- विधायकों को भी उतार सकती है चुनाव में
मप्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं। भाजपा की नजर जहां नए चेहरों पर है, वहीं कांग्रेस अनुभवी और दिग्गज नेताओं पर दांव लगाने का मन बना रही है। यह इस बात का संकेत है की भाजपा के करीब दर्जनभर सांसदों का टिकट खतरे में हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा का जिन लोकसभा क्षेत्रों में कमजोर प्रदर्शन रहा है, पार्टी उन सीटों पर गहन चिंतन-मनन कर रही है। वहीं कुछ और सीटें भी हैं, जहां भाजपा अपने सांसदों की स्थिति का आंकलन कर रही है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि चुनाव में जीत पाने के लिए पार्टी करीब दर्जन भर सीटों पर नए चेहरों पर दांव लगा सकती है। उल्लेखनीय है कि राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं, इनमें से भाजपा का 28 पर और कांग्रेस का एक पर कब्जा है। भाजपा की कोशिश जहां सभी स्थानों पर जीत हासिल करने की है, वहीं कांग्रेस अपनी स्थिति को पिछले चुनाव से बेहतर बनाने की कोशिश में है। दोनों ही दलों में बेहतर उम्मीदवार की तलाश के लिए अभी से होमवर्क जारी है। पार्टी इस बार कुछ विधायकों पर दांव लगाने की तैयारी मे है। इसके लिए भाजपा ने सभी सीटों का जमीनी फीडबैक जुटाना शुरू कर दिया है। सांसदों का भी रिपोर्ट कार्ड तैयार हो रहा है। पार्टी उन पांच स्थानों के लिए सबसे पहले उम्मीदवार तलाश रही है, जहां के सांसद हाल ही में हुए विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। वहीं दो स्थानों पर सांसदों को विधायक के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी मंथन कर रही है कि इन दो स्थानों के लिए आखिर क्या किया जाए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मध्य प्रदेश में भाजपा के पास अपनी ताकत को और बढ़ाने का बहुत कम मौका है, जबकि कांग्रेस के पास अवसर बहुत हैं। ऐसे में भाजपा जहां अपनी ताकत को बनाए रखना चाहेगी, वहीं कांग्रेस अपना अंक बढ़ाने की कोशिश में जुटेगी।
चुनाव घोषणा से पहले प्रत्याशियों का ऐलान
विधानसभा चुनाव की तरह भाजपा लोकसभा चुनाव में भी कुछ सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान चुनाव की घोषणा से पहले कर सकती है। जिसमें प्रदेश की एक मात्र कांग्रेस नेतृत्व वाली छिंदवाड़ा सीट भी शामिल है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मुरैना, होशंगाबाद, सतना, जबलपुर, सीधी, मंडला और सतना सांसद को उतारा था। इनमें से सतना और मंडला सांसद चुनाव हार गए। जबकि शेष 5 सांसद चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं। यह भी संभावना है कि लोकसभा चुनाव में मंडला और सतना सीट से चेहरा बदल दिया जाए। वर्तमान में मप्र में भाजपा के 23 सांसद हैं। पार्टी इनमें करीब आधे चेहरे बदल सकती है। इनमें कुछ पुराने चेहरे भी हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार शीर्ष नेतृत्व लोकसभा चुनाव के लिए नए चेहरों को मौका देना चाहता है। इसमें उन चेहरों को भी जगह मिल सकती है, जो डॉक्टर, इंजीनियर, सामाजिक क्षेत्र में विशेष कार्य, सीए एवं अन्य क्षेत्र में विशेषता रखने वाले हों। हालांकि इनका भाजपा से जुड़ा होना जरूरी है। खबर है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा मप्र में चौंकाने वाला निर्णय करेगी। पिछले पांच साल के कार्यकाल में भाजपा के जो सांसद अलग-अलग कारणों से विवादों में रहे हैं, उनका टिकट कटना लगभग तय है। खास बात यह है कि इसकी पहली ही गोपनीय तौर पर रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। अब चुनाव के दौरान सिर्फ औपचारिकता होगी।
एक दर्जन सांसदों के टिकट पर खतरा
भाजपा सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव की तरह भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए टिकट तय करने में कड़े फैसले ले सकती है। जिसमें डेढ़ दर्जन सीटों पर नए चेहरे उतारे जा सकते हैं। यानी मौजूदा एक दर्जन सांसदों के टिकट पर कैंची चल सकती है। 5 सांसदों के विधायक बनने से खाली हुई सीटों पर भी नए चेहरे उतारे जाएंगे। यानी विधायक बन चुके किसी भी सांसद को फिर से लोकसभा का टिकट नहीं मिलेगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव को लेकर शीर्ष नेतृत्व ने पूरा होमवर्क कर लिया है। चूंकि मप्र में भाजपा प्रचंड बहुमत से जीती है, इसलिए अब मप्र में टिकटों को लेकर भी उतनी मशक्कत नहीं करनी है। ज्यादातर सीटों पर नए चेहरे होंगे। इनमें कुछ विधायक भी हो सकते हैं। जिस तरह से पार्टी नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव में 7 सांसदों को उतारा था, उसी तरह कुछ सीटों पर विधायकों को भी लोकसभा चुनाव में उतारने की पूरी संभावना है। खास बात यह है कि जिन सीटों पर मौजूदा 23 सांसदों में से टिकट काटे जाना है, उसको लेकर पार्टी की ओर से अधिकृत बयान जारी नहीं किया गया। हालांकि सूत्र बताते हैं कि प्रत्याशियों को लेकर कसरत लगभग पूरी हो चुकी है। वर्तमान समय में भाजपा के पास जो 23 सांसद हैं । उधर पार्टी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर से , डॉ राजेश मिश्रा सतना से, हरिशंकर खटीक टीकमगढ़ से गोपाल भार्गव या फिर भूपेन्द्र सिंह सागर से और अजय सिंह को रीवा से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इसी तरह से गुना संसदीय सीट से एक बार फिर केपी सिंह को ही बतौर प्रत्याशी बनाया जाना तय कर लिया गया है। इसकी वजह से ग्वालियर से विवेक शेजवलकर, सागर से राजबहादुर सिंह, टीकमगढ़ से वीरेंद्र खटीक (अजा), सतना से गणेश सिंह, रीवा से जनार्दन मिश्रा के टिकट पा खतरे के बादल मंडराते नजर आना शुरु हो गए हैं। इसी तरह से कुछ अन्य सांसदों को लेकर भी टिकट कटने की संभावना जताई जा रही है।
31/01/2024
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