जो जीता उसे सिकंदर… बनाएगी भाजपा

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भोपा/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा में मैदानी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच दावेदारी को लेकर मची खींचतान को देखते हुए अब भाजपा संगठन ने तय किया है कि जो भी कार्यकर्ता चुनाव जीतकर आएगा ,उसे अपना प्रत्याशी मानते हुए सिकंदर बना देगी। इसके लिए प्रदेश संगठन द्वारा उत्तर प्रदेश की तर्ज पर प्रदेश में भी जिला पंचायतों के दावेदारों के लिए फ्री फॉर आल का फार्मूला लागू करने की तैयारी कर ली गई है।
जिला पंचायत चुनाव में जिस प्रत्याशी द्वारा जीत दर्ज की जाएगी उसे भाजपा अपना मान लेगी। दरअसल प्रदेश की सभी 52 जिला पंचायतों में अध्यक्ष पद का आरक्षण न होने के बाद भी अभी से खींचतान की स्थिति बन चुकी है। इस मामले में दावदारों द्वारा अभी से जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक दावेदारी करना शुरू कर दिया गया है। इन हालातों के चलते ही पार्टी साफ कह रही है कि वे पहले अपनी दम पर चुनाव जीत कर आएं। जो जीत जाएगा उसे ही संगठन का समर्थन देकर मान लिया जाएगा कि वह भाजपा समर्थित है। दरअसल प्रदेश में पहले भी पंचायत चुनावों में इस तरह का प्रयोग किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि बीते चुनाव के बाद भाजपा ने करीब 3 दर्जन जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपने प्रत्याशी जीतने का दावा किया था लेकिन, बाद में वे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान कुछ जिला अध्यक्षों ने अपनी निष्ठा तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रति घोषित कर दी थी। इसकी वजह से पार्टी की किरकिरी भी हो चुकी है। फिलहाल तो अभी यह तय नहीं है कि किस जिले में किस वर्ग का जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित होगा। इसकी वजह है अब तक प्रदेश में जिला पंचायतों के लिए आरक्षण का न हो पाना।
गैर दलीय आधार पर होते हैं चुनाव
दरअसल प्रदेश में पंचायत चुनाव गैरदलीय आधार पर होते हैं, जिसकी वजह से स्पष्ट तौर पर यह पता नहीं चल पाता है कि कौन सा प्रत्याशी किस दल का है। इसकी वजह है एक ही दल के कई -कई समर्थकों का चुनावी मैदान में उतर जाना। यही वजह है कि अब सत्ता-संगठन के दिग्गज नेताओं ने संभावित दावेदारों को यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी ताकत पर चुनाव जीतकर आएं। इसके बाद पार्टी उनका स्वागत करेगी। यह बात अलग है कि पार्टी द्वारा इसके प्रयास जरुर किए जा रहे हैं कि इन चुनावों में पार्टी में एक राय बनाकर प्रत्याशी उतारे जाएं। लेकिन यह प्रयास सदस्यों तक ही सीमित बताए जा रहे हैं। यही वजह है कि इसके लिए पार्टी द्वारा तीन दर्जन नेताओं की एक समिति भी बनाई जा चुकी है। गौरतलब है कि गैर दलीय आधार पर होने वाले इन चुनावों में किसी भी राजनीतिक पार्टी का अधिकृत चुनाव चिन्ह का उपयोग नहीं होगा। इसकी वजह से ही इन चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग अलग से चुनाव चिन्ह आवंटित करता है।
जनपद अध्यक्षों का फैसला मंडलों पर
संगठन द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदारी पुख्ता कराने को लेकर भोपाल के चक्कर काटने वाले कार्यकर्ताओं से साफतौर पर कह दिया गया है कि वे भोपाल में पार्टी मुख्यालय अथवा सत्ता- संगठन के नेताओं के यहां चक्कर न काटे अगर वे ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ निगेटिव मार्किंग की जाएगी। इसके अलावा जनपद पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए पार्टी किस चेहरे पर दांव लगाएगी इसका फैसला मंडल अध्यक्षों की रिपोर्ट पर किया जाएगा। संगठन की जिला और मंडल इकाई का महत्व और जवाबदारी बढ़ाने के लिए पार्टी ने इस तरह की रणनीति बनाई है।

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