भाजपा को बस चाहिए… पन्द्रह लाख नए नवेले

भाजपा

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में बीते विधानसभा चुनाव में झटका मिलने के बाद अब भाजपा का पूरा फोकस अपने मतों में वृद्धि करने पर है। भाजपा की बीते रोज भोपाल में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक इसी के इर्द गिर्द ही बनी रही। इसके तहत पार्टी का मानना है कि अगर वह 15 लाख नए नवेले मतदाताओं को जोड़ने में सफल रहती है तो वह अपने लक्ष्य को न केवल हासिल कर लेगी बल्कि चौथी बार सत्ता में आसानी से आ जाएगी। यह पूरी कवायद मिशन 2023 को लेकर की जा रही है। इसके लिए भाजपा को अपने मौजूदा मिलने वाले मतों में दस फीसदी की वृद्धि करना है। इसके लिए पार्टी व सरकार दोनों मिलकर बनाई गई रणनीति पर काम करेगीं। इसके लिए जो रणनीति बनाई गई है उसके तहत भाजपा का वोट प्रतिशत 51 प्रतिशत तक पहुंचाने के लिए माइक्रो बूथ मैनेजमेंट पर जोर देने का फैसला किया गया है। इसी तरह से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए बड़े सम्मेलन कर उन्हें जोड़ने की रणनीति पर काम किया जाएगा। पार्टी के लिए नए सदस्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्री भी विस्तारक की भूमिका में नजर आएंगे। यह सभी पार्टी के लिए न केवल नए सदस्य बनाएंगे, बल्कि सीएम, मंत्री और विधायकों के प्रवास कार्यक्रम भी भाजपा संगठन द्वारा तय किया जाएंगे। इसके लिए पार्टी में प्रबंध और योजना की दो नई समिति बनेगी। यह समिति ही प्रवास तय करेगी। उधर संगठन द्वारा अपने प्रदेश पदाधिकारियों के दौरों में भी लगातार वृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा स्वयं प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी लगातार मंडल स्तर के प्रवासों पर जोर दे रहे हैं। दरअसल प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 5 करोड़ हैं। बीते चुनाव में प्रदेश में औसत रुप से 74.60 फीसदी मतदान हुआ था। इस हिसाब से देखें तो कुल 3 करोड़ 73 लाख मतदाताओं ने मतदान किया था। इनमें से विधानसभा चुनाव में भाजपा को 2018 में 1 करोड़ 56 लाख यानी 41  फीसदी तो कांग्रेस को 1 करोड़ 55 लाख यानी 40.90 फीसदी मत मिले थे। इसकी वजह से इस चुनाव में कांग्रेस को 114, भाजपा को 109, बसपा को 2, सपा को 1 और निर्दलीयों को 4 सीटों पर जीत मिली थी। यह बात अलग है कि इसके बाद हुए उपचुनावों में भाजपा प्रत्याशियों की जीत की वजह से उसकी ताकत में कांग्रेस की तुलना में बेहद अधिक इजाफा हुआ है। इसकी वजह से अब विधानसभा में भाजपा के  तो कांग्रेस के कम होकर 96 विधायक रह गए हैं।
लगातार दी जा रही नसीहत
तय लक्ष्य को हासिल करने के लिए संगठन सरकार द्वारा तमाम प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। पार्टी और कार्यकर्ताओं की छवि बनाने के लिए भी तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए लगातार कार्यकर्ताओं व नेताओं को भी नसीहत देने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं ही बीते रोज कार्यकर्ताओं को सख्त नसीहत दे चुके हैं। इस दौरान उनके द्वारा कहा गया है कि अहंकार और गुटबाजी मत करो। जो भाग्य में होगा, वो मिलेगा। मुझे क्या पता था कि 4 बार मुख्यमंत्री बनूंगा। तुम काम किए जाओ। जलकुकड़े मत बनो। जो होना है, वो होगा। उधर पार्टी ने तय किया है कि हर जिले में लाडली लक्ष्मी सम्मेलन किए जाएंगे। इसके अलावा हर पार्टी का कार्यकर्ता एक बेटी गोद लेगा और उसकी पढ़ाई का खर्च उठाएगा।
इस तरह के भाजपा कर रही प्रयास
प्रदेश में मतदाताओं का तय लक्ष्य के मुताबिक समर्थन पाने के लिए ही भाजपा संगठन और उसकी सरकार द्वारा जनजातीय गौरव दिवस जैसे आयोजनों पर जोर दिया जा रहा है। प्रदेश में पिछले 17 साल से ओबीसी मुख्यमंत्री हैं। ओबीसी के लिए प्रदेश सरकार आरक्षण बढ़ाने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। इसके अलावा पार्टी समाजिक समरसता जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से दलितों के बीच पहुंचने के कार्यक्रमों पर भी जोर दे रही है।
इन जिलों पर रहेगा भाजपा को विशेष फोकस  
दरअसल प्रदेश में करीब दस जिले ऐसे हैं, जिनमें कांग्रेस का बीते विधानसभा चुनाव में पूर्व के विधानसभा चुनावों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन रहा है। इनमें सबसे अधिक अच्छा प्रदर्शन कांग्रेस का छिंदवाड़ा जिले  में रहा था, जहां पर उसके सात विधायक जीते। इसके बाद आदिवासी बहुल धार जिला आता है। इस जिले में भी कांग्रेस पांच सीटें जीतने में सफल रही थी। तीन जिले ऐसे हैं, जिनमें कांग्रेस को चार-चार सीटों पर सफलता मिली, इनमें ग्वालियर, बैतूल और मुरैना जिले शामिल हैं। इसके अलावा जिन जिलों में कांग्रेस तीन-तीन सीटें जीतने में कामयाब रही उनमें भोपाल के अलावा बालाघाट, जबलपुर, नरसिंहपुर और राजगढ़ जिले शामिल हैं।

Related Articles