भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी सुदूर रातापानी के मनोहारी प्राकृतिक वातावरण के बीच हुई भाजपा के आला नेताओं की साढ़े नौ घंटे की बैठक में हुए मंथन में पार्टी के लिए अमृत के पांच घड़Þे निकले हैं। इन अमृत रुपी पांच घड़ों के रुप में जो एजेंडा तय किया गया है, उस पर सत्ता व संगठन कितना अमल करता है, यह तो भविष्य के गर्त में है, लेकिन यह तय है कि अगर सत्ता व संगठन मिलकर इस अमृत रुपी एजेंडा पर पूरी तरह से खरा उतरा तो प्रदेश में एक बार फिर पार्टी की सत्ता में वापसी तय हो जाएगी। खास बात यह है कि इस पूरे मंथन का केन्द्र बिन्दु आदिवासी समुदाय ही रहा है।
इसकी वजह है जयस का प्रदेश में बढ़ता प्रभाव और बीते चुनाव में इस वर्ग का कांग्रेस के साथ जुड़ना। इसकी वजह से इस वर्ग को पार्टी से जोड़ने पर बल दिश्या गया तो असंतुष्ट भाजपा के बड़े नेताओं को सत्ता में भागीदारी देने का भी निर्णय किया गया है। यह पहला मौका है ,जब इस तरह के मंथन में भ्रष्टाचार पर भी चर्चा की गई। प्रदेश में इन दिनों भ्रष्टाचार पूरे चरम पर है। इसका उदाहरण रिश्वत लेते पकड़े जाने वाले कर्मचारी व अधिकारी हैं। इस मामले में अब तक सरकार भी कुछ करती नजर नहीं आयी है। बैठक में मंत्रियों की कार्यशैली को भी कटघरे में खड़ा किया गया है, यही वजह है कि अब मंत्रियों के लिए तय किया गया है कि उन्हें नसीहत दी जाए की वे एक साल के अंदर अपना परफारमेंस सुधार लें। दरअसल भाजपा में यह पूरी कवायद मिशन 2023 को लेकर की गई है। प्रदेश में अगले साल विधानसभा के आम चुनाव होने हैं, जिसमें मिलने वाली चुनौतियों के आंकलन और उनसे पार पाने को लेकर भाजपा में बीते कई माह से चिंतन मनन का दौर चल रहा है।
भाजपा का कोर ग्रुप लगातार चिंतन मनन कर ऐसी ब्यूह रचना तैयार करना चाहता है, जिससे की विधानसभा और उसके बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा की परचम सत्ता साकेत में फहराता रहे। बैठक में राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, वीरेंद्र खटीक और फग्गन सिंह कुलस्ते, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, नरोत्तम मिश्रा, लाल सिंह आर्य, भूपेंद्र सिंह, राजेंद्र शुक्ल, कविता पाटीदार, ओमप्रकाश धुर्वे आदि शामिल हुए। पार्टी की इस बड़ी मानी जाने वाली बैठक की शुरूआत ही आदिवासी समुदाय पर चर्चा से हुई। जिसमें इस पर विचार किया गया की किस तरह से आदिवासी वोट बैंक को पार्टी के पक्ष में पूरी तरह से किया जा जाए। दरअसल प्रदेश में इस समुदाय की आबादी करीब 22 फीसदी है, जो आरक्षित 47 सीटों के अलावा करीब इतनी ही सीटों पर हार-जीत तय करने की स्थिति में रहते हैं। बीते चुनाव में इस समाज ने भाजपा को जोर का झटका इस तरह से दिया था की भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। यही वजह है कि मंथन के केन्द्र बिंदु में यह समुदाय ही बना रहा। भाजपा की इस वर्ग को लेकर चिंता बढ़ने की वजह जयस जैसे संगठन भी है। इस संगठन का आदिवासी वर्ग में तेजी से प्रभाव बड़ा है। यह संगठन अब तक कांग्रेस के साथ नजर आता है। हालांकि इस बार इस संगठन ने अभी से अलग से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसका प्रभाव मालवा व निमाड़ अंचल में अच्छा खासा है। इस वर्ग में पैठ बढ़ाने के लिए मंत्रियों को जिम्मेवारी सौंपने का तय किया गया है। इसके तहत आदिवासियों के लिए केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का फोल्डर तैयार किया जाएगा। केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री इन क्षेत्रों में लगातार एक साल तक कोई न कोई आयोजन कर इन फोल्डरों को उन तक पहुंचाएंगे। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं को प्रभावी तरीके से आमजन तक पहुंचाने के लिए संगठन और सरकार के नेताओं की टीम तैयार की जाएगी। मंत्रियों के साथ प्रदेश पदाधिकारियों को जोड़ा जाएगा। कैम्प लगाकर योजनाओं का लाभ जनता को दिलाया जाएगा। बैठक में राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री बीएल संतोष ने केन्द्र और राज्य की फ्लैगशिप योजनाओं को आम जनता तक और प्रभावी तरीके से ले जाने की बात कही। इसके अलावा प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर आयोजित सेवा पखवाड़े के तहत चलाए जा रहे कार्यक्रमों की भी