भाजपा नहीं कर सकी गुजरात फार्मूले पर अमल

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भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बीते साल गुजरात में जिस फार्मूले को लागू कर भाजपा ने न केवल पांचवी बार लगातार सरकार बनाई बल्कि, जीत का नया रिकॉर्ड भी बना दिया था, जिसकी वजह से माना जा रहा था कि इस बार मप्र में भी इसी फार्मूले को लागू किया जाएगा। इसकी वजह थी गुजरात की तरह ही मप्र में की सियासी परिस्थितियां, लेकिन मप्र में इसे लागू करने में पार्टी हाईकमान पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। प्रदेश में भाजपा अब तक पांच सूचियों में 228 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। पार्टी प्रत्याशियों के चयन के लिए जिस तरह से भाजपा के बड़े नेताओं द्वारा कवायद की जाती रही है, वैसा कुछ सूची में अब तक नजर नहीं आया है। दरअसल गुजरात फार्मूले में सर्वे में कमजोर सीटों पर नए चेहरे उतारना प्रमुख था। फिर चाहे वे सीटें मंत्रियों या वरिष्ठ विधायकों की ही क्यों न हों। इस आधार पर उम्मीदवारों के नामों का चयन करने की पार्टी ने कवायद भी की, जिसका असर दूसरी सूची में नजर भी आया, लेकिन चौथी और पांचवी सूची में भाजपा का यह फार्मूला पूरी तरह से बेअसर साबित हुआ। दरअसल पांचवीं सूची में जिस तरह से कई ऐसे विधायकों को फिर से टिकट थमा दिए गए हैं, जिनके बारे में पार्टी के पास बेहद नकारात्मक रिपोर्ट थी। इन चेहरों को लेकर जनता से लेकर कार्यकर्ताओं तक में नाराजगी बनी हुई थी। अहम बात यह है कि ऐसे नेता तक को प्रत्याशी बना दिया गया, जो बहुत पहले चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा तक कर चुके थे। यह विधायक हैं नागेन्द्र सिंह। वे 81 साल के हो चुके हैं। इसी तरह रीवा के गुढ़ विधायक नागेन्द्र सिंह की उम्र भी 76 साल है। वे भी अपनी जगह अपने भतीजे प्रणव प्रताप सिंह को चुनाव लड़ाने के पक्ष में थे। इसी तरह से पार्टी ने खराब परफार्मेंस व अन्य वजहों से जिन 8 विधायकों को टिकट होल्ड किए थे, उनमें से पार्टी महज दो विधायकों के ही टिकट काट सकी है। इनमें से एक मंत्री के स्थान पर उनकी पुत्री को उम्मीदवार बना दिया गया  है।
विरोध का सताया  डर
सूत्रों का मानना है कि जिन मौजूदा विधायकों को खतरे में माना गया  था, उनके टिकट इसलिए नहीं काटे गए, क्योंकि पार्टी को पहली दो सूचियों में जिस तरह का टिकट कटने वाले नेताओं के समर्थकों का विरोध झेलना पड़ा, उससे पार्टी किसी बड़े नुकसान का डर सताने लगा। बताया गया है कि पार्टी ने सूची जारी होने के बाद संबंधित क्षेत्रों में अपने स्तर पर सर्वे कराया, तो उसमें इस तरह के विरोध से नुकसान होने की बात कही गई। पार्टी ने होल्ड में रखे गए मंत्रियों के यहां भी फीडबैक दिया कि उनके टिकट कटने से समर्थक पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बताया गया है कि पार्टी किसी भी स्थिति में नुकसान उठाने के पक्ष में नहीं रही और मंत्रियों सहित जहां नुकसान हो सकता था, वहां पुराने चेहरों पर ही दांव लगा दिया गया है।

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