निवाड़ी-टीकमगढ़ में मुश्किल में पड़ी… भाजपा, बदल सकता हैं पांसा

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भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। दो तरफ से पूरी तरह उप्र की सीमा से लगे टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की पांचों विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा बेहद मुश्किल में नजर आ रही है। इनमें लगभग सभी सीटों पर इस बार पार्टी विधायकों के खिलाफ जमकर एंटीइंकमबेंसी तो है ही, साथ ही विपक्षी दलों के प्रत्याशियों ने भी परेशानी कर रखी है। यही वजह है कि इस बार विकास और आम जनता के मुद्दों की जगह जातिवाद पर जोर बना हुआ है। अगर बीते चुनाव की बात की जाए तो भाजपा ने पांच में से चार पर जीत दर्ज की थी और इसके बाद हुए उपचुनाव में भी भाजपा को पंाचवी सीट पर जीत मिल गई थी, जिसकी वजह से दोनों जिलों से कांग्रेस का सफाया हो गया था।
दोनों ही जिलों में सत्तारूढ़ दल के सभी विधायक होने के बाद भी इस बार हवा विरीत दिशा में बहती हुई दिख रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है विधायकों का एकला चलों की नीति , जिसकी वजह से संगठन से लेकर कार्यकर्ताओं में असंतोष ऐसा पनपा की अपने ही उन्हें हराने में जुट गए हैं। इसकी वजह से लगभग सभी सीटों पर भाजपा की राह कठिन बनी हुई दिख रही है। समय रहते अगर पार्टी ने अपने  कार्यकर्ताओं को मना लिया तो फिर पांसा पलट भी सकता है। इन दोनों जिलों में टीकमगढ़, निवाड़ी, पृथ्वीपुर, खरगापुर, जतारा विधानसभा सीटें आती हैं। बीते चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ पृथ्वीपुर सीट पर ही जीत मिली थी। यहां से बृजेन्द्र सिंह राठौर ने जीत दर्ज की थी। चुनाव प्रचार में भाजपा इस बार यहां फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केन्द्र में रख रही है। इसके अलावा पीछे से हिंदुत्व के मुद्दे को भी मुद्दा बना रही है। इसके उलट विपक्षी प्रत्याशियों ने इन सीटों पर कथित भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बना रखा है। इसके साथ ही प्रादेशिक स्तर पर चलने वाले दोनों दलों के लोक लुभावन वादों का भी खासा प्रचार किया जा रहा है। दरअसल लगातार भाजपा विधायक होने के बाद भी क्षेत्र में पिछड़ापन और गरीबी दूर नहीं हो सकी है। तालाबों और बेतवा जैसी नदी होने के बाद भी यह क्षेत्र सिचाई के मामले में पिछड़ा होने से खेती भी पर्याप्त नहीं हो पाती है। इसकी वजह से इस इलाके के गरीब तबके के लोग पेट पालने के लिए दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों में हर साल पलायन करने के लिए मजबूर होते हैं।  पलायन क्षेत्र की बड़ी समस्या है पर राजनीतिक दल इस मुद्दे को छू भी नहीं रहे हैं। अगर टीकमगढ़ विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो यहां कांग्रेस ने फिर से अपने पुराने प्रत्याशी यादवेन्द्र सिंह बुंदेला को प्रत्याशी बनाया है। यादवेन्द्र सिंह को 2008 में जीत मिली, लेकिन उसके बाद से वे लगातार दो चुनाव हार चुके हैं। उनके सामने भाजपा ने एक बार फिर से  विधायक राकेश गिरी गोस्वामी को टिकट दिया है। राकेश को टिकट मिलने के बाद भाजपा के दो बार जिलाध्यक्ष रहे पूर्व विधायक के के श्रीवास्तव भी मैदान में उतर गए है। इसकी वजह से गिरी की मुसीबत बेहद बढ़ गई है। गिरी के खिलाफ जमकर एंटी इंकमबेंसी बनी हुई है। भाजपा का मनना है कि के के श्रीवास्तव सिर्फ शहरी इलाके के कुछ ही बोट काट सकते हैं।
