भाजपा आलाकमान गुजरात चुनाव के बाद करेगा मप्र पर फोकस

भाजपा आलाकमान

सत्ता-संगठन में नई जमावट के साथ होंगी राजनीतिक नियुक्तियां

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। इस समय भाजपा का पूरा फोकस हिमाचल के बाद  गुजरात विधानसभा चुनाव पर है। दोनों राज्यों में चुनावी घमासान थमने के बाद भाजपा आलाकमान मप्र पर फोकस करेगा। इसके साथ ही प्रदेश में चुनावी जमावट शुरू होगी। प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा, साथ ही संगठन में भी आवश्यक फेरबदल किए जाएंगे। वहीं निगम-मंडल और बोर्ड में राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी। भाजपा सूत्रों के अनुसार चुनावी रणनीति के तहत ये राजनीतिक जमावट क्षेत्रीय, जातिगत वोट के आधार पर होगी।
गौरतलब है कि इस समय पूरी भाजपा दो राज्यों के विधानसभा चुनाव में जुटी हुई है। इस कारण मप्र में मंत्रिमंडल व प्रभार में फेरबदल से लेकर निगम-मंडल और संगठन की नियुक्तियों के लंबित मामलों पर अब गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद निर्णय के आसार हैं। मिशन 2023 के पहले एंटी इनकम्बेंसी दूर करने के साथ सियासी संदेश देने के लिए भी कई फैसले होना है। मप्र के सियासी समीकरणों का गुजरात की सीमावर्ती और आदिवासी बहुल  कई सीटों पर भी असर पड़ता है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि गुजरात चुनाव के नतीजों के बाद ही भाजपा हाईकमान मप्र पर फोकस करेगा। सत्ता-संगठन में भी अभी कई पद ऐसे हैं जिनके लिए एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बनी हुई है। इनमें मंत्रियों के विभागीय और जिला प्रभार में फेरबदल से लेकर खाली पड़े 4 पदों पर नए लोगों की ताजपोशी का भी प्रस्ताव लंबे समय से पेंडिंग चल रहा है।  प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व के अलावा जातीय और सियासी समीकरण में असंतुलन का मुद्दा पार्टी स्तर पर कई बार उठ चुका है। खासतौर पर विंध्य, महाकोशल और मालवांचल के कई जिलों में इसको लेकर मांग भी उठ चुकी है ।
सत्ता और संगठन में खाली पद भरे जाएंगे
दरअसल, मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार और भाजपा संगठन में इस वक्त कई पद खाली हैं। ऐसे में गुजरात चुनाव पूरे होने के बाद इन पदों को जल्द ही भरा जाएगा। क्योंकि अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा  प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी इस बात के संकेत दे चुके हैं। बता दें कि इन खाली पड़े पदों के लिए नेता भी इंतजार कर रहे हैं।  ऐसे में इंतजार कर रहें नेताओं को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एडजेस्ट करना चाहती है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा भी तेज है कि अब शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार भी हो सकता है।  क्योंकि मंत्रिमंडल में अभी चार पद खाली है। जिन्हें जल्द ही भरा जा सकता है। इसके लिए सीएम शिवराज जल्द निर्णय ले सकते है। शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल में अभी चार पद खाली। लेकिन इन चार पदों के लिए करीब एक दर्जन विधायक दावेदार हैं। जिनमें कई पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। क्योंकि यह विधायक सिंधिया समर्थकों की वजह से मंत्री नहीं बन पाए थे। ऐसे में वे इस बार मौका पाने की तैयारी में हैं। ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा संगठन व सत्ता दोनों ही इन रिक्त पदों को भरने के पक्ष में बताए जाते हैं। दरअसल नए मंत्रियों के सहारे भाजपा राजनीतिक और क्षेत्रीय दोनों  समीकरणों को साधना चाहती है। ताकि विधानसभा चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सके।
मध्य प्रदेश में विधायकों की संख्या के हिसाब से मुख्यमंत्री सहित 36 मंत्री बन सकते हैं, फिलहाल कैबिनेट में 30 मंत्री हैं, जिनमें से 23 कैबिनेट और 7 राज्य मंत्री हैं। विधायकों की संख्या के हिसाब से अभी चार और सदस्यों को मंत्री बनाया जा सकता है।
निगम-मंडल में भी पद खाली
यहां प्रदेश कैबिनेट में 4 पद के अलावा निगम-मंडल और प्राधिकरणों में कई पद खाली पड़े हैं। मिशन 2023 की तैयारी में जुटी भाजपा अपनी मैदानी टीम को सशक्त बनाने के लिए कई तरह के फैसलों पर विचार कर रही है। इसके लिए पार्टी ने क्षेत्रीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों से नए-पुराने नेताओं को उपकृत करने के लिए सुझाव भी मांगे हैं। हाल ही में सत्ता-संगठन ने संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों से जुड़े रहे 208 ऐसे पुराने कार्यकतार्ओं को उपकृत किया है जिन्हें भाजपा निकाय चुनाव अथवा अन्य मौकों पर एडजस्ट नहीं कर पाई थी। इन सभी को कॉलेजों की जनभागीदारी समितियों का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। संघ की तरफ से भी इन्हें सम्मानजनक स्थान पर एडजस्ट किए जाने की अनुशंसा की गई थी।
कई जिलों के जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं
 संगठन में परफार्मेंस के आधार पर नई नियुक्तियों की तैयारी हो रही है। संगठन  खाली पदों को फुल फिल करने की रणनीति बना रहा है। इसके अलावा खाली पड़े निगम, विकास प्राधिकरणों के पदों को भरने की भी तैयारी है। बता दें कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के आधार पर भाजपा कई जिलों के अध्यक्षों को बदल सकती है। जहां-जहां पार्टी को नुकसान हुआ है वहां सख्त फैसले लिए जा सकते हैं।
मंत्री पद चार, दावेदारों की लंबी लाइन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चौथी पारी में सीएम के सामने कैबिनेट विस्तार को लेकर लंबे समय से नामों को लेकर उलझन हो सकती है। क्योंकि मंत्रिमंडल में खाली चार पदों पर कई विधायकों की निगाहें टिकी हुई हैं। पिछली बार मंत्रिमंडल विस्तार में सीएम शिवराज के करीबी कई विधायक मंत्री नहीं बन पाए थे। जो अब फिर से मंत्री पद की उम्मीद में हैं। राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह, अजय विश्नोई, नागेंद्र सिंह, रमेश मेंदोला, पारस जैन, प्रदीप लारिया, गायत्री राजे पवार सहित अन्य कई विधायक दावेदार अब एक बार फिर मंत्री पद पाने की रेस में शामिल हो गए हैं। सूत्रों की माने तो जिन मंत्रियों का परफॉर्मेंस खराब है, ऐसे में मान जा रहा है कि उन मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं। सत्ता और संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 10 मंत्रियों का परफॉर्मेंस खराब है। इनमें वे मंत्री शामिल हैं, जिनके पास भारी भरकम विभाग हैं। खबर तो यह भी है कि दो से तीन मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है। हालांकि सीएम शिवराज चुनाव के पहले रिस्क नहीं लेना चाहेंगे, ऐसे में मंत्री पद से किसे हटाया जाएगा, यह फैसला केंद्रीय हाईकमान को लेना है।

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