- संगठन के बाद चुनावी प्रयोग सही या गलत बताएगी जनता
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। बदलाव के दौर से गुजर रही भाजपा की पहली परीक्षा नगरीय निकाय चुनाव के रुप में होने जा रही है। संगठन में युवा चेहरों को मौका देने के बाद अब पार्टी ने नगरीय निकाय चुनाव में भी नए चेहरों पर और खासतौर पर युवाओं पर अधिकांश जगह दांव लगाया है। इस चुनाव में पार्टी ने महापौर प्रत्याशी के मामले में इस बार ज्यादातर क्षेत्रों में नए प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। कल यानि की 6 जुलाई को मतदान के साथ ही विधायकों को टिकट न देने और इस नए प्रयोग की असली परीक्षा है, जिसका पता अगले पखवाड़े में आने वाले चुनाव परिणाम से पता चल जाएगा। जनता ने इस बदलाव को स्वीकार किया या नहीं। पहले चरण के 11 नगर निगमों में सोमवार शाम प्रचार थमने के साथ ही भाजपा नेता और कार्यकर्ता अब घर-घर जाकर दस्तक देने में जुट गए हैं। यह बात अलग है कि नए चेहरों के कारण कई शहरों में भाजपा को चुनाव प्रचार में अतिरिक्त मेहनत और ऊर्जा खर्च करनी पड़ रही है। खासतौर पर इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे भाजपा के अपने गढ़ों में ही अब भी भाजपा नेता पूरी ताकत लगा रहे हैं। दरअसल इंदौर में भाजपा ने संघ की पसंद के प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव को चुनावी मैदान में उतारा है। यहां पर उनका मुकाबला कांग्रेस के सबसे मजबूत प्रत्याशी संजय शुक्ला से है। इंदौर के चुनाव प्रचार में भाजपा नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी। इंदौर के लिए भार्गव का नाम एकदम नया था, उन्हें पब्लिक के बीच अपनी बात रखने के लिए ज्यादा समय ही नहीं मिला। शहर के आठ विधानसभा क्षेत्रों में फेरी लगाने में ही उनका चुनाव प्रचार का समय बीत गया। यही स्थिति जबलपुर में प्रत्याशी डॉ जितेंद्र जामदार के मामले में भी बनी हुई है। पुराने कार्यकर्ताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए प्रयासों में ही अधिकांश समय जाया हो गया। उधर ग्वालियर में सुमन शर्मा को प्रचार के दौरान भारी मशक्कत करनी पड़ी, पार्टी के नेता अनूप मिश्रा के घर जाकर पैर पकड़ कर माफी मागने का उनका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होता रहा। यही वजह है कि इन महागनरों में भाजपा के केन्द्रीय नेताओं से लेकर प्रदेश सरकार तक के मंत्रियों को सड़कों पर उतरना पड़ा है। इसके अलावा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी प्रचार में ताकत लगाी पड़ी है।
बूथ मैनेजमेंट पर जोर
इधर, 49 जिलों के 133 निकायों में प्रचार थमने के बाद अब पूरा जोर बूथ मैनेजमेंट का है। भाजपा ने इन निकायों में बूथ कमेटियों की एक्टिव कर दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने चुनाव प्रभारियों को वोटिंग के हिसाब से कदम उठाने और डोर-टू-डोर संपर्क पर फोकस करने के निर्देश दिए हैं। उधर, कांग्रेस में पूरी कमान कमलनाथ स्वयं संभाले हुए हैं। नेताओं को अपने अपने क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी दी गई है।
