- इनकी रिपोर्ट से बनेगी चुनावी रणनीति और मिलेगी विधायकों को अंतिम चेतावनी
अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में अब विधानसभा चुनावों के लिए महज सात माह का ही समय रह गया है, ऐसे में भाजपा ने पार्टी के साथ ही अपने विधायकों की मैदानी स्थिति का सही -सही आंकलन करने के लिए नए सिरे से सर्वे कराना शुरु कर दिया है। खास बात यह है कि यह सर्वे भी तीन स्तर से अलग-अलग कराए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इन सर्वे की आने वाली रिपोर्ट के आधार पर ही चुनावी रणनीति तैयार की जाएगी और उन विधायकों को भी अंतिम बार चेताया जाएगा, जिनकी स्थिति उनके इलाकों में खराब पायी जाएगी। दरअसल अब तक जो भी सर्वे कराए गए हैं उनमें पार्टी के आधे से अधिक विधायकों की स्थिति बेहद कमजोर पायी गई है, जिसकी वजह से संगठन की ङ्क्षचंताए इन दिनों बड़ी हुई हैं। यही वजह है कि अब एक बार फिर से पार्टी का केन्द्रीय व राज्य संगठन तो अपने-अपने स्तर पर सर्वे करा ही रहा है, लेकिन इसके अलावा संघ भी अपने स्तर पर सर्वे के माध्यम से मैदानी हकीकत पता करवा रहा है। दरअसल इसी तरह की कुछ कवायद कांग्रेस में भी जारी है। पार्टी सूत्रों की माने तो प्रदेश स्तर पर सर्वे का काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी एक एजेंसी से कराया जा रहा है। दूसरा सर्वे केंद्रीय नेतृत्व करा रहा है। यह काम एक गुजराती कंपनी को दिया गया है। तीसरा सर्वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा अपने जमीनी स्तर पर सक्रिय स्वयंसेवकों के माध्यम से कराया जा रहा है। इसमें यह देखा जा रहा है कि पार्टी की जमीनी स्थिति क्या है? साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ आम लोगों को मिल पा रहा है या नहीं। और विधायकों की क्षेत्र में कितनी सक्रियता है और उनकी पकड़ मतदाताओं पर कैसी है। इसके साथ ही पार्टी के प्रादेशिक नेतृत्व और विधायकों के प्रति असंतोष को भी परखा जा रहा है। इस फीडबैक सर्वे के नतीजे तय करेंगे कि चुनावों से पहले पार्टी सरकार और संगठन में किस तरह के बदलाव किए जाते हैं। इसी तरह के सर्वों के आधार पर विस चुनाव से पहले भाजपा ने गुजरात में बड़े फेरबदल किए थे। इसके बाद गुजरात चुनाव के नतीजे सबके सामने हैं। इसकी वजह से सवाल बना हुआ है कि क्या गुजरात को नजीर मानकर पार्टी फैसले लेगी। यह बात अलग है कि संगठन स्तर पर वे सभी काम किए जा रहे हैं जिनकी वजह से गुजरात में पार्टी की ऐतिहासिक जीत हुई है। इसमें गुजरात में पन्ना कमेटी और पन्ना प्रमुखों की डिजिटल सेना शामिल है। प्रदेश में 2018 स्थिति बनी थी , उसकी वजह थी पार्टी में अति आत्मविश्वास । इसका खामिजाया उसे भुगतना पड़ा था। पार्टी इस बार एंटी-इनकम्बेंसी को नकारकर बम्पर जीत चाहती है, जैसी गुजरात में उसे मिली है। इसके लिए जरूरी बदलाव फीडबैंक सर्वे के आधार पर किए जाएंगे। मंत्रिमंडल फेरबदल या विस्तार से लेकर टिकट वितरण तक में इन फीडबैक सर्वेक्षणों का महत्व रहने वाला है।
आधा सैकड़ा विधायकों की रिपोर्ट खराब
कुछ माह पहले कराए गए तमाम सर्वे रिपोर्ट में पार्टी के आधा सैकड़ा विधायकों की स्थिति खराब बताई गई है। इन सर्वे में महज 75 विधायकों की स्थिति अच्छी बताई गई है। खराब स्थिति वाले विधायकों में से आधे की तो हार अभी से तय मानी जा रही है। इनमें कुछ मंत्री भी शामिल हैं। गौरतलब है कि बीते चुनावों से सबक लेते हुए बीजेपी इस बार कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहती। ऐसे में पार्टी कई सख्त निर्णय ले सकती है। इसकी वजह है बीते चुनाव के समय भाजपा के 165 विधायक थे, जो चुनाव हारने के बाद 109 तक रह गए थे। इस चुनाव में करीब एक दर्जन मंत्री तक चुनाव हार गए थे। इसीलिए इस बार अपने आंतरिक सर्वे के आधार पर पार्टी कइयों के टिकट काटने का मन बना चुकी है। सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी इस बार 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटों पर नए चेहरे और युवा चेहरे उतार सकती है। इसकी वजह है नए और युवा चेहरों को निकाय चुनाव में टिकट देने का परिणाम सकारात्मक रहा है।
मंत्रियों को किया गया पावरफुल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी वर्ष में मंत्रियों को और पावरफुल बनाया है। चालू वित्त वर्ष में जनसंपर्क दौरे पर मंत्रियों को हर विधानसभा में 2.75 लाख रुपये खर्च करने का अधिकार दे दिया गया है। इसके तहत 230 विधानसभाओं में 6 .32 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के अनुसार जब मंत्री जनसंपर्क दौरे पर होते हैं तो वहां विकासखंड अधिकारी अनुमोदन लिए बिना ही आर्थिक सहायता निकाल लेते हैं। इस वजह से यह निर्देश दिए हैं कि मंत्री के अनुमोदन के बाद ही इस राशि का आहरण किया जाए। निर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 2.75 लाख रुपये प्रति विधानसभा में से 75 हजार रुपये का भुगतान सांसद की ओर से आए प्रस्तावों/अनुमोदन पर किया जाए। साथ ही ग्वालियर में महालेखाकार कार्यालय को बताना होगा कि इस राशि का इस्तेमाल कहां और कैसे किया गया। हर महीने दस तारीख को सामान्य प्रशासन विभाग को अपडेटेड जानकारी उपलब्ध करानी होगी।
विकास यात्रा ने बढ़ाया उत्साह
हाल ही में शिवराज सरकार ने फरवरी में करीब 20 दिन विकास यात्राएं निकाली। प्रशासनिक अमला गांव-गांव पहुंचा और हितग्राहियों को जोडऩे की कोशिश की। इस दौरान भाजपा सूत्रों के मुताबिक करीब आधा सैकड़ा जगहों पर विरोध भी हुआ। यह विरोध स्थानीय मुद्दों, नेताओं और राजनीति की वजह से हुआ। इसका भी आकलन शीर्ष स्तर पर किया गया है। साथ ही जोड़े गए हितग्राहियों को पार्टी अपना ब्रांड एम्बेसेडर बनाकर काम करना चाहती है। इन्हें पन्ना समितियों में जगह देकर डिजिटल आर्मी का सदस्य बनाना भी पार्टी के एजेंडे में है।