बड़े दीर्घकालीन प्रोजेक्ट फिलहाल प्राथमिकता से पीछे

प्रोजेक्ट

सरकार का चुनावी निर्माण पर फोकस…

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में चुनावी साल होने के कारण सरकार का फोकस सबसे अधिक उन योजनाओं और कार्यों पर है, जिसका जनता पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। इसलिए सरकार ने सडक़ों जैसे चुनावी निर्माण के कार्यों पर सबसे अधिक फोकस किया है। इन योजनाओं के लिए फंड की कमी न हो, इसके लिए कई विभागों के फंड पर पहरा बैठा दिया है। जानकारी के अनुसार सरकार ने 9 विभागों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की है। निर्धारित किए गए बजट के आहरण पर रोक लगाई गई है। गौरतलब है कि चुनावी वर्ष में सरकार का सबसे अधिक फोकस सडक़ और अन्य अधोसंरचना के निर्माण पर होता है। इसलिए वित्त विभाग ने उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और स्कूल शिक्षा सहित 9 विभागों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की है। निर्धारित किए गए बजट के आहरण पर रोक लगाई गई है। एक लिस्ट 31 मार्च को जारी हुई थी, जिसे अपडेट किया गया है। अब वित्त विभाग की मंजूरी के बिना पैसा खर्चा नहीं किया जा सकेगा।
 सडक़ों पर खर्च होगा अधिक पैसा
 चुनाव की दस्तक का असर ऐसा है, कि चुनावी गणित वाली योजनाओं में तो भरपूर पैसा है, लेकिन बाकी अधोसंरचना संबंधित कामों को लेकर धीरे-धीरे ब्रेक लगने लगे हैं। लाड़ली बहना जैसी योजनाओं को फोकस पर लेने से बाकी इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य काम पीछे हो रहे हैं। बजट की दिक्कतों के कारण ही सरकार को पहला अनुपूरक बजट लाना पड़ रहा है। सरकार कर्ज, निराश्रित निधि सहित अन्य मदों के जरिए चुनावी बोझ उठाते हुए बाकी कामों की रफ्तार बनाए रखने के जतन कर रही है, लेकिन कई जगह आने लगी हैं। बड़े दीर्घकालीन प्रोजेक्ट फिलहाल प्राथमिकता से पीछे हो गए हैं।
सडक़ों की मरम्मत को पिछले दिनों कायाकल्प अभियान से पैसा देना पड़ा। जानकारी के अनुसार, नर्मदा नदी पर बनने वाले बांधों के निर्माण पर भी असर पड़ा है। छह महीने से नए बजट आवंटन में कमी आई है। मार्च 2024 मैं नर्मदा के पानी का उपयोग करने की समय सीमा खत्म हो रही है। दूसरी ओर जिलों के मुख्य मार्गों के निर्माण में बजट की दिक्कत है। विधानसभावार सडक़ निर्माण के लक्ष्य के चलते इंटर कनेक्ट सडक़ों का काम प्रभावित हुआ है। इसमें स्टेट हाईवे भी शामिल हैं। आंगनबाडिय़ों, शाला भवनों का निर्माण, पुल-पुलिया, सीवेज प्रोजेक्ट सहित अन्य कामों पर भी असर पड़ा है।
जानकारी के अनुसार चुनावी वर्ष में सरकार ने जिन   योजनाओं और कार्यों के लिए पैसा खर्च करने की योजना बनाई ह, उसके तहत लाड़ली बहना योजना में अभी 8 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। भोपाल-इंदौर मेट्रो के एक रूट को अगस्त तक शुरू करने का लक्ष्य है। नल-जल मिशन के तहत पैसा दिया जा रहा है। मार्च 2024 तक समयसीमा है। सीखो कमाओ योजना के तहत बजट प्रावधान किया गया है। संविदा कर्मियों को सुविधाएं, कर्मचारी डीए वृद्धि, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता- सहायिका सहित चुनिंदा वर्ग की वेतन वृद्धि, मानदेय के लिए बजट प्राथमिकता में हैं। हर महीने औसत 10-12 बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं।  विभागों के लिए यह प्राथमिकता पर हैं। साथ ही जिन कामों को पेंडिंग में रखा गया है उनमें 10 हजार किमी से ज्यादा सडक़ों का निर्माण, 25573 आंगनबाड़ी किराये के भवनों में, 8 हजार निर्माण, 20 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े सीवेज के काम, 12 से ज्यादा छोटे-मध्यम बांध प्रोजेक्ट जिन पर आर्थिक असर पड़ेगा।
इन पर वित्तीय प्रतिबंध
सरकार ने जिन विभागों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाया है, उनमें स्कूल शिक्षा विभाग में हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में फर्नीचर, प्रयोगशाला, प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर, उत्कृष्ट विद्यालयों के अनुदान, मदरसों में गुणवत्ता परक शिक्षा एवं अधोसंरचना विकास, नवभारत साक्षरता अभियान एवं विभागीय परिसंपत्तियों के संधारण पर होने वाले खर्च पर रोक लगाई गई है। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट में नई स्टेशनरी की खरीदी, प्रतिभा किरण योजना, गांव की बेटी योजना, प्रयोगशाला का उन्नयन, सरकारी कॉलेजों में वर्चुअल शिक्षण व्यवस्था, तकनीकी शिक्षा में मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, संकल्प प्रोजेक्ट, स्ट्राइव योजना, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के मापदंड के अनुसार कमियों की पूर्ति, विभागीय परिसंपत्तियों का मेंटेनेंस पर प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं नगरीय विकास एवं आवास विभाग में पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क के अधिभार का नगरीय निकायों को हस्तांतरण, हाउसिंग फॉर ऑल वैट क्षतिपूर्ति, स्थानीय निकायों को मूलभूत सेवाओं के लिए एकमुश्त अनुदान, वाहनों पर कर से नगरीय निकायों को सडक़ मरम्मत के लिए अनुदान, शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0. स्वच्छ भारत अभियान, पर्यटन विभाग में पर्यटन क्षेत्र में प्रचार-प्रसार के लिए अनुदान, पर्यटन नीति का क्रियान्वयन पर्यावरण- एप्को को अनुदान, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग में निवेश प्रोत्साहन योजना। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग एमएसएमई प्रोत्साहन व्यवसाय निवेश संवर्धन, मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना और संस्कृति विभाग में मप्र संस्कृति परिषद, समारोह के आयोजन के लिए अनुदान पर प्रतिबंध लगाया गया है। अपर सचिव एवं बजट संचालक आइरिन सिंथिया जेपी की ओर से सर्कुलर जारी हुआ है। इसमें बताया गया है कि विभागों एवं योजनाओं के लिए प्रावधान इस राशि का आहरण वित्त विभाग की अनुमति के बाद ही किया जा सकेगा। संबंधित विभागों के अधिकारी बिना अनुमति के किसी भी प्रकार का आहरण नहीं करेंगे। वित्त विभाग से जारी सर्कुलर में इसके लिए कोई लास्ट डेट नहीं बताई गई है।

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