अपने ही गढ़ों में… भाजपा को लगानी पढ़ रही पूरी ताकत

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भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा को राजनैतिक दलों में शहरी पार्टी माना जाता है, लेकिन यही शहर अब उसके लिए चुनौति बनते जा रहे हैं। यही वजह है की बीते कई निकायों के चुनाव के बाद ऐसा मौका आया है, जब भाजपा को अपने ही गढ़ों में न केवल पूरी ताकत लगानी पढ़ रही है , बल्कि अतिरिक्त सर्तकता तक बरतनी पढ़ रही है। इसकी वजह है इस बार शहरी मतदाताओं को बदलता हुआ मूड़। दरअसल शहरी मतदाता खराब सडकें , बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटें, भ्रष्टाचार और जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा की वजह से परेशान हैं। इस बीच मानसून ने भी उसकी मुश्किलें बढ़ा रखी हैं।
अब प्रदेश के 11 नगर निगमों में मतदान के लिए महज दो दिन का समय बचा है, इसके बाद भी संगठन सशंकित नजर बना हुआ है। इन कारणों के चलते अब भाजपा संगठन ने इनमें पूरी ताकत झोंक दी है। प्रदेश सरकार के मुखिया से लेकर संगठन के प्रदेश मुखिया तक लगातार शहरी इलाकों में नाम वापसी के बाद से ही दौरे कर रहे हैं , लेकिन वो माहौल नहीं बनता दिखा है जो पूर्व में हुए निकाय चुनावों में बनता दिखता था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो लगातार सभाएं रोड शो और अन्य तरह के तरीकों से जनता का मन भाजपा के पक्ष में बनाने के लिए लगे हुए हैं। अब उनका पूरा फोकस अंतिम दौर में प्रदेश के चारों महानगरों पर बना हुआ है। इनमें इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर सहित कतिपय अन्य चुनौतीपूर्ण चुनाव क्षेत्रों में वे आज सभाएं और रोड शो कर रहे हैं। हालात यह हैं की मुख्यमंत्री तक को कुछ शहरों में तीसरी बार चुनाव प्रचार के लिए तक जाना पड़ रहा र्है। दरअसल इस बार कांग्रेस ने शहरी इलाकों में शामिल चारों महानगरों के अलावा कई अन्य बड़े शहरों में अच्छे उम्मीदवार तो उतारे ही हैं, साथ ही भाजपा के प्रत्याशी तय होने से पहले ही अपने नाम तय कर दिए थे। उधर यह पहला मौका है जब प्रदेश के इन निकाय चुनावों में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और एआईएमएआई के प्रमुख असुद्दीन ओवैसी भी प्रदेश में अपनी ताकत दिखाने के लिए आ चुके हैं। आप पार्टी ने तो भाजपा के सामने सिंगरौली में कठिन चुनौती खड़ी कर रखी है तो बुरहानपुर में ओबैसी का उम्मीदवार भी मुश्किलें खड़ी किए हुए है। प्रदेश में बीते निकाय चुनाव में भाजपा ने सभी 16 निगमों पर बड़ी जीत हासिल की थी। इसकी वजह से इस बार भी भाजपा के सामने पुरानी जीत दोहराने की भी चुनौती बनी हुई  है , जबकि कांग्रेस के सामने ऐसी कोई चुनौती नहीं है। यह चुनाव भी ऐसे समय हो रहे हैं जबकि सूबे में अगले साल विधानसभा के आम चुनाव होने हैं , जिसकी वजह से इन चुनावों को सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है।
विधायक और सांसदों की पसंद भी बन रही मुसीबत
दरअसल बड़े शहरों में अधिकांश विधायक और सांसद भाजपा के ही हैं। इन सभी ने अपनी पंसद व नापसंद के आधार पर जिद में आकर प्रत्याशियों को टिकट दिलाए हैं। इसमें बाहरी से लेकर उन कार्यकर्ताओं को तक को तवज्जो दी गई है, जिनका इलाके में मजबूत जनाधार तक नहीं है। इसके उलट कांग्रेस व अन्य दलों ने भी इस बार चुनाव प्रचार में पूरा जोर लगाया हुआ है। कई जगहों पर तो भाजपा प्रत्याशी सामाजिक समीकरण तक में फिट नहीं बैठ रहे हैं। इसकी वजह से ही संगठन को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है।