इधर कांग्रेस राकेश गिरी के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही है। केके श्रीवास्तव भी स्थानीय मुद्दों को हवा दे रहे हैं। उधर, यादव और लोधी बाहुल्य सीट खरगापुर से एक बार फिर भाजपा ने  उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने पिछला चुनाव हारी चंदा रानी गौर को मैदान में उतारा है। वे पहले भी विधायक रह चुकी हैं। उनके पति सुरेन्द्र सिंह गौर क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे हैं, उन्हें लोग दद्दा कहते हैं। वे पूर्व में जिला पंचायत के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। इस सीट पर कांग्रेस से बगावत कर अजय यादव भी मैदान मे हैं। हालांकि उनका प्रभाव कम ही दिख रहा है। यहां कांग्रेस स्थानीय मुद्दों पर राहुल को घेर रही है। वहीं भाजपा सरकार की योजनाओं के भरोसे सक्रिय है। भाजपा को इस बार इस सीट पर कड़ी टक्कर मिल रही है और उसकी जीत की राह मुश्किल नजर आ रही है। इस जिले की तीसरी सीट जतारा आरक्षित की श्रेणी में है। यहां पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री और वर्तमान विधायक हरिशंकर खटीक फिर से प्रत्याशी हैं, उन्हें कांग्रेस की किरण अहिरवार चुनौति दे रही हैं। किरण टीकमगढ़ से लोकसभा चुनाव में पिछली बार हार चुकी हैं। वे लंबे समय से चुनाव की तैयारी कर रही थीं, उन्हें शायद पहले से टिकट की हरी झंडी मिल चुकी थी, लिहाजा वे उसके बाद से इस क्षेत्र में सक्रिय थी। कांग्रेस हरिशंकर पर क्षेत्र का विकास न कर पाने का आरोप लगा रही है और सालों से उलझी समस्याओं को जनता को गिना रही है। वहीं भाजपा किरण पर बाहरी होने का आरोप लगा रही है। हरिशंकर की क्षेत्र में पकड़ है, पर किरण उन्हें तगड़ी टक्कर देते दिख रही हैं।
निवाड़ी जिले की सीटों के हाल
इस जिले की पृथ्वीपुर सीट पर लगातार कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह राठौर जीतते रहे हैं। इस सीट पर पांच चुनाव में से महज एक बार ही भाजपा को जीत मिली है। यह जरूर है कि इस बार उपचुनाव में भाजपा को दूसरी बार जीत मिली है। यह सीट पहले निवाड़ी का ही हिस्सा रही है। यहां से बृजेन्द्र सिंह राठौर चुनाव लडक़र विधायक बनते रहे हैें। 2008 में पृथ्वीपुर पृथक विधानसभा बनी , जिसके बाद राठौर 2008 में जीते पर वे 2013 में भाजपा की अनीता नायक से हार गए। 2018 में फिर जीते और कमलनाथ सरकार में मंत्री बने। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के शिशुपाल यादव ने जीत दर्ज की। शिशुपाल पहले समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ते थे। यूपी के मूल निवासी शिशुपाल के लिए राह इस बार आसान नहीं है। उनके लिए फायदे की बात यह जरूर है कि समाजवादी पार्टी ने इस सीट से प्रत्याशी नहीं उतारा है। इसी तरह से निवाड़ी सीट पर बीते दो चुनावों से भाजपा के अनिल जैन जीत रहे हैं। वे एक बार फिर से मैदान मे हैं। कांग्रेस ने यहां से पूर्व भाजपा नेता अमित राय को टिकट दिया है, जबकि सपा ने पूर्व विधायक मीरा यादव को मैदान में उतारा है। मीरा यादव एक बार यहां से विधायक रह चुकी हैं। वे बीते दो चुनाव से निकटतम प्रत्याशी रह रही हैं।

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