मप्र के नाम दर्ज हुई बड़ी उपलब्धि, विश्वस्तर पर मिला स्थान

चीता

नमीबिया से चीता लकार बसाने का मामला

भोपाल/विपोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। हाल ही में विश्व स्तर पर मप्र को बड़ी उपलब्धि मिली है। इसकी वजह है विदेशी चीतओं का विस्थापन। प्रदेश के कूनो में लाकर बसाए गए चीतों की अंतरमहाद्वीपीय चीता परियोजना को विश्व की 20 परियोजनाओं में स्थान दिया गया है। इसे परियोजना प्रबंधन संस्थान (पीएमआई) ने चालू वर्ष की सबसे प्रभावशाली बीस परियोजनाओं की सूची में शामिल किया है।
संस्थान द्वारा यह जानकारी हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून को दी गई है। जिसमें कहा है कि चीता परियोजना पर वन विभाग द्वारा किया गया कार्य प्रमुख वैश्विक पहल के हिस्से के रूप में दर्ज किया गया है। आपने एक भूमि से 75 साल पहले विलुप्त हो चुकी प्रजाति को पुर्न स्थापित करने के लिए जलवायु परिवर्तन सहित कई अप्रत्याशित बाधाओं का सामना करते हुए परियोजना को पूरा किया गया है। परियोजना प्रबंधन संस्थान प्रमुख वैश्विक संस्था है, जो दुनियाभर में ऐसी परियोजनाओं की सूचीबद्ध करती है, जिसका काम कठिन परिस्थितियों में पूरा कर विश्व स्तर पर पहचान बनाई हो। संस्थान ने 15 नवंबर को यह सूची जारी की है और संस्थान के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने चीता परियोजना को सूची में शामिल करने की सूचना ईमेल की जरिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वरिष्ठ विज्ञानी प्रो. वायवी झाला को दी है। उन्होंने बताया कि सबसे प्रभावशाली परियोजनाओं की सूची में इस परियोजना का शामिल होना यह दशार्ता है कि कैसे परियोजना प्रबंधकों ने डिजिटल व्यवधान और समानता के लिए आंदोलनों में धीमे परिवर्तन से अप्रत्याशित बाधाओं के बावजूद पहल को आगे बढ़ाने के लिए सरल तरीके खोजे हैं। दरअसल हजारों परियोजनाओं पर विचार करने के बाद चीता परियोजना का चयन किया गया है। इस सूची में शामिल होने के बाद चीता परियोजना का महत्व बेहद बढ़ गया है।
यह है चीता परियोजना
उल्लेखनीय है कि 17 सितंबर को अफ्रीकी देश नामीबिया से आठ चीते लाए गए हैं, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कूनो पालपुर नेशनल पार्क में छोड़े हैं। इनमें से तीन चीतों को क्वारंटाइन बाड़ों से आजाद कर बड़े बाड़ों में छोड़ दिया गया है। जबकि अन्य पांच को छोड़ने  की तैयारी चल रही है। अब इसके बाद साउथ अफ्रीका से 12 चीतों की पहली खेप तीन महीनों के भीतर ही भारत लाई जानी है। यह सभी चीते कूनो में बसाए जाएंगे। गौरतलब है, नामीबिया ने 8 चीते भारत को तोहफे में दिए थे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया है। साउथ अफ्रीका से भारत को 80 से ज्यादा चीते मिलने हैं। इसके लिए साउथ अफ्रीका के विशेषज्ञों का दल दो बार आया था। अब नामीबिया से लाए गए चीतों की बसाहट के बाद भारत सरकार साउथ अफ्रीका से पहली खेप में 12 चीते लाने की तैयारी कर रही है। कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने साउथ अफ्रीका से आने वाले चीतों के लिए 8 बाड़े बनाने का काम शुरू कर दिया है। यह बाड़े नामीबिया से लाए गए चीतों के बाड़े से करीब एक किमी दूर जंगल के समतल इलाके में बनाए जा रहे हैं। जो 8 बाड़े बन रहे हैं, उनमें से एक बाड़े का आकार 50 बाय 30 मीटर का होगा। संभावना है कि साउथ अफ्रीका से आने वाले चीतों में 4 मादा व 8 नर होंगे। कूनो प्रबंधन के अनुसार इस साल के अंत तक साउथ अफ्रीका से चीते कूनो में बसा दिए जाएंगे।
70 साल पहले हो गए थे विलुप्त
चीतों के व्यापक शिकार के कारण वे विलुप्त हो गए। अंतिम तीन चीतों को कोरिया के राजा ने जंगलों में मार दिया जो कि अब घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र है। कोरिया जिला वर्तमान में छत्तीसगढ़ में है। इस जिले में देश के अंतिम चीते की मौत 1947 में हुई थी। चीते और इसकी प्रजातियों को 1952 में विलुप्त घोषित किया गया था। वर्ष 1952 में चीते भारत से विलुप्त हो गए थे।

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