामों का फैसला प्रदेश चुनाव समिति ही करेगी। नगर परिषद के पार्षद और अध्यक्ष पद के नामों की स्कूटनी जिला स्तरीय चुनाव समिति करेगी। नगर पालिका के वार्ड पार्षद और अध्यक्षों के नामों पर संभागीय समिति विचार कर पैनल तैयार करेगी। इसके अलावा नगर निगमों के पार्षदों के नामों का फैसला भी संभागीय समितियों से ही नाम तय करवाए जाएंगे। इसके बाद जिला और संभाग की समितियों से मिले इन सभी नामों पर अंतिम मुहर प्रदेश समिति लगाएगी। उधर, चुनाव का शंखनाद होते ही भाजपा जिला और प्रदेश कार्यालयों में दावेदारों की भीड़ उमड़ने लगी है।
कांग्रेस में प्रभारी मैदानी दौरों पर
उधर, कांग्रेस ने प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए हर जिले में प्रभारी और उप प्रभारी बनाए हैं। इन प्रभारियों को मैदानी स्तर पर हकीकत पता करने के लिए भेज दिया गया है। यह प्रभारी ही 5 जून तक एक-एक दावेदार की पूरी कुंडली तैयार करने का काम करेंगे। खास बात यह है की इसमें कुछ ऐसे नेताओं को भी प्रभारी बना दिया गया है जो खुद भी महापौर का चुनाव लड़ने के लिए दावेदार हैं। प्रभारियों से कहा गया है कि वे उन्हीं नामों की लिस्ट तैयार करें जो चुनाव जीत सकते हैं। इन प्रभारियों से कहा गया है की इनमें वे युवाओं को प्राथमिकता में रखें। कांग्रेस संगठन ने इस काम में कुछ प्रदेश महिला कांग्रेस पदाधिकारियों को भी जिम्मेदारी दी है। वहीं जिलों के नेताओं को नगर परिषद अध्यक्ष और पार्षदों के नाम तय करने के लिए प्रभारी व उप प्रभारी बनाया है। सूत्रों की माने तो सभी प्रभारी और उप प्रभारी पांच जून को दावेदारों के नाम पीसीसी में देंगे, जिसके बाद 8 जून तक स्कूटनी की जाएगी और 9 जून को कमलनाथ द्वारा बुलाई गई बैठक में हर नाम पर चर्चा कर प्रत्याशियों का नाम तय करेंगे। मालवीय दुर्गावाहनी की प्रदेश संयोजक रही हैं। पूर्व में 1999 में वे महापौर का चुनाव हार चुकी हैं। इसके अलावा गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर की भी दावेदारी मानी जा रही है। वे पूर्व में 2009 में महापौर रह चुकी हैं। जबलपुर में भी दावेदारों की सूची लंबी है। सामान्य पुरुष सीट होने की वजह से आशीष दुबे, कमलेश अग्रवाल, मनीष दुबे के अलावा पूर्व विधायक शरद जैन, हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू भी टिकट की दौड़ में हैं। पूर्व महापौर प्रभात साहू भी चाहते हैं कि उन्हें एक मौका और मिले। यह बात अलग है की अभी तक फिलहाल भाजपा नेतृत्व ने विधायकों को महापौर का चुनाव लड़ाया जाए या नहीं, इस पर कोई फैसला नहीं किया है। यदि विधायकों को चुनाव लड़वाने पर सहमति बनी तो भोपाल-इंदौर जैसे शहर में विधायकों को टिकट दिया जा सकता है।
कांग्रेस भरवा रही शपथ पत्र
नगर निगम चुनाव में पार्टी में विद्रोह रोकने के लिए जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा दावेदारों से निर्दलीय चुनाव न लड़ने का शपथ पत्र लिया जा रहा है। बीते रोज गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में आने वाले छह वार्डों के कार्यकर्ताओं की बैठक में मौजूद नेताओं ने सभी कार्यकर्ताओं से कहा कि टिकट किसी को भी मिले, एकजुट होकर उम्मीदवारों को जिताने के लिए मेहनत करनी है।
छोटे दल भी चुनौती देने को तैयार
पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के लिए छोटे दलों ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं। इन दलों में प्रमुख रुप से बसपा, सपा, आम आदमी पार्टी, सवर्ण समाज पार्टी शामिल है। अगले साल होने वाले विधानसभा के पूर्व हो रहे इन चुनावों को यह दल सेमीफाइनल मानकर चल रहे हैं। इसलिए इन छोटे दलों द्वारा भी इन चुनावों में पूरी दमखम लगाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश का काम शुरू कर दिया गया है। यह बात अलग है की इन दलों का प्रदेश में कुछ खास असर नहीं है, फिर भी वे कई सीटों पर प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। नगरीय सरकार में यह दल अपना खाता खोलने के प्रयासों में हैं, जिसकी वजह से ही वे पूरी ताकत लगाने के प्रयास में है। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने 5 जून को बैठक बुलाई है। इस बैठक में उम्मीदवारों के चयन सहित चुनाव की रणनीति पर मंथन किया जाएगा। वहीं बसपा ने भी रणनीति के साथ काम शुरू किया है। आम आदमी पार्टी द्वारा तो पहले से ही चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई थी। आप पार्टी ने तय किया है कि जिस क्षेत्र में पार्टी से जुड़ा कोई उपयुक्त व्यक्ति नहीं है तो उसे क्षेत्र में अन्य जिताऊ उम्मीदवार का समर्थन किया जाएगा। लेकिन इसमें भाजपा, कांग्रेस जैसे दलों से दूरी बनाई रखी जाएगी। इसी तरह से सवर्ण समाज पार्टी भी योग्य उम्मीदवारों की तलाश में लगी हुई है। प्रदेशाध्यक्ष सुरेश शुक्ला का कहना है की पार्टी की विचारधारा से सहमत लोगों को ही टिकट दिए जाएंगे।
भाजपा में एक अनार सौ बीमार की स्थिति
भाजपा में महापौर के टिकट के लिए सभी बड़े शहरों में एक अनार सौ बीमार की स्थिति बनी हुई है। कुछ सामान्य सीटों पर ओबीसी नेता भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। सामान्य सीट वाले इंदौर में ओबीसी के जीतू जिराती और मधु वर्मा टिकट की दोवदारी कर रहे हैं। इसी तरह से भोपाल महिला ओबीसी के लिए भी कई महिला नेता दावेदारी करने में पीछे नही रहना चाह रही हैं। उधर, ग्वालियर में पार्टी के दिग्गजों के बीच सहमति बनाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। अगर भोपाल की बात की जाए तो चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की ओर से मालती राय का नाम आगे बढ़ाया है। वे पहले पार्षद के अलावा भाजपा महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष भी रही हैं। इनके अलावा भाजपा की प्रवक्ता सहित प्रदेश मंत्री रही राजो मालवीय का नाम भी प्रबल दावेदारों में है।