- हिंदुत्व के वैश्विक पुनरुत्थान पर संघ का मंथन जारी, शाम को होगा भागवत का प्रबोधन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के अनुषांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह की दो दिवसीय चिंतन बैठक के अंतिम दिन आज शाम को होने वाले संघ प्रमुख मोहन भागवत के प्रबोधन पर सभी की नजरें लगी हुई हैं। इसकी वजह है उनके द्वारा हाल ही में दिया गया वह बयान , जिसमें उनके द्वारा अगले दस – पंद्रह सालों में अखंड भारत बनने की बात कही गई है। उधर, हिंदुत्व का वैश्विक पुनरुत्थान विषय पर बैठक के पहले दिन तमाम मामलों के विशेषज्ञों के बीच अलग-अलग समूह बनाकर मंथन किया गया।
चिंतन बैठक की प्रस्तावना रखते हुए संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि अध्ययन, अवलोकन और संवाद से चिंतन प्रबल होता है तथा वर्तमान में हिंदुत्व पर व्यापक विमर्श हो रहा है। इस विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा वह इस विमर्श को अधिक सकारात्मक व रचनात्मक बनाएगा। संघ प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत की मौजूदगी में हो रही इस बैठक की औपचारिक शुरुआत के बाद प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार ने विषयवस्तु पर प्रकाश डाला।
इसके बाद छह अलग-अलग समूह बनाकर विद्वानों और अतिथियों ने चचार्एं शुरू की। इन सभी का विषय था की किस तरह एक बार फिर हिंदुत्व का प्रभाव विश्व पटल पर हो?
मोर्चा संभालने के लिए प्रबुद्धों के समूह बनेंगे
प्रज्ञा प्रवाह ने इस विषय पर बुद्धिजीवियों के मध्य और अधिक मंथन के लिए यह बैठक बुलाई है। आयोजन के केंद्र में उस वैचारिक द्वंद्व के लिए तैयारी और प्रबुद्धों का समूह खड़ा करना है, जो विभिन्न विषयों पर मोर्चा संभाल सके। बैठक में केंद्रीय विवि, आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी,विधि विवि के कुलपति, प्राध्यापक व विषय विशेषज्ञ, इतिहासकार, अर्थशास्त्री और सामाजिक संगठनों के लोठा शामिल हैं। यह पूरी कवायद देश के सामने उठने वाली आर्थिक-सामाजिक चुनौतियों के मुकाबला करने और देश विरोधी ताकतों की काट के रूप में राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले प्रबुद्धजनों के संगठन को विस्तार देने की रणनीति का हिस्सा है।
अपना स्वाभिमान जगाने का समय आ गया है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहनराव भागवत ने कुलपतियों, अर्थशास्त्रियों, इतिहासकार और शिक्षा जगत से जुड़े प्रमुख लोगों से कहा कि अब अपना स्वाभिमान जगाने का समय आ गया है। चाहे वह आर्थिक, सामाजिक या कोई भी क्षेत्र हो। मीडिया भी इसमें शामिल है। स्वाभिमान से ही विचार की सुरक्षा होगी। भागवत ने कहा कि अर्थशास्त्र में पिछले वर्षों में जो भी नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं, उन विद्वानों के विषय और हिंदू अर्थशास्त्र में समानता है। भारतीय विद्वानों को इस पर काम करना चाहिए। केवल पश्चिम में गढ़ी गई मान्यताओं और सिद्धांतों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए। भागवत ने वहां मौजूद लोगों से सवाल भी पूछे। इसमें उनके द्वारा खासतौर पर यह पूछा गया कि महामारी के बाद भारतीय उद्यमियों के देश की अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ने के क्या-क्या कारण हैं और छोटे उद्यमी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, उनकी सक्सेस स्टोरी क्या है?
किसने क्या कहा
हिंदुत्व का मूल विचार विषय पर बोलते हुए वरिष्ठ चिंतक व विचारक रंगा हरि ने हिन्दुत्व के तात्पर्य, इतिहास, विधिक और राजनैतिक व्यख्याएं तथा हिंदुत्व की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए उस पर संघ के विचार बताए। इसी विषय को आगे बढ़ाते हुए शिक्षाविद् इंदुमति काटदरे ने कहा कि अंग्रेजी को यदि अंग्रेजियत से मुक्त कर सको तो अंग्रेजी बोलने का साहस करो। हिन्दुत्व विकास की धुरी विषय पर प्रस्तुति देते हुए आईआईएम अहमदाबाद के प्रो. शैलेंद्र मेहता ने भारत के अतीत से विकास तथा शिक्षा की यात्रा के विषय में बताया और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान के क्रियान्वयन पर चर्चा की। वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में हिन्दू अर्थशास्त्र विषय पर अर्थशास्त्री विनायक गोविलकर ने संवाद किया। वरिष्ठ मीडिया सलाहकार उमेश उपाध्याय ने मीडिया विमर्श में हिन्दू फोबिया एवं हिन्दुत्व विषय पर तथ्यात्मक व शोधपरक विमर्श किया। बैठक में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, ख्यातिलब्ध इतिहासकार, अर्थशास्त्री एवं अकादमिक जगत के कई बुद्धिजीवी भाग ले रहे हैं। गौर हो कि सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों के विमर्श मंथन क्रम में प्रज्ञा प्रवाह द्वारा समय-समय पर ऐसी बैठकों का आयोजन किया जाता है।