समीक्षा की। सूत्रों की माने तो बैठक में मिशन 2023 को लेकर लंबी चर्चा हुई। इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति की सीटों को पर खास फोकस रहा। बैठक में कहा गया कि पिछले तीन चुनावों में भाजपा की सरकार बनाने में इन सीटों पर मिली विजय की महत्वपूर्ण भूमिका थी, पिछले बार इन सीटों में कमी आई थी। बैठक में हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रायपुर में हुई बैठक में दलित बस्तियों में सेवा कार्य चलाने की योजना के बारे में भी बताया गया। बैठक में तय किया गया कि दलित बस्तियों में जाकर सेवा कार्य का जो अभियान चलाया जा रहा है उसमें क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को भी आवश्यक रूप से जाना होगा।
51 प्रतिशत वोट शेयर पर चर्चा
बैठक में कहा गया कि केन्द्रीय नेतृत्व ने तय किया है कि हमें हर हाल में अपना वोट शेयर 51 फीसदी करना है । हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी को अधिकांश स्थानों पर इतना वोट शेयर मिला है। इसके लिए अभी से रणनीति बनाकर काम करना है और बूथ को केन्द्रित कर अभियान चलाना है। इसके अलावा पार्टी में आने वाले समय में दिए जाने वाले प्रशिक्षणों के बारे में भी विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान हिंदुत्व की लाइन को संतुलन के साथ बढ़ाने, सामाजिक संगठनों को जोड़ने और साामाजिक, गैर राजनीतिक संगठनों के प्रभाव को लेकर बात हुई।
खराब परफार्मेंस पर चेतावनी
सूत्रों की मानें तो बीएल संतोष, शिवप्रकाश समेत संगठन के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि अब केन्द्र और राज्य से लेकर नगरीय निकायों तक में हमें अच्छी सफलता मिली है, लिहाजा हमारी जिम्मेदारी भी ज्यादा है। हमें अपने परफार्मेन्स को बेहतर रखना है। जिनका परफार्मेन्स ठीक नहीं होगा, उनके दायित्वों में बदलाव किया जाएगा। बैठक में मंत्रियों के कामकाज पर चर्चा में कहा गया कि विभागीय योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन हो और उसका लाभ आम जनता तक पहुंचे, यह जिम्मेदारी विभागीय मंत्री की है। यदि कहीं गड़बड़ हो रहा है तो जो भी दोषी है, उसके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए।
किया जाएगा राजनैतिक पुर्नवास
बीजेपी में कई सीनियर नेता राजनीतिक पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं। मप्र सरकार में तमाम निगम-मंडलों में पद खाली पड़े हैं। मंत्रिमंडल में शामिल होने के इंतजार में बैठे विधायकों के अलावा सीनियर नेताओं को भी इनमें एडजस्ट करने का तय किया गया है। बैठक में निगम-मंडल में एडजस्ट होने वाले नेताओं के नामों पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा मैदानी स्तर पर विभिन्न संस्थाओं में भी कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां करने का फैसला किया गया है। पंचायत और नगरीय निकाय के चलते निगम-मंडलों की नियुक्तियां अटक गई थीं। बैठक में निगम-मंडल में एडजस्ट होने वाले नेताओं के नामों पर भी चर्चा की गई। भाजपा का प्रयास है कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के जरिए हर गांव में धार्मिक माहौल तैयार किया जाए। 11 अक्टूबर को शाम साढ़े छह बजे से गांवों के मंदिरों पर भजन-कीर्तन, दीप प्रज्ज्वलन जैसे कार्यक्रम करने के साथ ही उज्जैन के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जाए, ताकि महाकाल लोक की विशेषताओं को लोग जान सकें।
इन पंच अहम बिंदुओं पर हुआ मंथन
– आदिवासी मतदाताओं को जोड़ना
– असंतुष्टों को सत्ता में भागीदारी देना
– भ्रष्टाचार पर नकेल कसना
– मंत्रियों की कार्यशैली में सुधार
– वोट प्रतिशत 51 फीसदी करना
भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठा
बैठक में जब विभागीय योजनाओं को लेकर चर्चा की जा रही थी तभी ,पार्टी के एक पदाधिकारी ने यहां तक कहा की कई विभागों में कुछ योजनाओं में तो केवल भ्रष्टाचार ही हो रहा है। इसके बाद कहा गया कि मंत्रियों को यह भी ध्यान रखना होगा कि विभागीय योजनाओं में भ्रष्टाचार नहीं हो। दरअसल कुछ मंत्रियों के यहां स्टाफ के अलावा उनके परिजन कामकाज को लेकर बेहद सक्रिय रहते हैं। बगैर कुछ खास लोगों की मर्जी के कोई कमा तक नहीं हो पता है।
02/10/2022
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