मप्र में अब भी सटोरिए मान रहे हैं कड़ा मुकाबला

 सटोरिए

भोपाल/गौरव चौहान। बीते रोज तेलंगाना में मतदान समाप्त होने के बाद जैसे तमाम एग्जिट पोल सामने आना शुरु हुए तो सटोरियों ने भी अपना अनुमान सामने लाना शुरु कर दिया। यह बात अलग है कि प्रदेश में हुए मतदान के बाद भी गाहे – बगाहे सट्टा बाजार के भाव सामने आते रहे हैं , लेकिन बेहद गोपनीय तौर पर लेकिन, लोग उन पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे। अब एग्जिट पोल पर लगा प्रतिबंध समाप्त हुआ तो सट्टा बाजार के रेट तेजी से आना शुरु हो गए हैं। अगर बीते आम चुनाव यानी की 28 नवंबर 2018 की बात करें तो तब कांग्रेस का रेट 45 पैसे एवं भाजपा का 55 पैसा तय किया गया था और चुनाव परिणाम भी वैसा ही सामने आया था। उस समय कांग्रेस की भाजपा की तुलना में अधिक सीटें आई थीं और कांग्रेस की कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी थी। इस बार जिस तरह का मतदान हुआ है, उसकी वजह से इस बार प्रदेश में चुनाव परिणाम को लेकर सटोरिए भी स्पष्ट रुप से तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर सत्ता के इस संग्राम में बाजी कौन मारेगा। सटोरियों पर भरोसा किया जाए तो इस बार भी प्रदेश में कांटे की टक्कर के बाद भी कांग्रेस को अधिक सीटें मिल सकती हैं। सटोरिए अब भी एग्जिट पोल से इतर अपना अनुमान जता रहे हैं। जिस तरह से एग्जिट पोल के अनुमान आए हैं , उसी वजह से कोई भी सटोरिया यह करने की स्थिति में नहीं है कि प्रदेश में भाजपा की वापसी होगी या कांग्रेस की सरकार बनेंगी। अगर सटोरियों की बातों पर विश्वास किया जाए तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस के खाते में अधिक सीटें जाती दिख रही है। यही कारण है कि सटोरियों ने कांग्रेस का रेट 48 पैसे तो भाजपा का 52 पैसे तय किया है। सटोरियों की भाषा में जिसका कम रेट, उसे अधिक फायदा माना जाता है। सरल शब्दों में बात की जाए तो इसका मतलब यह है कि अगर कांग्रेस की सरकार बने तो सट्टा लगाने वाले को एक रुपए पर 48 पैसे अतिरिक्त मिलेंगे। अगर भाजपा की सीटें अधिक आईं, तो एक रुपए पर 52 पैसे अतिरिक्त मिलेंगे।
भाजपा को आठ सीटें कम मिलने का अनुमान
सटोरियों की माने तो इस बार चुनाव में कांटे की टक्कर होने के बाद भी कांग्रेस को 116 से 122 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि भाजपा की झोली में 108 से 116 सीटें आ सकती हैं। इस तरह अगर सटोरियों की बात पर विश्वास किया जाए तो अगली सरकार प्रदेश में कांग्रेस की बनने जा रही है। हालांकि सभी की निगाहें इसलिए 3 दिसम्बर पर टिकी है, क्योंकि कांटे की टक्कर होने से ऊंट किस करवट बैठेगा, यह कहना थोड़ा मुश्किल हो रहा है।
सट्टे का मुख्य केंद्र इंदौर
देश में मुख्य सट्टा बाजार फलौदी, पालपुर, बेलगाम, करनाल, बोही और कोलकाता हैं। वैसे तो सट्टा अब हर छोटे बड़े शहर में लगने लगा है, लेकिन अगर इसके मुख्य केन्द्र बिन्दु की बात की जाए तो वह प्रदेश में इंदौर में है। वहां सर्राफा बाजार इसका मुख्य अड्डा माना जाता है। दूसरे नम्बर पर भोपाल इसके बाद जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, सतना का नम्बर आता है। जहां बुकी सट्टा बुक करने के बाद भोपाल और इंदौर ट्रांसफर कर दिया जाता है। अगर किसी ने करोड़ों में सट्टा खेला है, तो फिर से मुंबई भी ट्रांसफर किया जाता है। फलौदी सट्टा बाजार मप्र में कांग्रेस को 114 से 116 सीटें दे रहा है। इसमें भाजपा का दाम 1.25 है, वहीं कांग्रेस का भाव 0.65 पैसा है। प्रदेश में भाजपा को 110 से 112 सीटें मिल रही हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 0,75 पैसे का भाव है, वहीं भाजपा को 1.25 का भाव दिया जा रहा है। यहां भी सट्टा बाजार में कांग्रेस की सरकार बन रही है। राजस्थान में बीजेपी की सरकार 120-122 सीटों के साथ बन रही है।

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