- वीडी शर्मा, हेमंत खंडेलवाल, नरोत्तम मिश्रा, कुलस्ते और अरविंद भदौरिया मजबूत दावेदार
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र भाजपा के सभी 62 जिला अध्यक्षों का चुनाव हो गया है। अब सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव ही बाकी है। पार्टी ने पहले ही केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को प्रदेश अध्यक्ष के चयन के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है और उम्मीद जताई जा रही है कि वे जल्द ही मप्र का दौरा करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नाम चर्चा में हैं। इनमें वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, हेमंत खंडेलवाल, नरोत्तम मिश्रा, फग्गन सिंह कुलस्ते और अरविंद भदौरिया मजबूत दावेदार हैं। सूत्रों का कहना है कि रेस में अब सबसे आगे बैतूल से विधायक और पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल का नाम तेजी से आगे आया है। खंडेलवाल को संघ, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पार्टी के अन्य नेताओं का समर्थन मिल रहा है। हेमंत खंडेलवाल के पिता स्व. विजय खंडेलवाल भी भाजपा के नेता थे, जिससे उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत और पार्टी से बहुत गहरा जुड़ाव है। पार्टी सूत्रों के अनुसार हेमंत खंडेलवाल के संघ से जुडे होने और विवादों से दूर रहने के चलते पार्टी अब धीरे धीरे उनके नाम पर सहमति बना रही है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल पांच साल का हो चुका है और उन्हें फिर से मौका मिलने की संभावना कम है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष के चुनाव के लिए भी जातिगत समीकरणों को साधना चाहेगी। ऐसे में संभावना है कि नया अध्यक्ष सामान्य, आदिवासी या महिला वर्ग से हो सकता है, क्योंकि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के बाद डिप्टी सीएम और मंत्रियों के लिए भी जातिगत समीकरणों का पूरा ध्यान रखा था। अभी अध्यक्ष पद की रेस में कई सीनियर नेता भी दावेदार हैं। ऐसे में देखना होगा कि भाजपा सीनियर नेता को कमान सौंपती है या फिर किसी नए चेहरे पर दांव लगाती है।
नए अध्यक्ष की तलाश
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के कार्यकाल को पांच वर्ष पूरे हो रहे हैं। उनको पार्टी ने 2019 में हुए संगठन चुनाव के बाद फरवरी 2020 में राकेश सिंह के स्थान पर प्रदेश की कमान सौंपी थी। उनके कार्यकाल में ही विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 हुए। दोनों चुनाव में ही पार्टी को बेहतर परिणाम मिले, इसलिए पार्टी अब उनका उत्तराधिकारी ऐसा चाहती है, जो अगले तीन वर्ष में संगठन को और मजबूत कर सके। दरअसल, लगभग दो वर्ष पूर्व भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया था, यही वजह है कि वीडी का कार्यकाल भी बढ़ गया था। पार्टी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव का प्रचार थमने के बाद चार फरवरी से दिल्ली में इसकी कवायद तेज हो जाएगी। छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो चुकी है लेकिन मध्य प्रदेश में बड़े नेताओं की सहमति न बनने से मामला अटका हुआ है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, पिछले संगठन चुनाव के दौरान भाजपा ने पीढ़ी परिवर्तन का संकल्प लिया था। इस कारण मंडल स्तर पर 35 वर्ष और जिलाध्यक्ष पद पर 55 से साठ वर्ष तक के ही अध्यक्ष बनाए गए थे। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी वीडी शर्मा को लाकर पार्टी ने नई पीढ़ी के हाथों में संगठन को सौंपा था। उनकी टीम में भी 30 साल बाद नई पीढ़ी परिवर्तन की झलक दिखाई दी थी। इससे पहले स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा भाजपा में नई पीढ़ी को लाए थे, जो अब तक सत्ता-संगठन में शीर्ष पदों पर है। इसके परिणाम भी अच्छे आए और विधानसभा, लोकसभा चुनाव से लेकर स्थानीय चुनाव में भी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया। अब तक वीडी शर्मा ही ऐसे अध्यक्ष हैं, जो पांच वर्ष तक लगातार प्रदेश अध्यक्ष बने रहे। वैसे, वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर भी दो बार प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहे। पहली बार तोमर के नेतृत्व में ही भाजपा वर्ष 2008 में सत्ता में लौटी थी और दूसरी बार 2013 में फिर तोमर को प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई थी, तब भी भाजपा ने सरकार में वापसी की थी। भाजपा की नई पीढ़ी में तोमर की नेतृत्व और संगठन क्षमता का केंद्रीय नेतृत्व भी कायल रहा है। उन्हें कई राज्यों का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया। भाजपा ने में मप्र के 2023 के विधानसभा चुनाव भी तोमर को चुनाव प्रबंधन समिति का प्रभारी बनाया गया था।
ये नेता हैं दावेदार
नरोत्तम मिश्रा– पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है। वह सवर्ण वर्ग से आते हैं और राज्य की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं। उनकी केंद्रीय नेतृत्व से भी अच्छी ट्यूनिंग मानी जाती है।
फग्गन सिंह कुलस्ते– पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी वर्ग से आते हैं और मध्य प्रदेश में आदिवासी वर्ग की अहमियत को देखते हुए उनकी दावेदारी काफी मजबूत हो सकती है।
वीडी शर्मा- वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का नाम भी रेस में हैं, क्योंकि उनके कार्यकाल में बीजेपी ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी एक बार फिर उनके नाम पर विचार कर सकती है।
अरविंद भदौरिया- पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया संगठन के एक कुशल रणनीतिकार माने जाते हैं। हालांकि, वह 2023 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे, लेकिन पार्टी उन्हें एक बार फिर सक्रिय करना चाहती है।