भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। इन दिनों भाजपा का पूरा जोर संगठन और मतदाताओं में अपना प्रभाव बढ़ाने पर है। इसके लिए संगठन स्तर पर चिंतन व मनन के बाद नए -नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। यह पूरी कवायद दो साल बाद होने वाले विधानसभा और उसके अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर की जा रही है। इसके लिए अब संगठन विस्तारकों को बूथ स्तर तक उतारने की तैयारी कर चुकी है, तो वहीं असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को मनाने की भी मुहिम शुरू करने जा रही है। इसके लिए संगठन द्वारा पूरी कार्ययोजना बना ली गई है। इसके लिए पार्टी के प्रति नए लोगों में रुझान पैदा करने के लिए चेन मार्केटिंग पैटर्न को भी लागू करने की योजना है। इसके माध्यम से संगठन विस्तार का प्लान तैयार किया जा रहा है। इसमें बूथ स्तर तक की व्यूहरचना होगी। बूथ स्तर तक विस्तारक बनाएंगे, जो आगे और लोगों को जोड़कर नेटवर्क तैयार करेंगे। दरअसल, भाजपा के संगठन को मजबूत और उसकी पहुंच बढ़ाने के लिए लगातार मशक्कत की जा रही है। यही वजह है कि बीते कई दिनों में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, सह-संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव मप्र में न केवल डेरा डाल चुके हैं, बल्कि कमजोर कड़ी को तलाश कर उस पर काम करने की नसीहत भी दे चुके हैं। इसके लिए उनके द्वारा नए सिरे से दिशा निर्देश भी दिए गए हैं। अब प्रदेश संगठन इन निर्देशों के तहत ही आगे बढ़ रहा है। प्रदेश संगठन के मुखिया वीडी शर्मा भी जल्द बूथ स्तर तक निकलने वाले हैं। इसके पीछे उनका मकसद मंडल और बूथ स्तर नए लोगों को जोड़कर संगठन का विस्तार करना है। पहले चरण में निचले स्तर तक सात- सात लोगों की टीम बनाई जाएगी, जिसके बाद यह लोग सभी आगे दो-दो लोगों को जोड़ेंगे। फिर आगे जोड़े गए लोग भी ऐसा ही आगे करते जाएंगे। इस चेन मार्केटिंग का फंडे को ही अब भाजपा लागू करने जा रही है। इसके अलावा संगठन द्वारा एक बूथ दस यूथ के प्लान पर भी काम किया जा रहा है। इसके साथ ही संगठन द्वारा अपने पुराने उन कार्यकर्ताओं का असंतोष दूर करने पर भी फोकस किया जाने वाला है जो अब पार्टी के लिए सक्रिय नही रह गए हैं। उनकी नाराजगी दूर कर उन्हें फिर से सक्रिय किए जाने की योजना भी बनाई गई है। इसके लिए कार्यकर्ताओं से सतत व बेहतर समन्वय और संवाद का फॉर्मूला लागू करने की योजना तैयार की गई है। दरअसल संगठन महामंत्री, सह-संगठन मंत्री प्रदेश में संपर्क-संवाद और समन्वय का काम करते रहते हैं, फिर भी कई कार्यकर्ता उन तक नहीं पहुंच पाते। यही नहीं कई कार्यकर्ताओं का भोपाल तक आना भी संभव नहीं होता। उन्हें अपने क्षेत्र के मंत्रियों-विधायकों के नहीं सुनने और मेल मुलाकात नहीं करने की शिकायतें भी रहती हैं। इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ता है, जिससे बचने के लिए ही नया फॉर्मूला लागू करने की कवायद की जा रही है।
संघ की तर्ज पर खड़ा किया जाएगा संगठन
भाजपा के रणनीतिकारों ने संगठन को मजबूत करने के लिए पहले चरण में संघ की तर्ज पर संगठन को ढालने की तैयारी कर ली है। इसके तहत प्रदेश को तीन भागों में विभाजित कर संगठन को मजबूती प्रदान की जाएगी। अब संघ की ही तरह प्रदेश को मध्यभारत, महाकौशल और मालवा प्रांत में विभाजित किया जाएगा। इसके तहत संघ से भेजे गए तीन प्रचारक या विस्तारक बतौर संगठन मंत्री क्षेत्रीय स्तर पर काम करेंगे। इन तीनों ही प्रांतों के तहत आने वाले प्रत्येक संभाग स्तर पर कोर ग्रुप का गठन किया जाएगा। संगठन मंत्रियों की निगरानी में कोर ग्रुप स्थानीय कार्यकर्ताओं के मुद्दों और समस्याओं का निराकरण करेंगे। जब भी प्रभारी या विभागीय मंत्री दौरा करेंगे तब समन्वय और संवाद का कार्य भी इनके जिम्मे रहेगा। इसके पीछे संगठन की मंशा जमीनी कार्यकर्ता, पार्टी और सरकार के बीच सेतु का काम करना है।
बूथ मैपिंग का काम शुरू
भाजपा का उन बूथों पर खासतौर पर फोकस है जिन पर बीते आम चुनाव में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था। इसके अलावा संगठन अजा जजा वर्ग पर भी फोकस कर रही है। इसके लिए बूथ मैपिंग कर काम शुरू किया गया है। पिछले चुनाव में आदिवासी वोटबैंक का भरोसा हासिल न करने के कारण भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। अब इसी हिसाब से विस्तार प्लान में भी व्यूह रचना हो रही है।
नहीं मिल पा रही सत्ता में भागीदारी
मध्यप्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं की सबसे बड़ी नाराजगी की वजह सत्ता में भागीदारी नहीं मिलने की वजह से है। पिछती सरकार में भी शिव सरकार द्वारा कार्यकर्ताओं को सत्ता की भागीदारी से दूर रखा गया था, जिसकी वजह से चुनाव के समय कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत के साथ मेहनत नहीं की थी। चुनाव के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को इसका फायदा मिला। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने रिक्त पड़े तमाम आयोगों और निगम मंडलों में अपने कार्यकर्ताओं को नियुक्त कर दिया था। यही नहीं अन्य उन संस्थाओं में भी नियुक्तियां कर दी गई थीं, जिनमें राजनैतिक स्तर पर तैनाती की जाती है। इस बार भी करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में अब तक शिव सरकार ने अपने कार्यकर्ताओं की भागीदारी को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है।
03/12/2021
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