सीएम खुद ले रहे हैं विकास का जिम्मा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल मेयर प्रत्याशी मालती राय के समर्थन पर 12 नंबर स्टॉप पर चाय पर चर्चा कार्यक्रम में स्थानीय लोगों से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा  कि आप लोग मालती राय को आर्शीवाद दीजिए, विकास की जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ दीजिए। उन्होंने कहा कि गरीब की गरीबी दूर हो और वह चैन से जी सकें, इसलिए देश एवं प्रदेश में भाजपा ने कई योजनाएं बनाई हैं। जिसमें गरीबों को राशन खरीदने के लिए हमने एक रुपए किलो में गेहूं, चावल एवं नमक की व्यवस्था की है। कांग्रेस ने यह काम कभी नहीं किया। गरीब परिवारों के मेधावी बच्चों की मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ, आईआईएम में एडमिशन होने पर उनकी फीस माता-पिता नहीं, हमारी सरकार भरवायेगी।
बारिश ने भी बना दी मुसीबत
दरअसल प्रदेश में बीते दो सालों से शहर सरकार में अफसरों का राज चल रहा है। यह अफसरों द्वारा आमजन की परेशानियों को दूर करने में कोई रुचि नही ली, जिसकी वजह से सड़कों से लेकर अन्य तरह के काम ही नहीं कराए गए। जहां कराए भी गए है उनमें भी जमकर मनमानी की गई है। इसकी वजह से शहरी इलाकों की सड़कें बेहद खराब हालात में पुहंच गई हैं। हालात यह हैं की शुरूआती बारिश में ही अधिकांश सड़कों पर लोगों का पैदल चलना तक मुश्किल हो गया र्है। कई प्रमुख सड़कों पर तो पानी गिरते ही कई-कई फिट तक पानी भर जाता है तो कहीं -कहीं तो कीचड़ कई दिनों तक बना रहता है। इसकी नाराजगी भी भाजपा प्रत्याशियों को मुश्किल खड़ी कर रही है।
इंदौर में दिन भर का रोड शो
मुख्यमंत्री ने प्रचार के अंतिम दिन सोमवार को इंदौर में तीसरी बार जनसभाएं और रोड शो के लिए भरपूर समय आरक्षित किया है।  सुबह चुनावी प्रचार अभियान की शुरूआत उन्होंने भोपाल में मामा की चाय पर चर्चा और हितग्राही सम्मेलन के साथ की। इसके बाद उन्होंने ग्वालियर, सिंगरौली व जबलपुर में चुनावी सभा और रोड शो किए। इसके पहले वीडी शर्मा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इंदौर जा चुके हैं। रविवार को ग्वालियर-चंबल में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी रोड शो में सक्रिय रहे।
बड़े शहरों पर फोकस
भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े Þशहरों में भाजपा इस बार किसी भी तरह की रिस्क लेने की स्थिति में नही है। इसकी वजह है अगर इन शहरों में पार्टी का महापौर और परिषद नहीं बनी तो उसका मैसेज पूरे प्रदेश में निगेटिव चला जाएगा। यही वजह है कि मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा  इन शहरों में एक से अधिक बार जनसभाएं और रोड शो कर रहे हैं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा दिन में खंडवा  निमाड़ में चुनावी प्रचार के बाद इंदौर पहुंच गए। प्रदेश अध्यक्ष भी आज इंदौर में सक्रिय बने हुए हैं।

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