भाजपा के इन कार्यक्रमों की भी होगी परीक्षा :विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 के पहले स्थानीय सरकार के चुनाव भाजपा की बूथ विस्तार योजना की अग्निपरीक्षा हैं। प्रदेश भाजपा ने इस योजना में देश के बड़े राज्यों में डिजिटल बूथ नेटवर्क वाला पहला राज्य बनने का तमगा हासिल किया है, लेकिन अब यही नेटवर्क कसौटी पर हो भाजपा ने नगर सरकार के चुनाव में इस बूथ नेटवर्क पर भरोसा करके 80 फीसदी से ज्यादा टिकट नए चेहरों को दिए हैं। प्रदेश भाजपा ने पहली बार बूथ विस्तार के तहत इस प्रकार का नेटवर्क तैयार किया है। एक लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं के साथ कभी भी एक साथ वर्चुअल संवाद की क्षमता हासिल की गई है। अब पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस उन बूथों पर हैं, जहां पिछली बार पार्टी को वोट कम मिले थे। इसलिए इन बूथों की टीम को ज्यादा अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। हर बूथ की रिपोर्ट लेने के लिए टीमें तैनात की गई हैं। पार्टी का दावा है की 65 हजार बूथ पर नेटवर्क बनाया। 10 युवा हर बूथ पर नए जोड़े। 64 हजार बूथ डिजिटल किए। 12.75 लाख कार्यकर्ता संगठन ऐप से जुड़े।
भोपाल में भी करने पड़े रोड शो
राजधानी भोपाल में भी पार्टी ने पूर्व पार्षद रहीं मालती राय पर दांव लगाया। वे पार्टी की ऐसी चेहरा थीं, जिनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी विभा पटेल के सामने पहचान की चुनौति बनी हुई थी , लेकिन पूरी पार्टी एकजुटता के साथ चुनाव प्रचार में उतरी तो उनका भी माहौल तो बन गया, लेकिन मतदाता क्या सोचते हैं यह तो चुनाव परिणाम के दिन ही पता चल सकेगा। सागर में भाजपा ने पार्टी के नेता सुशील तिवारी की पत्नी संगीता तिवारी प्रत्याशी हैं। तिवारी सागर की स्थानीय राजनीति में लगातार सक्रिय हैं, इसलिए संगीता के सामने पहचान का संकट नहीं रहा लेकिन सतना के योगेश ताम्रकार और सिंगरौली में चंद्र प्रताप विश्वकर्मा को लेकर पार्टी ज्यादा जोर लगा रही है। बुरहानपुर में माधुरी पटेल एक बार पहले भी महापौर रह चुकी हैं उनके पति भी एक बार इस पद पर रह चुके हैं। यह ऐसा नगर निगम है जहां पर पार्टी ने पुराने प्रत्याशी पर ही दांव लगाना मुनासिब समझा है। इसकी वजह रही है पार्टी के पास यहां पर जिताऊ नए चेहरे का अभाव होना। खंडवा में अमृता यादव को भी परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि का फायदा मिल रहा है ।
कांग्रेस भी नहीं रही नए चेहरों पर दांव में पीछे
इधर, कांग्रेस ने भी महापौर पद के लिए 15 नए चेहरे चुनाव मैदान में उतारे हैं। यह बात अलग है कि इनमें से अधिकांश चेहरे निकाय चुनाव लड़ने का अनुभव रखते हैं। पार्टी ने एक मात्र भोपाल महापौर प्रत्याशी के लिए विभा पटेल पर फिर से दांव लगाया है। इंदौर से चुनाव लड़ रहे संजय शुक्ला और सतना के सिद्धार्थ कुशवाह विधायक हैं। रीवा के अजय मिश्रा नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। सागर से निधि जैन और कटनी से श्रेहा खंडेलवाल पहली बार चुनाव मैदान में उतरी हैं।
मैदानी मोर्चा के साथ तकनीक का भी सहारा
निकाय चुनाव के पहले चरण का प्रचार सोमवार शाम को थमने से पहले विजय हासिल करने के लिए दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी है। इस दौरान दोनों दलों के बड़े नेता जहां मैदानी मोर्चा स्म्हाले रहे , तो वहीं दोनों पार्टियों के साइबर सियासी योद्धा दफ्तरों से चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। इन दोनों ही दलों के बैस केंप भोपाल में बने हुए हैं। ये टीमें प्रदेशभर पर नजर रखती हैं। जिलों की टीम से समन्वय बनाती हैं। सोशल मीडिया टीमों में ग्राफिक्स डिजाइनर, वीडियो एडिटर, कॉपी एडिटर से लेकर वॉइस आर्टिस्ट तक शामिल हैं। इसके अलावा बड़े नेताओं की खुद भी सोशल मीडिया टीमें हैं, जो पोस्टर, वीडियो आदि ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर पोस्ट करती हैं।