- मप्र में दूसरे चरण की छह सीटों पर मतदान 26 को
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की छह सीटों दमोह, होशंगाबाद, खजुराहो, रीवा, सतना और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित टीकमगढ़ पर 26 अप्रैल को मतदान होना है। 2019 में भाजपा ने इन सभी सीटों को जीता था। वहीं 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा इन क्षेत्रों में मजबूत रही। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की स्थिति बेहतर रहेगी। हालांकि वर्तमान प्रत्याशियों की स्थिति और विधानसभा के चुनाव परिणामों के अनुसार सतना में मुकाबला टाइट नजर आ रहा है, जबकि पांच अन्य सीटों पर मतदाताओं की फस्र्ट च्वाइस भाजपा ही है। बता दें, इन छह सीटों पर कुल 80 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। इनमें से 75 पुरुष, चार महिला और एक थर्ड जेंडर प्रत्याशी भी है। मप्र में दूसरे चरण की छह संसदीय सीटों के अंतर्गत आने वाले 47 विधानसभा क्षेत्रों में से 40 पर भाजपा कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन लोकसभा सीटों के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर पांच माह पहले संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में 47 में से 40 सीटों पर भाजपा ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। वहीं कांग्रेस केवल सात सीटों पर ही बढ़त बना पाई थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने इन छह संसदीय सीटों पर विधानसभावार बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में केवल सतना सीट पर भाजपा को सात विधानसभा सीटों में से चार पर हार का सामना करना पड़ा था।
सतना में कांटे का मुकाबला खजुराहो में वाक ओवर
विंध्य क्षेत्र की सतना सीट पर इस बार मुकाबला कांटे का नजर आ रहा है। भाजपा ने फिर सतना सांसद गणेश सिंह को टिकट दिया है। गणेश सिंह विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का भरोसा नहीं जीत पाए थे। सिंह ओबीसी कुर्मी समाज से आते हैं। सतना लोकसभा और विंध्य क्षेत्र में कुर्मी पटेल और ब्राह्मण समुदाय निर्णायक है। गणेश सिंह का मुकाबला कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा से हो रहा है। कुशवाहा ने विधानसभा चुनाव में गणेश सिंह को हराया था। विंध्य की सियासत का गढ़ रीवा को माना जाता है। इस सीट पर भाजपा की स्थिति मजबूत है। ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग निर्णायक है। पार्टी ने यहां से तीसरी बार जनार्दन मिश्र को मैदान में उतारा है। वहीं यूपी की सीमा से सटे बुंदेलखंड में खजुराहो सीट आती है। इस सीट पर पिछड़ा वर्ग और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। 2004 से इस सीट पर भाजपा का दबदबा है। भाजपा की तरफ से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा मैदान में हैं। जबकि कांग्रेस ने यह सीट गठबंधन सहयोगी सपा को दी है। सपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त हो गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि वीडी शर्मा को वाक ओवर मिल गया है। खजुराहो से दूसरी बार वीडी शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं।
दमोह-टीकमगढ़ भाजपा का गढ़
दमोह लोकसभा सीट लंबे अरसे से भाजपा का गढ़ बन चुकी है। इसलिए भाजपा ने राहुल सिंह लोधी के तौर पर समाज को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। लोकसभा क्षेत्र में लोधी समाज के वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। दमोह, जबेरा, पथरिया, देवरी, बनडा और बड़ा मलहरा में लोधी समाज की संख्या अधिक है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। बुंदेलखंड की टीकमगढ़ लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ है। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। इसके अलावा ओबीसी वर्ग के मतदाता निर्णायक भूमिका है।
होशंगाबाद-बैतूल में भाजपा मजबूत
होशंगाबाद लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है। मध्य भारत अंचल में आने वाली इस लोकसभा सीट पर 1989 से 2004 तक बीजेपी ने लगातार चुनाव जीता था। 2009 में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली। लेकिन 2014 में फिर भाजपा ने ये सीट कांग्रेस से छीन ली। ओबीसी बहुल सीट पर एससी-एसटी निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इस सीट से दर्शन सिंह चौधरी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। भाजपा का गढ़ बैतूल लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। इस सीट पर एससी और एसटी वर्ग के मतदाता ही निर्णायक भूमिका में नजर आते हैं। भाजपा ने दुर्गादास उइके को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने पिछला चुनाव हार चुके आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम को दोबारा प्रत्याशी बनाया है।
तीसरे चरण की नौ सीटों पर 140 नामांकन पत्र वैध
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की सीटों के लिए आए नामांकन पत्रों की जांच में 140 अभ्यर्थियों के नामांकन पत्र वैध पाए गए। 13 अभ्यर्थियों के नामांकन पत्र त्रुटि मिलने के कारण अस्वीकृत कर दिए गए। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि मुरैना में 16, भिंड में आठ, ग्वालियर में 21, गुना में 17, सागर में 14, विदिशा में 16, भोपाल में 25, राजगढ़ में 15 और बैतूल में आठ के नामांकन पत्र विधि मान्य पाए गए हैं।