भाजपा को नेताओं तो कांग्रेस को जातिगत समीकरणों पर भरोसा

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बुधनी व विजयपुर में मुकाबले की तस्वीर साफ

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की जिन दो सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है, उन पर अब मुकाबले की तस्वीर साफ हो चुकी है। इसकी वजह है कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों कीे नामों की घोषणा होना। दोनों सीटों पर कांग्रेस व भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला होना है। भाजपा प्रत्याशियों को जहां अपने नेताओं पर  तो वहीं कांग्रेस को जातिगत समीकरणों पर अधिक भरोसा है। कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर ही तय किया गया है।
विजयपुर में पहले से चुनावी तैयारियों में लगे वन मंत्री रामनिवास रावत को सीएम डॉ. मोहन यादव और बुधनी में रमाकांत भार्गव को केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सहारे जीत का हासिल करने की आशा है। दोनों के नाम घोषित होते ही राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि रावत पर सीएम और भार्गव पर शिवराज का भरोसा है। ऐसे में जरा भी असहज करने वाले परिणाम आते हैं तो मामला वरिष्ठ नेताओं से जुडऩा तय है। उधर, रावत व भार्गव अंदर की राजनीति की वजह से पूरी तरह से सहज नहीं हैं।
भार्गव पहले से जुट गए थे तैयारी में बुधनी में शुरू से पता था
बुधनी विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री एवं मौजूदा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रभाव वाली सीट रही है। इस बार वह लोकसभा चुनाव में विदिशा से सांसद चुने गए। हैं। इसी लोकसभा में बुधनी विधानसभा सीट आती है। जब से शिवराज केंद्र की राजनीति में गए, तभी से कहा जा रहा था कि बुधनी विधानसभा सीट पर उन्हीं के किसी करीबी को टिकट मिलेगा। हुआ भी ऐसा ही। रमाकांत भार्गव को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बुधनी शुरू से शिवराज की सिंह की सीट रही, अब जब वह सांसद निर्वाचित हो चुके हैं, तब भी बुदनी उनकी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। प्रत्याशी भी उन्हीं की पसंद का माना जाता है, इसलिए यहां के परिणाम भी उन्हीं के खाते में गिने जाएंगे। इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और किरार समाज से आने वाले राजकुमार पटेल को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर सबसे अधिक आदिवासी वोट 50 हजार से अधिक हैं। इनमें बारेला, गौंड कोरकू, भील शामिल है। इसके अलावा किरार, ब्राम्हण, राजपूत, पवार, अल्पसंख्यक यानी मुस्लिम, मीणा, यादव, कीर, खंडेलवाल आदि जातियों के वोट 5 से 20 हजार प्रति जाति के अनुपात में है। पटेल किरार समाज अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं, जो इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मौजूद हैं। पटेल मूलत: सीहोर के बखतरा के रहने वाले हैं। पटेल 1993 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं, इसलिए उनका नाम क्षेत्र में काफी परिचित है।
विजयपुर में साख दांव पर
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 में से 28 सीटें जीती थीं। छिंदवाड़ा में कमलनाथ का कब्जा था। नकुल उपचुनाव में सांसद चुने गए थे। 2024 का चुनाव सत्ता की ओर से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में लड़ा गया। इस नाते उन पर जिम्मेदारी थी कि सभी 29 सीटों पर जीत मिले। मुरैना, छिंदवाड़ा, राजगढ़, रतलाम जैसी सीटों पर कांटे की टक्कर थी। सीएम के साथ पार्टी नेतृत्व में मुरैना विपक्ष को कमजोर करने के लिए कांग्रेस के खाटी नेता विजयपुर से विधायक रामनिवास रावत को तोड़ लिया। कहते हैं कि इसी रणनीति के चलते भाजपा को मुरैना सीट मिली है। अब विजयपुर विधानसभा सीट पर पार्टी की साख तो दांव पर लगी ही है, सीएम भी चुनाव की घोषणा से पहले यहां सक्रिय हैं। उधर उनके मुकाबले में कांग्रेस ने आदिवासी चेहरे मुकेश मल्होत्रा पर दांव लगाया है। मुकेश पहले निर्दलीय चुनाव लड़ा और लगभग 44,000 वोट प्राप्त किए। मुकेश मल्होत्रा आदिवासी समुदाय से आते हैं, और विजयपुर क्षेत्र में आदिवासी वोटों की अहमियत को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया। इस सीट पर आदिवासी वोट ही चुनाव के परिणाम को प्रभावित करते हैं, और मल्होत्रा की पहचान इस समुदाय के प्रति उनकी नजदीकी को दर्शाती है। यह सीट आदिवासी बाहुल्य  है और यहां सबसे अधिक वोट अनुसूचित जनजाति से हैं। करीब 30 फीसदी वोटर तो आदिवासी समाज से ही हैं। यहां मीणा समाज का भी अच्छा दबदबा है। इसके अलावा रावत, बैरवा (जाटव), धाकड़, माली समाज का भी प्रभाव है। वहीं ब्राह्मण, वैश्य, और मारवाड़ी गुर्जर समाज भी प्रभाव अपना प्रभाव रखते हैं।

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